नाटक की शुरुआत मवई गांव के भीमानायक से होती है, जहां साहूकार गांव के लोगों पर अत्याचार करता है, इसी बीच मवई पर अंग्रेजी सरकार भी लोगों पर शोषण करने लगती है। इसी बीच भीमनायक के पिता रामा को लूट-पाट और हथियार बनाने के जुर्म में हत्या कर देते है। इस दुर्घटना से भी बुरी तरह टूट जाता है, इसी बीच मालवा राज्य के सिपाही दौलत से मुलाकात होती है और वह अंग्रेजों के खिलाफ गांव के लोगों को एकत्रित करता है। गांव वालों को युद्ध के लिए प्रशिक्षण देता है। वहीं अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ाई जारी कर देता है। इस लड़ाई में उसकी मां सुरसी व अन्य साथी को पकड़कर मंडलेश्वर जेल में बंदी बनाकर मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताडि़त करते है। लेकिन सुरसी तमाम परेशानियों को सहन करने के बाद भी भीम का पता नहीं बताती, और अपना दम तोड़ देती है।
सादिया बताता है भीमा का पता