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लघु वनोपज संघ के पूर्व अध्यक्षों ने उड़ाया पैसा तो सरकार ने लगाई विकास निधि पर रोक

locationभोपालPublished: Nov 17, 2019 08:55:59 am

Submitted by:

Ashok gautam

कई पूर्व अध्यक्षों ने इस पैसे का किया दुरुपयोग, सहकारिता विभाग ने लगाई अध्यक्षीय कोटे पर रोक

लघु वनोपज संघ के पूर्व अध्यक्षों ने उड़ाया पैसा तो सरकार ने लगाई विकास निधि पर रोक

लघु वनोपज संघ के पूर्व अध्यक्षों ने उड़ाया पैसा तो सरकार ने लगाई विकास निधि पर रोक

भोपाल। मध्य प्रदेश लघु वनोपज संघ में अध्यक्षों को मिलने वाली विकास निधि से होने वाली फिजूलखर्ची पर सरकार ने रोक लगा दी है। सरकार अध्यक्षीय विकास निधि कोटा समाप्त करने की तैयारी कर रही है। इस प्रस्ताव पर संघ के वार्षिक महासभा (एजीएम) की बैठक में मुहर लगा दी गई है।

अब संचालक मंडल की बैठक में इस प्रस्ताव को पास करके शासन के पास भेज दिया जाएगा। वनोपज संघ के कई पूर्व अध्यक्षों पर अध्यक्षीय कोटे की विकास निधि के दुरूपयोग और फर्जीवाड़े का मामला ऑडिट में सामने आया था, जिसकी विशेष जांच की जा रही है। सहकारिता विभाग ने इसके बाद विकास निधि देने पर आपत्ति जताई है।

लघु वनोपज संघ तेंदूपत्ता लाभांश की राशि से लगभग 50 करोड़ रूपए प्रति वर्ष अध्यक्षीय कोटे के लिए राशि देता रहा है। इस निधि से संघ के अध्यक्ष तेंदूपत्ता श्रमिकों के क्षेत्रों में सड़क, बिजली, पानी, पुल-पुलिया सहित अन्य विकास कार्यों कराते हैं। पिछले कई वर्षों से यह देखा गया कि अध्यक्ष आदिवासी क्षेत्रों में यह राशि खर्च न कर इसे शहरी क्षेत्रों में अथवा अपने चेहते नेताओं के क्षेत्र में खर्च कर रहे थे।

इसके अलावा विकास निधि के पैसे से राजनैतिक कार्यक्रम कराने और होर्डिंग्स लगाने की जानकारी सामने आई है। बताया जाता है कि लघु वनोपज संघ ने अध्यक्ष को उपकृत करने के लिए मनमाने तरीके से संचालक मंडल की बैठक में अध्यक्षीय कोटे का प्रावधान कर लिया था। संघ ने इस फैसले की जानकारी सहकारिता विभाग को भी नहीं दी थी।

साढ़े 11 करोड़ का प्रस्ताव अंटका

लघु वनोपज संघ में अध्यक्षीय कोटे से साढ़े 11 करोड़ रुपए के विकास कार्य करने का प्रस्ताव मौजूदा अध्यक्ष वीरेन्द्र गिरी ने संघ के पास भेजा था,यह प्रस्ताव भी अब ठंडे बस्ते में चला गया है। वीरेन्द्र गिरी ने विकास निधि से धार जिले के अलग-अलग क्षेत्रों में कई विकास कार्य कराने के लिए प्रस्ताव भेजा था। सहकारिता विभाग ने इस प्रस्ताव पर रोक लगा दी है।

सरकार के पास होगा अध्यक्षीय कोटा

अध्यक्षीय कोटे की राशि का खर्च अब सरकार करेगी। सरकार तय करेगी कि लाभांश से मिलने वाली राशि को किस आदिवासी क्षेत्र में तथा किस कार्य में खर्च की जाएगी। इसके लिए प्रदेश स्तर पर प्लान तैयार किया जाएगा और डीएफओ के माध्यम से सरकार के पास विकास कार्यों के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाएगा। सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद ही राशि खर्च की जाएगी।

अध्यक्ष के लिए इस तरह बनाया कोटा

संघ को तेन्दू पत्ता सहित अन्य वन उपज से सालाना औसतन 700 करोड़ रुपए होती है। इसमें से 70 फीसदी यानि 490 करोड़ रुपए वन उपज संग्राहकों में बांटे जाते हैं। इसके बाद 15 फीसदी यानि 105 करोड़ वनों के विकास और संरक्षण और शेष 105 करोड़ से आदिवासी और जंगलों में रहने वाले वनवासियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रावधान है। तत्कालीन संंघ के एमडी सहित पदाधिकारियों ने संचालक मंडल में प्रस्ताव पास कर आदिवासी और वनवासियों के 105 करोड़ में से 25 फीसदी राशि जो कि लगभग 26 करोड़ 25 लाख रुपए होती है को अध्यक्षीय कोटे में शामिल कर लिया।

वर्जन-
लघुवनोपज संघ की वार्षिक महासभा की बैठक में अध्यक्षीय कोटे की विकास निधि बंद करने का प्रस्ताव पास किया गया है। अब यह प्रस्ताव संचालक मंडल की बैइक में रखा जाएगा। – एसके मंडल, एमडी मप्र लघु वनोपज संघ

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