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प्रदेश के 7 सहकारी बैंकों में किसानों को नहीं मिल रह नकद

locationभोपालPublished: Oct 09, 2019 08:52:29 am

Submitted by:

Ashok gautam

प्रदेश के 7 सहकारी बैंकों में किसानों को नहीं मिल रह नकददतिया, मुरैना और रायसेन बैंक में न खाद-बीज मिल रहा है और न नकद ऋण

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भोपाल। प्रदेश के 13 जिला सहकारी बैंकों की माली हालत बेहद खराब है। इन में से ७ बैंकों के खाते में पैसे ही नहीं हैं। ये बैंक किसानों को खाद-बीज के अलावा नकद ऋण नहीं दे रहे हैं। दर असल यह मामला सहकारिता विभाग के वीडियो कान्फ्रेंसिंग के दौरान सामने आया है।
बैंकों में ऋण नहीं मिलने से लाखों किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इन बैंकों की माली हालत खराब होने से यह स्थिति पिछले एक साल से बनी हुई है। जबकि दतिया, ग्वालियर और रायसेन सहकारी बैंकों में किसानों को न तो नकद ऋण मिल रही है और न ही उन्हें खाद, बीज सहित अन्य वस्तु ऋण मिल रहा है।

जिला सहकारी बैंक सतना, सागर, भिंड, पन्ना, टीकमगढ़, दमोह, जबलपुर में किसानों को सिर्फ खाद, बीज सहित अन्य वस्तु ऋण मिल रहा है। इन बैंकों ने किसानों को नकद ऋण देने से हाथ खड़े कर दिए हैं, क्योंकि इनके पास पैसे ही नहीं हैं।
इन बैंकों को सरकार से आर्थिक मदद की जरूरत है। इन बैंकों में माली हालत खराब होने से एक दर्जन से अधिक जिलों के लाखों किसानों मजबूरी में व्यावसायिक बैंकों और साहूकारों का सहारा लेना पड़ रहा है।
तीन बैंकों में सीमित कर्ज

रीवा, सीधी और मुरैना जिला सहिकारी बैंक किसानों पर्याप्त मात्रा में नकद ऋण नहीं कराई जा रही है। किसानों को ऋण के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है। इन जिला बैंकों के क्षेत्र में आने वाले किसानों को ऋण लेने के लिए नेताओं और अफसरों की सिफारिश लगवानी पड़ रही है।

अन्य बैंकों से ऋण लेने में भी दिक्कत
किसानों को अन्य बैंकों से भी ऋण लेने में दिक्कत आ रही है। क्योंकि किसानों ने अपने जमीन की ऋण पुस्तिका व अन्य दस्तावेज सहकारी बैंकों में जमा कर खा है। जब ये व्यावसायिक बैंकों में ऋण लेने जाते हैं वे इनसे जमीन का दस्तावेज मांगते हैं। जो बड़े किसान हैं वे दूसरी जमीन अथवा प्रापर्टी को गिरवी करके व्यावसायिक बैंकों से ऋण ले लेते हैं, लेकिन छोटे किसानों के पास एक-दो एकड़ जमीन होने के कारण उन्हें ऋण लेने में दिक्कत हो रही है।

वसूली नहीं होने से वित्तीय गड़बड़ाई
इन बैंकों की वित्तीय स्थिति खराब होने की मुख्य वजह खुद वहां का प्रबंधन है। इन बैंकों ने कर्जदारों से पुरानी रिकवरी नहीं की। इसके साथ ही लोगों से पैसा डिपाजिट कराने में रुचि नहीं ली। लोगों को व्यावसायिक सहित अन्य कार्यों के लिए लोन नहीं दिया।

इस तरह के कुछ मामले मेरे सामने आए हैं। किसानों को ऋण उपलब्ध कराने के संबंध में इन बैंकों को रजिस्ट्रार सहकारिता ने कुछ दिशा निर्देश दिए हैं।
– अजीत केसरी, प्रमुख सचिव, सहकारिता विभाग

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