बताया गया कि कोरोना के चलते प्रदेश में अभी तक 6.5 लाख से अधिक प्रवासी मजदूर मध्यप्रदेश लौटे हैं। इनकी संख्या 13 लाख तक जाने का अनुमान है। इनमें से 5 लाख 45 हजार श्रमिक शासन द्वारा उपलब्ध करवाई गई परिवहन व्यवस्था से लाये गये हैं। जिले जिनमें अधिक प्रवासी मजदूर लौटे हैं उनमें अलीराजपुर में सर्वाधिक 99 हजार 508, बालाघाट में 97 हजार 620, गुना में 67 हजार 261, पन्ना में 28 हजार 406, झाबुआ में 20 हजार 624 तथा बड़वानी में 20 हजार 182 मजदूर लौटे हैं। इन जिलों में लौटने वाले मजदूरों की संख्या प्रदेश की 52 प्रतिशत है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कुशल प्रवासी मजदूरों को तत्काल कार्य दिलाने के लिए शॉर्ट टर्म प्लान बनाएं। इसके अंतर्गत पंचायतों से डाटा मंगवाये और निर्माण, उद्यम आदि में कुशल श्रमिकों को नियोजित किया जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि लांग टर्म प्लानिंग के अंतर्गत कुशल मजदूरों की जानकारी तथा उद्योगों एवं निर्माणकर्ताओं की जानकारी एक प्लेटफार्म पर उपलब्ध कराई जाए, जिसके माध्यम से उद्योगों एवं निर्माणकर्ताओं को उनकी आवश्यकता के अनुरूप कुशल श्रमिक उपलब्ध कराए जाएं। इसमें एमएसएमई की भूमिका महत्वपूर्ण है।
मुख्यमंत्री चौहान ने निर्देश दिये कि प्रवासी मजदूरों का कौशल रजिस्टर पंचायतवार बनाया जाए, जिसमें उनके कौशल से संबंधित तथा अन्य जानकारी दर्ज की जाए। साथ ही इसके लिए एक पोर्टल बनाया जाकर उस पर जानकारी दर्ज की जाए। यह जानकारी नियोजनकर्ताओं को उपलब्ध करायी जाए। जानकारी के अंतर्गत शैक्षणिक योग्यता, पूर्व नियोजन, पूर्व वेतन, पूर्व नियोजनकर्ता, कौशल, अपेक्षित मासिक वेतन तथा मजदूर जिस सेक्टर में कार्य करने का इच्छुक हो वह उल्लेखित किया जाए।
प्रवासी मजदूरों के कार्य के प्रमुख क्षेत्र प्रवासी मजदूर मुख्य रूप से भवन एवं अन्य निर्माण कार्य, ईंट भट्टा खनन, फैक्ट्री, टेक्सटाइल, कृषि एवं संबंधित गतिविधियों में कार्य करते हैं। ये मजदूर प्रमुख रूप से महाराष्ट्र, गुजरात, दिल्ली, उत्तरप्रदेश, पंजाब, तमिलनाडु, हरियाण, कर्नाटक तथा राजस्थान जाते हैं।