scriptपितृ पक्ष 2018: किसको है श्राद्ध करने का अधिकार, जाने यहां | every thing of shradh which you want to know- who should do shradh | Patrika News

पितृ पक्ष 2018: किसको है श्राद्ध करने का अधिकार, जाने यहां

locationभोपालPublished: Sep 24, 2018 09:05:20 pm

इस बार श्राद्ध 24 सितंबर से शुरू होकर 08 अक्टूबर तक चलेंगे…

pitru paksha/shradh 2018

पितृ पक्ष 2018: किसको है श्राद्ध करने का अधिकार, जाने यहां

भोपाल। पितृ पूजन प्रत्येक घर के शुभ कार्य में प्रथम किया जाता है। जो कि नांदी श्राद्ध के रूप में किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन (क्वांर) की अमावस्या तक के समय को शास्त्रों में पितृपक्ष बताया है।

श्राद्ध पक्ष मुख्य रूप से 16 दिन चलता है। वहीं इस बार श्राद्ध 24 सितंबर से शुरू होकर 08 अक्टूबर तक चलेंगे। इस बार एक तिथि गल जाने यानि दो श्राद्ध एक ही दिन पड़ने से श्राद्ध pitru paksha puja vidhiकेवल 15 दिन ही चलेंगे।

पंडित सुनील शर्मा के मुताबिक विभिन्न पुराणों के अनुसार संतान के जन्म लेते ही उसके साथ तीन प्रकार के ऋण जुड़ जाते हैं। पितृ ऋण, देव ऋण और ऋषि ऋण। इनमें पितृ ऋण सर्वोपरि माना गया है इससे मुक्त होने के लिए संतान को अपने घर के मृत बुजुर्गों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए जिससे वे पुत नामक नरक pitru paksha puja vidhiके कष्टों से मुक्ति प्राप्त कर सकें।

क्या है श्राद्ध…
मान्यता के अनुसार अपने पितरों की स्मृति में श्रद्धापूर्वक किया गया दान आदि कर्म ही श्राद्ध है। कई जानकारों के अनुसार अपने पूर्वजों की स्मृति में दान भोजन दान के अलावा पेड़ लगाना, किसी असहाय की सहायता करना, रोगी की आर्थिक या शारीरिक सहायता करना, पुस्तक, वस्त्रदान करना भी श्राद्ध every thing of shradh के अंतर्गत ही आता है।

माना जाता है कि हर मास की अमावस्या पितरों की दोपहर होती है। दोपहर में ही भोजन किये जाने का नियम होने से हर अमावस्या को पितरों की तिथि मानकर अन्न आदि का दान करने का नियम है।

किसी मंगल कार्य के अवसर, ग्रहण काल, पूर्वजों की मृत्यु तिथि पर, तीर्थ यात्रा में भी श्राद्ध करना कल्याण कारक होता है। सूर्य के कन्या राशि में रहने के दौरान कन्या-गत या कनागत या श्राद्ध every thing of shradh मानने का नियम है।

श्राद्ध के नियम…
पंडित शर्मा के अनुसार कोर्इ किसी का भी श्राद्ध कर दे एेसा नहीं हो सकता, जैसे पैसों के मामले में अपना ऋण स्वयं चुकाना होता है उसी प्रकार अपने पूर्वजों से मिला संतति का कर्ज भी संतान को खुद ही चुकाना होता है।
श्राद्ध करने का अधिकार:
सामान्य रूप से श्राद्ध करने का पहला अधिकार मृतक के ज्येष्ठ पुत्र का होता है परंतु यदि वह ना हो अथवा वह श्राद्ध कर्म न करता हो तो छोटा पुत्र श्राद्ध कर सकता है।
यदि किसी परिवार में सभी पुत्र अलग-अलग रहते हों तो सभी को अलग अलग पितरों का श्राद्ध करना चाहिए। पुत्र ना होने की स्थिति में पौत्र या प्रपौत्र श्राद्ध कर सकता है। पुत्र की संतति ना होने की स्थिति में भार्इ श्राद्ध करने का अधिकारी हो सकता है।
स्त्रियों को भी अधिकार...
वैसे कुछ ग्रंथों में स्त्रियों को भी श्राद्घ करने का अधिकार दिया गया है। जैसे यदि पुत्र ना हो तो भार्इ से पहले मृतक की पत्नी का श्राद्घ करने का अधिकार माना गया है।

इसी तरह विवाह ना होने या पत्नी आैर संतान ना होने की स्थिति में मृतक की माता आैर बहन को भी श्राद्ध का अधिकार दिया गया है। यदि पुत्र ना या श्राद्घ कर्म ना कर सके तो पुत्र वधु को भी श्राद्घ करने का अधिकार है।

इनको भी है अधिकार
पुत्र के अलावा पौत्र आैर प्रपौत्र को भी दादा-दादी, या पर दादा आैर परदादी का श्राद्ध करने का हक है, लेकिन ये ना हों तो भाई-भतीजे व उनके पुत्र भी श्राद्ध कर सकते हैं। यदि एेसा संबंधी ना हो तो तब पुत्री पुत्र यानी दौहित्र श्राद्ध कर अपने पितरों का उद्धार करवा सकता है। इसी तरह बहन के पुत्र यानि भानजे को भी श्राद्ध का अधिकार दिया जा सकता है।

इन बातों का रखें ध्यान, मिलेगा पितरों का आशीर्वाद…
श्राद्ध महापर्व इस बार सोमवार यानि 24 सितंबर से शुरू हो गया है। इसके तहत पूर्णिमा तिथि पर दिवंगत हुई आत्माओं के मोक्ष के लिए लोगों ने तर्पण किया गया।

जानकारों के अनुसार पितृ पक्ष के पहले दिन अतृप्त आत्माएं, जिनकी मौत आकस्मिक हुई हो, देश के लिए शहीद हुए वीर जवानों को, प्राकृतिक आपदा में मारे गए आदि वे लोग जिनका कभी तर्पण या जलदान नहीं हुआ है, उन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध पक्ष के पहले दिन ब्राह्मणों ने एकत्रित होकर विधि विधान से तर्पण किया जाता है।

जानिये कैसा हो श्राद्ध का भोजन…
श्राद्ध का भोजन शुद्ध मन से स्नान आदि करके पकाएं, शुद्ध घी से पकाए गए खाद्य पदार्थ, दूध एवं शुद्ध घी से बने मिष्ठान, दही एवं उड़द की दाल का विशेष महत्व है।

यदि भोजन बनाने का समय न हो…
यदि घर में भोजन बनाकर श्राद्ध नहीं कर सकते हों, तो बाजार से तैयार भोजन देकर श्राद्ध कर सकते हैं। इसके अलावा नियत तिथि पर चावल- दूध, दही, जल, घी और फल का दान करके श्राद्ध कर सकते हैं।
श्राद्ध में जब ग्रहण का सूतक लगा हो या घर की स्त्री मासिक धर्म से हो तब भी बिना पकी भोजन सामग्री से श्राद्ध कर देना चाहिए।

ध्यान से उसमें कुश या तुलसी दल जरूर रख दें, लेकिन श्राद्ध के लिए नकद पैसे देना वर्जित होता है। यदि पैसे दें तो फल के साथ ही दें।

इस वक्त करें श्राद्ध…
श्राद्ध को सदा दोपहर से पहले ही संपन्न कर लेना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार श्राद्ध संगव काल में होता है। पूरे दिन के बराबर पांच हिस्से करें तो दूसरा हिस्सा संगव काल कहलाता है। यानि सुबह के नाश्ते के समय से दोपहर के भोजन के समय तक सुविधानुसार श्राद्ध कर सकते हैं।

ऐसे करें श्राद्ध…
सामने समस्त खाद्य पदार्थ परोस कर हाथ में जल, काले तिल, जौ, रोली, फूल लेकर पितरों को जलाजंलि देनी चाहिए। इसके बाद भोजन अग्नि को समर्पित करें। गाय, कौवा, कुत्ता और चिटियों को भोजन कराकर ब्राह्मणों को भोजन कराएं।

यदि ब्राह्मण न मिले तो…
जब ब्राह्मण न मिलें तो किसी आदरणीय व्यक्ति, नाती, बहनोई या कोई भी सदाचारी युवक, माता- पिता का सम्मान करने वाले निर्धन व्यक्ति, शिष्य, बंधु- बांधव और कोई भी गृहस्थ भोजन करने का अधिकारी होता है।

ये करें श्राद्ध के दिन…
सुबह स्नान अवश्य करें, इस दिन अपनी नित्य पूजा न छोड़ें। श्राद्ध के भेाजन में तुलसी के पत्ते रखने अनजानी भूल चूक का दोष नहीं लगता। इस दिन केले के पत्ते पर भोजन करना या कराना भी वर्जित है। श्राद्ध के लिए बर्तनों का ही प्रयोग करें।

किस स्थान पर करें श्राद्ध…
यदि श्राद्ध दूसरे के स्थान पर किया जाए तो उसके पितर आपके द्वारा किये गए श्राद्ध कर्म का विनाश कर देते हैं। घर में किये गए श्राद्ध का पुण्य तीर्थ स्थल पर किये गए श्राद्ध से आठ गुणा अधिक होता है। यदि विवशता के कारण दूसरे के घर या भूमि में श्राद्ध करना पड़े तो सबसे पहले उस भूमि का मूल्या या किराया उस भूमि के स्वामी को दें।

भूल से भी न करें ये…
क्रोध और कठोर भाषण से बचते हुए सबको भोजन कराने बाद ही भोजन करें। दिन में सोना, झूठ बोलना, युद्ध, वाद विवाद, अधिक भोजन, शराब पीना, जुआ खेलना, मैथुन, सिर या शरीर पर तेल लगाना भी वर्जित है।

जब न हो तिथि का ज्ञान
माताओं का श्राद्ध नवमी के दिन किया जाता है। शहीद, प्राकृतिक आपदा आदि में मारे गए और जिनका मृत शरीर न मिल पाने से दाह संस्कार न किया गया हो उनका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि को किया जा सकता है। अमावस्या को सभी पूर्वजों के निमित्त श्राद्ध कर सकते हैं।


इस वर्ष 2018 श्राद्ध तिथियां dates of shradh…
24 सितंबर 2018 को पूर्णिमा श्राद्ध
25 सितंबर 2018 प्रतिपदा श्राद्ध
26 सितंबर 2018 द्वितीय श्राद्ध
27 सितंबर 2018 तृतिया श्राद्ध
28 सितंबर 2018 चतुर्थी श्राद्ध
29 सितंबर 2018 पंचमी श्राद्ध
30 सितंबर 2018 षष्ठी श्राद्ध
1 अक्टूबर 2018 सप्तमी श्राद्ध
2 अक्टूबर 2018 अष्टमी श्राद्ध
3 अक्टूबर 2018 नवमी श्राद्ध
4 अक्टूबर 2018 दशमी श्राद्ध
5 अक्टूबर 2018 एकादशी श्राद्ध
6 अक्टूबर 2018 द्वादशी श्राद्ध
7 अक्टूबर 2018 त्रयोदशी श्राद्ध, चतुर्दशी श्राद्ध
8 अक्टूबर 2018 सर्वपितृ अमावस्या।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो