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हंगामाः दूध से नहाने लगा किसान, सब्जी का भी किया नुकसान

locationभोपालPublished: May 29, 2019 02:32:58 pm

Submitted by:

Manish Gite

भोपाल में बुधवार को किसान आंदोलन कर रहे किसानों ने पहले तो सड़कों पर सब्जी फेंक दी, फिर दूध से किसान नहाने लगा। फिलहाल यहां सब्जी और दूध की सप्लाई पर विशेष फर्क नहीं पड़ा है, माना जा रहा है कि एक दो दिन बाद असर दिख सकता है…।

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हंगामाः दूध से नहाने लगा किसान, सब्जी का भी किया नुकसान

भोपाल। मध्य प्रदेश ( madhya pradesh ) में किसानों ने एक बार फिर दूध को सड़कों पर बहा दिया और सब्जियों का भी नुकसान कर दिया। भोपाल के भानपुरा में किसानों ने ऐसा प्रदर्शन किया है। इसके अलावा एक किसान ने दूध से नहाकर अजीबोगरीब प्रदर्शन किया।
मध्यप्रदेश की राजधानी स्थित भानपुरा में किसानों ने बुधवार को सड़कों पर सब्जी और दूध फेंककर प्रदर्शन किया। इसके अलावा एक किसान ने दूध से नहाते हुए प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन की काफी निंदा भी की जा रही है। गौरतलब है कि पिछले साल भी किसानों की उपज बर्बाद करने के बाद कई किसानों ने गरीब बच्चों और बेसहारा लोगों को यह उपज मुफ्त में देने की पहल की थी।
उधर, किसानों का दावा है कि मध्यप्रदेश के देवास, धार, उज्जैन और राजगढ़ जिलों में भी इसी प्रकार का आंदोलन चल रहा है। हालांकि भोपाल में सब्जी और दूध की आपूर्ति सुचारू रूप से चल रही है।

सीएम के साथ चल रही है बैठक
उधर, भारतीय किसान यूनियन के नेता शिवकुमार शर्मा ( कक्काजी) के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री कमलनाथ से मुलाकात की। समन्वय भवन में कक्काजी ने किसानों के मुद्दे पर चर्चा की। कक्काजी के नेतृत्व में भी किसान आंदोलन करने की चेतावनी दे चुके हैं। यह लोग मुख्यमंत्री से बैठक करने के बाद हड़ताल पर जाने का निर्णय करेगा।


इधर, किसानों के एक गुट ने बुधवार सुबह से ही आंदोलन छेड़ दिया और अपनी उपज को नष्ट करना शुरू कर दिया। भारतीय किसान यूनियन के महामंत्री अनिल यादव का आरोप है कि किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया। दो लाख तक का कर्ज माफ किए जाने का वायदा किया गया था। किसानों को अब भी बैंक के नोटिस मिल रहे हैं। किसानों को डिफाल्टर घोषित किया जा सकता है। इन हालातों में किसानों की आत्महत्या भी बढ़ सकती है।

 

कृषि मंत्री से वार्ता विफल
मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री सचिन यादव के साथ किसान नेताओं ने मंगलवार रात को बातचीत की, लेकिन वह वार्ता विफल रही। इसके बाद बुधवार सुबह से किसानों ने यह आंदोलन शुरू कर दिया।


दो साल पहले हुआ था बड़ा आंदोलन
6 जून 2017, वो तारीख, जिसने मध्यप्रदेश के इतिहास में दर्ज होकर एक गहरा जख्म छोड़ दिया था। कुछ भड़काऊ मोबाइल एसएमएस और सोशल मीडिया पर वायरल हुए मैसेजेस से शुरू हुआ यह बवाल 7 लोगों की मौत और भयानक हिंसा के साथ खत्म हुआ था। पुलिस चौकियों को आग लगा दी गई थी, रेल की पटरियों को उखाड़ दिया गया था और सड़कों पर चलने वाली गाड़ियों को फूंक दिया गया था।

 

क्या है मांग
-स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू की जाए।
-कृषि को लाभ का धंधा बनाया जाए।
-मंडी में उपज समर्थन मूल्य से नीचे दाम पर बिकने पर रोक लगे।
-सरकार की तरफ से किसान कर्ज माफी स्पष्ट हो।
-2 लाख तक कर्ज माफी में सभी किसानों को समानता से राशि दी जाए।
-फसल बीमा योजना में सुधार किया जाए।
-मंडी में बेची गई उपज का दाम नकदी में हो।

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