वजह प्रदेश में लचर स्वास्थ्य सुविधा, दूसरे राज्यों से कम वेतन, सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा व संसाधन की कमी और पदोन्नति के सबसे कम अवसर मिलना है। इसका असर यह है कि यहां सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ ही नहीं हैं। न्यूरोसर्जन एक भी नहीं तो किडनी के सिर्फ पांच विशेषज्ञ हैं। हार्ट, पेट और लिवर के डॉक्टर भी अस्पतालों में नहीं हैं।
मानक से कहीं कम: डब्लूएचओ मानकों के अनुसार एक हजार की आबादी पर एक डॉक्टर चाहिए। प्रदेश में यह आंकड़ा 3250 है। ग्रामीण क्षेत्रों में 20 से 25 हजार की आबादी पर एक डॉक्टर है।
ये हैं बड़े कारण : अन्य राज्यों में वेतन दो गुना ज्यादा
अस्पतालों में बेहतर सुविधाएं
निजी प्रैक्टिस की संभाावनाएं भी कम
अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था नहीं
1.20 करोड़ लोग बढ़े, डॉक्टर सिर्फ 4000
वर्ष 2002 से अब तक मप्र की जनसंख्या में 1.20 करोड़ का इजाफा हुआ है, लेकिन डॉक्टरों की संख्या 4000 ही बढ़ी। 2002 में मप्र की जनसंख्या 6.40 करोड़ थी और डॉक्टर 20098 थे। 2017 में जनसंख्या 7.80 करोड़ पहुंच गई, लेकिन डॉक्टर 24004 ही हो पाए।
पदनाम – स्वीकृत – पदस्थ – कार्यरत
विशेषज्ञ – 3195 – 1210 – 1063
ऑफिसर -3859 – 2989 – 2506 वर्ष – मप्र में डॉक्टर – जनसंख्या
2002 – 20098 – 6.40 करोड़
2015 – 24004 – 7.80 करोड़
2011 – 890 – 376
2012 – 951 – 769
2013 – 1119 – 870
2014 – 1019 – 933
2015 – 1129 – 814
2016 – 1538 – 824
2017 1635 982
राज्यवार तस्वीर ऐसी
प्रदेश डॉक्टर
महाराष्ट्र127000
कर्नाटक 75841
आंध्र प्रदेश 55566
उत्तर प्रदेश 61829
गुजरात 41877
पंजाब 36500
बिहार 36081
मध्यप्रदेश 24004
डॉ. ललित श्रीवास्तव, संरक्षक, मप्र मेडिकल ऑफिसर्स
दूसरे राज्यों में सुविधाओं के साथ पे स्केल बेहतर है। मैं 2008 में महाराष्ट्र आया था। मेरी सैलरी मप्र के डॉक्टर से दो गुनी है।
डॉ. नरेंद्र सिंह, अस्थि रोग विशेषज्ञ, पुणे