यह मामला पॉवर के गलत इस्तेमाल कर प्रताड़ित करने का है। कोर्ट ने थाई मूल की महिला अनीशा दत्त और उनके 3 बच्चों के खिलाफ पुलिस की ओर से कोई भी कठोर कार्रवाई करने से रोक लगा दी है। पॉवरफुल ससुर ने यह केस मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, मणिपुर, मेघालय, सिक्किम, त्रिपुरा और नागालैंड में दर्ज कराएं हैं।
सीनियर आईपीएस हैं खुराना
मामले के मुताबिक सीनियर आईपीएस आरजे खुराना डीजीपी रह चुके हैं। उनके बेटे आशु दत्त और उनकी बहु अनीशा दत्त दस सालों से साथ रहते थे।
19 साल बाद हुआ विवाद
19 साल तक सब कुछ ठीक चला। उसके बाद पति-पत्नी के बीच विवाद शुरू हो गया। दत्त दंपती के तीन बच्चे भी हैं। लेकिन कटुता इतनी बढ़ी की दोनों ही साथ रहने को तैयार नहीं हैं। इसके बाद दोनों अलग-अलग रहने लगे।
इस बीच, जब बेटे और बहू का विवाद चरम पर था तब ससुर ने भी बहू से पीछा छुड़ाने के लिए प्रताड़ना शुरू कर दी। प्रताड़ना का दौर कुछ ऐसा चला कि 9 राज्यों में बहू के खिलाफ 45 केस लाद दिए गए।
थाई मूल की अनीशा का परिवार ढाई सौ साल पहले भारत से थाईलैंड में बस गया था। वह एक अमीर घराने की बेटी है। इसलिए महाराष्ट्र के मुंबई में भी उसकी 7 कंपनियां हैं। सातों कंपनियां वो खुद संचालित करती है।
बताया जाता है कि सेवानिवृत्त डीजीपी ने अपने रसूख का इस्तेमाल बहू को प्रताड़ित करने में इसलिए भी किया कि वे बहु की दौलत हड़पना चाहते थे। उन्होंने बहु की अकूत संपत्ति को छीनने की मंशा से बहू को अपराधी तक साबित कराने के लिए जी-जान एक कर दी थी।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के हबीबगंज थाने में प्रताड़ना का सिलसिला 7 साल पहले ही शुरू हो गया था। ससुर आरजे खुराना ने थाने में रिपोर्ट लिखाई की अनीशा हमारे कागजात चुराकर मुंबई में सात कंपनियों की मालकिन बन गई है।
भोपाल में दर्ज हुए इस अपराध को निरस्त कराने के लिए भोपाल के सेशन कोर्ट से झटका खाकर अनीशा को हाईकोर्ट जाना पड़ा। यहां अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने अनीशा की समस्या सुनी। सिंह ने भी इसके लिए महिला हितैषी संगठन की मदद ली।
महिला संगठन ने लड़ी जंग
इसके बाद इंडिया वूमेन्स कांफरेंस की अध्यक्ष गीता शरत तिवारी को अनीशा की शिकायत सौंप दी गई। इसका अध्ययन करने के बाद तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में पीएलआई लगा दी। वह 1927 से महिला हित में आवाज उठाने वाली इस संस्था की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने पीड़ित बहु अनीशा दत्त और तीन बच्चों पर कोई कार्रवाई नहीं करने का आदेश पारित कर दिया। अब बहु अपने बच्चों के साथ राहत महसूस कर रही हैं।
सुप्रीम कोर्ट के मख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली 3 सदस्यीय न्यायपीठ ने यह फैसला दिया है। कोर्ट ने आल इंडिया वूमेन्स कांफरेंस की जबलपुर इकाई की अध्यक्ष गीता शरत तिवारी की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश दिया है। जबलपुर के अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने पीड़िता की ओर से अपना पक्ष रखा।
इस मामले में कोर्ट ने केंद्र शासन के गृह सचिव, महाराष्ट्र शासन के गृह सचिव, मुंबई के पुलिस कमिश्नर, ज्वाइंट कमिश्नर (क्राइम), मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव और डीजीपी (मुख्यालय) को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है।