कोलार जलप्रदाय योजना के अंतर्गत 1500 एमएम व्यास की पीएससी ग्रेविट मेन पाइप लाइन में लीकेज सुधारने की दर तय की है। बीपीटी मेन लाइन में बीपी टैंक से कजलीखेड़ा तक लीकेज होने पर इसे दुरुस्त करने 2.60 लाख रुपए की राशि तय की गई। ये दर 180 दिन यानी करीब छह माह के लिए है। इसके बाद नई दरें व नया ठेकेदार तय होगा।
गौरतलब है कि कोलार लाइन काफी पुरानी हो चुकी है और इसकी सबसे बड़ी समस्या लीकेज है। इस समय कोलार समानांतर लाइन का काम चल रहा है लेकिन ये पूरा नहीं हो पाया। ऐसे में जब तक कोलार की नई लाइन शुरू नहीं हो जाती, कोलार की पुरानी लाइन से ही जलापूर्ति होगी और पुरानी लाइन में दबाव बढऩे- घटने से लीकेज होते रहेंगे। लीकेज दुरुस्त करने हर साल निगम प्रशासन पांच करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च करता है। लीकेज का सुधार 50 हजार रुपए से लेकर दो लाख रुपए तक पड़ता है।
40 प्रतिशत आबादी कोलार के भरोसे
कोलार परियोजना से रोजाना करीब 34 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जाती है। नल से जलापूर्ति वाले क्षेत्रों में 40 फीसदी हिस्सेदारी कोलार लाइन की है। इसके बाद नर्मदा और बड़ा तालाब से जलापूर्ति की जाती है। कोलार क्षेत्र में केरवा से जलापूर्ति होती है। जितनी जल्दी कोलार की नई लाइन चालू होगी, लीकेज दुरुस्त करने का खर्च उतनी ही जल्द खत्म होगा।
कोलार परियोजना से रोजाना करीब 34 एमजीडी पानी की आपूर्ति की जाती है। नल से जलापूर्ति वाले क्षेत्रों में 40 फीसदी हिस्सेदारी कोलार लाइन की है। इसके बाद नर्मदा और बड़ा तालाब से जलापूर्ति की जाती है। कोलार क्षेत्र में केरवा से जलापूर्ति होती है। जितनी जल्दी कोलार की नई लाइन चालू होगी, लीकेज दुरुस्त करने का खर्च उतनी ही जल्द खत्म होगा।
कोलार की नई लाइन का काम अब पूरा होने ही वाला है। इसकी टेस्टिंग के बाद इससे जलापूर्ति शुरू की जाएगी। इसके बाद लीकेज की दिक्कत भी दूर हो जाएगी।
केवीएस चौधरी, निगमायुक्त
केवीएस चौधरी, निगमायुक्त