विदेशों में इस बात का अध्ययन होता है कि कौन से पौधे हमारे पर्यावरण लिए उपयोगी हैं कौन से नहीं है, लेकिन देश में इस पर अभी तक कोई काम नहीं हुआ है। यह कहना है कि पर्यावरणविद् प्रदीप कृष्णन।
प्रदीप कृष्णन भोपाल लिट्ट्रेचर एंड आर्ट फेस्टिवल कार्यक्रम में हिस्सा लेने भोपाल आए हुए थे। ये है पत्रिका से प्रदीप कृष्ण की बात-चीत का अंश। प्रश्न – देश में कितने ऐसे खतरनाक पौधे हैं, जो पर्यावरण और मिट्टी को नुकासन पहुंचा रहे हैं।
उत्तर- शो बबूल, लोनटाना, विलपानी सहित करीब पांच पौधे हैं। हालांकि इस तरह के पौधों के परीक्षण करने के लिए देश में कोई काम अभी तक नहीं हुआ है।
उत्तर- शो बबूल, लोनटाना, विलपानी सहित करीब पांच पौधे हैं। हालांकि इस तरह के पौधों के परीक्षण करने के लिए देश में कोई काम अभी तक नहीं हुआ है।
प्रश्न- प्रदेश में नर्मदा के किनारे एक दिन में सवा 6 करोड़ पौधे रोपे गए, क्या एेसा संभव है।
उत्तर – इतनी संख्या में एक दिन में पेड़ लगाने के लिए पहले प्लान करना जरूरी है। पौधरोपण से पहले नर्सरी में पेड़ तैयार करना पड़ता है। नीबू, आमरूद सहित अन्य पौधे लगाने को पौधरोपण नहीं कहते हैं।
उत्तर – इतनी संख्या में एक दिन में पेड़ लगाने के लिए पहले प्लान करना जरूरी है। पौधरोपण से पहले नर्सरी में पेड़ तैयार करना पड़ता है। नीबू, आमरूद सहित अन्य पौधे लगाने को पौधरोपण नहीं कहते हैं।
प्रश्न – नदियां धीरे-धीरे सूखती जा रही हैं, इसकी क्या वजह हो सकती है।
उत्तर- नदियां सूखने की सबसे बड़ी बजह पेड़ों की कटाई और नदियों के किनारे पर्याप्त मात्रा में पौधरोपण न होना है। पेड़ ही नदियां की धार को रोकने से बचाने हैं
उत्तर- नदियां सूखने की सबसे बड़ी बजह पेड़ों की कटाई और नदियों के किनारे पर्याप्त मात्रा में पौधरोपण न होना है। पेड़ ही नदियां की धार को रोकने से बचाने हैं
प्रश्न- हमारे देश में पौधों की विकास दर कम क्यों है।
उत्तर- हमारे यहां वन प्रबंधन पर कोई काम नहीं हुआ। कौन सा पौधा, किस तरह की मिट्टी में लगाना है। इसका कोई सिस्टम तैयार नहीं हुआ है। कहीं भी कोई पौधे लगा दिए जाएंगे तो ये कैसे बड़े होंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि यूके लिप्टिस आट्रेलियाई पौध है। ये वहां दलदल को दूर करने के लिए लगाया जाता है, लेकिन यहां कहीं भी लगाया जा रहा है, जिससे जमीन के अंदर का पानी गायब हो रहा है।
प्रश्न- रियल स्टेट अथवा बड़े प्रोजेक्ट धरातल में आने से पहले वहां से पेड़ों की शिफ्टिंग की जाती है, लेकिन ये सूख जाते हैं क्यों।
उत्तर – पेड़ों की शिफ्टिंग बहुत ही मुश्किल का काम हैं। वैज्ञानिक तरीके से पेड़ों की शिफ्टिंग नहीं होने वे सूख जाते हैं।
उत्तर- हमारे यहां वन प्रबंधन पर कोई काम नहीं हुआ। कौन सा पौधा, किस तरह की मिट्टी में लगाना है। इसका कोई सिस्टम तैयार नहीं हुआ है। कहीं भी कोई पौधे लगा दिए जाएंगे तो ये कैसे बड़े होंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि यूके लिप्टिस आट्रेलियाई पौध है। ये वहां दलदल को दूर करने के लिए लगाया जाता है, लेकिन यहां कहीं भी लगाया जा रहा है, जिससे जमीन के अंदर का पानी गायब हो रहा है।
प्रश्न- रियल स्टेट अथवा बड़े प्रोजेक्ट धरातल में आने से पहले वहां से पेड़ों की शिफ्टिंग की जाती है, लेकिन ये सूख जाते हैं क्यों।
उत्तर – पेड़ों की शिफ्टिंग बहुत ही मुश्किल का काम हैं। वैज्ञानिक तरीके से पेड़ों की शिफ्टिंग नहीं होने वे सूख जाते हैं।