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भाजपा शासनकाल में नहरों के ठेकों पर बैठाई जांच, दस फीसदी से कम रेट वाले टेंडरों की खोली फाइलें

locationभोपालPublished: Dec 10, 2019 08:58:37 am

– नहरों का खेल : पिछले १५ साल के घोटालों पर सख्ती, आर्थिक गड़बडि़यों की फाइलें भी तलब

अधूरे पड़े काम पूरे करने को पैसा नहीं, फिर भी लगा दिए 70 करोड़ से ज्यादा के टेंडर

अधूरे पड़े काम पूरे करने को पैसा नहीं, फिर भी लगा दिए 70 करोड़ से ज्यादा के टेंडर

भोपाल। पिछले पंद्रह साल में भाजपा शासनकाल के समय हुए नहरों और सिंचाई के ठेकों पर कमलनाथ सरकार ने जांच बैठा दी है। इसके तहत दस फीसदी से कम रेट देने वाले ठेकों की जांच का फैसला किया गया है। इससे संबंधित टेंडरों की फाइल खोल दी गई है, जिसके तहत अब मैदानी निरीक्षण करके कामों और भुगतानों की स्थिति जांची जाएगी। इसके अलावा दस करोड़ तक के ठेकों की भी जांच की जा रही है। इसमें जहां आर्थिक गड़बडि़यां हुई थी, उन मामलों को भी देखा जा रहा है।

दरअसल, हर निर्माण कार्य या परियोजना में सरकार के स्तर पर एक बेस-रेट रखा जाता है, जो टेंडर निविदा जारी करते समय रखा होता है। इससे कम प्राइज रेट देने वाले ठेकेदारों को टेंडर दिया जाता है। इसके तहत पंद्रह सालों में एेसे सैकड़ों ठेकों हुए हैं, जिनमें ठेकेदारों ने दस फीसदी से कम रेट दिया और टेंडर पा लिया। कमलनाथ सरकार ने समीक्ष में पाया है कि इन ठेकों को के काम और भुगतान को लेकर फाइलों में पूरा ब्यौरा दर्ज नहीं है। इसलिए अब इन मामलों की जांच करना तय किया गया है।

इसे लिए जल संसाधन विभाग ने सभी जिलों से पूरी रिपोर्ट तलब कर ली है। पिछले पंद्रह साल में दिए गए नहरों व सिंचाई परियोजनाओं के ठेकों की जांच शुरू कर दी गई है। इसमें कहां दस फीसदी बेस-रेट से कम ठेका दिया गया और उसमें क्या स्थिति पाई गई इसे लेकर मौजूदा फाइल की जांच के साथ मैदानी निरीक्षण भी होगा। यदि कोई काम दस साल पहले भी पूरा हुआ है, तो भी उसकी मैदानी जांच की जाएगी। इसके लिए अफसरों की जवाबदेही भी तय की जा रही है।

आर्थिक गड़बड़ी की फाइलें भी तलब- सरकार ने आर्थिक गड़बड़ी वाले प्रकरणों की फाइलें भी खोलना तय किया है। इसमें कैग व ग्वालियर एजी की रिपोर्ट में आई आपत्तियों से लेकर बड़े मामलों की शिकायतें शामिल हैं। जिन सिंचाई परियोजनाओं में ज्यादा भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं, उनकी जांच करना भी तय किया गया है।

नहरों के एलाइमेंट बदले- प्रदेश में एेसी अनेक नहरों की जांच की जानी है, जिनके एलाइमेंट प्रभावशीलों के कारण बदलने की शिकायत मिली है। इसमें ग्वालियर-चंबल से लेकर मालवा-निमाड़ अंचल में बनाई गई परियोजनाएं शामिल हैं। इन शिकायतों की जांच की जानी है।

करोड़ों का हो चुका है भ्रष्टाचार-

दरअसल, जल संसाधन विभाग के तहत नहरों के निर्माण व सिंचाई परियोजनाओं में करोड़ों का भ्रष्टाचार पूर्व में भी उजागर हो चुका है। बरगी, पेंच, बाणसागर, राजघाट सहित अन्य परियोजनाओं में गड़बड़ी के मामले पिछले १५ सालों में कई बार सामने आए। अगस्त से सितंबर २०१८ के बीच तत्कालीन शिवराज सरकार ने भी सिंचाई परियोजनाओं में करोड़ों की गड़बडि़यों को पाया था। उस समय इसकी जांच के भी आदेश दिए गए थे, लेकिन बाद में मामले को दबा दिया गया। इसके अलावा कैग रिपोर्ट में भी हर बार सिंचाई परियोजनाओं में भारी भ्रष्टाचार पर सवाल उठाया गया है।

इनका कहना-

पिछली भाजपा सरकार के समय जमकर भ्रष्टाचार हुआ है। जो भी भ्रष्टाचार हुआ है और जिनकी भी शिकायतें मिली हैं, उन सबकी जांच की जाएगी। कोई दोषी पाया जाता है, तो उस पर कार्रवाई भी होगी। – हुकुम सिंह कराड़ा, मंत्री, जल संसाधन विभाग, मप्र

 

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