भूमि अधिग्रहण के लिए कलेक्टर जिला स्तर पर फसलों के उत्पादन के आधार पर नीति तैयार करेंगे। भूमि अधिग्रहण में यह देखा जाएगा कि जिस जमीनों पर रेत खदानों तक पहुंच मार्ग बनाए जाएंगे उसमें एक साल में कितनी फसलें ली जा रही हैं, उस क्षेत्र के फसलों का उत्पादन का प्रतिशत क्या है। इस आधार पर भूमि अधिग्रहण की नीति तैयार की जाएगी।
खनिज विभाग ने ठेकेदारों से कहा है कि वे इस तरह की खदानों के पहुचं मार्ग वाली निजी भूमि को चिंहित कर उसका प्रस्ताव स्थानीय कलेक्टरों के साथ खनिज विभाग को भी भेजे। वहीं कलेक्टरों को मार्च अप्रैल तक भूमि अधिग्रहण करने के संबंध में कहा गया है।
इधर इस मार्ग में अगर कहीं निजी रेत की खदान आती है तो उसे पर्यावरण तथा माइनिंग प्लान और पर्यावरण की अनुमति दिलाने में किसानों का सहयोग करने के लिए खजिन अधिकारियों को कहा गया है। गौरतलब हो कि रेत ठेकेदारों ने ठेकेदारों की प्रदेश स्तरीय बैठक में भूमि अधिग्रहण करने की मांग सरकार के समक्ष रखी थी।
रेत चोरी की सूचना अधिकारियों को देंगे ठेकेदार
रेत की चोरी रोकने के लिए ठेकेदार टोल नाके लगा सकेंगे। लेकिन नाकों पर अवैध रेत परिवहन पकड़े जाने पर ठेकेदार इसकी सूचना जिला खनिज अधिकारी और पुलिस को देंगे। वे अपने स्तर पर कोई भी कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा खदानों पर भी कैमरे लगाने और उसकी निगरानी का भी काम ठेकेदारों को ही करना होगा। इसके लिए खनिज विभाग जल्द ही दिशा-निर्देश जारी करेगा।
रेत की चोरी रोकने के लिए ठेकेदार टोल नाके लगा सकेंगे। लेकिन नाकों पर अवैध रेत परिवहन पकड़े जाने पर ठेकेदार इसकी सूचना जिला खनिज अधिकारी और पुलिस को देंगे। वे अपने स्तर पर कोई भी कार्रवाई नहीं कर सकेंगे। इसके अलावा खदानों पर भी कैमरे लगाने और उसकी निगरानी का भी काम ठेकेदारों को ही करना होगा। इसके लिए खनिज विभाग जल्द ही दिशा-निर्देश जारी करेगा।
मुख्य मार्गों से रेत खदानों तक वाहनों के आने-जाने के लिए निजी भूमि का अधिग्रहण करने के लिए कलेक्टरों को कहा गया है। इसके साथ ही ठेकेदारों को कुछ स्थानों पर नाके बनाने की अनुमति दी जाएगी, लेकिन अवैध परिवहन की सूचना वे खनिज अधिकारियों को देंगे।
प्रदीप जायसवाल, मंत्री, खनिज साधन विभाग