इसके साथ ही इनसे करीब सौ फसलें प्रभावित हुई हैं। इन कीटों से फसलें बचाना कृषि विभाग के लिए एक चुनौती बन बनती जा रही है, क्योंकि इनका प्रभाव साल दर साल बढ़ता चला जा रहा है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार एफएडब्ल्यू कीटों के प्रकोप से प्रदेश में 2019 में एक लाख 22 हजार हेक्टेयर फसलें बर्बाद हुई हैं।
FAW कीट का प्रकोप बारिश और गर्मी मौसम में तैयारी की जाने वाली फसलों में सबसे ज्यादा होता है। इसके चलते कृषि विभाग ने इन इन कीटों से फसलों को बचाने के लिए किसानों को एडवाइजरी जारी कर रहा है। हालांकि इन कीटों को नष्ट करने के लिए किसानों को दवाइयां उपलब्ध कराने की व्यवस्था की गई है, लेकिन इससे जमीन और फसलों में पेस्टिसाइड की मात्रा ज्यादा घुल रही है।
फसलों पर पेस्टिसाइड का छिड़काव इस कीट को देश से समाप्त करने का कोई स्थाई हल भी नहीं बन पा रहा है। इसको लेकर कृषि विभाग और कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर सहित देश के अन्य विश्वविद्यालय इस कीट को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए पिछले एक साल से शोध करने में लगे हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार छिंदवाड़ा, बैतूल जिले और मालवा के कुछ जिले में एफएडब्ल्यू का सबसे ज्यादा प्रकोप रहा है।
100 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ते हैं कीट
एफएडब्ल्यू कीट अन्य कीटों की तुलना में सबसे ज्यादा उड़ते हैं। हवा का रुख और बहाव मिलने पर ये सौ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से इनकी उडऩे की छमता बढ़ जाती है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार ये कीट साउथ अमेरिका से अफ्रीका में आए और इसके बाद देश में प्रवेश कर गए। कीटों ने प्रदेश में महाराष्ट्र राज्य की सीमा क्षेत्र की तरफ से प्रवेश किया है। इसके चलते इस कीट ने छिंदवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा फसलों को नष्ट किया है।
फेरोमोन ट्रेप से कीटों पर नियंत्रण
इस कीट से फसलों को बचाने के लिए फेरोमोन ट्रेप सहारा लिया जा रहा है। फेरोमोन मादा कीटों से मिलती-जुलती एक गंध वाली कैप्सूल होती है, जो नर कीटों को अपनी ओर आकर्षित करती है। कैप्सूल को एक जाली में रख दिया जाता है। इसकी गंध से कीट जाली के अंदर आ जाते हैं और इसके बाद कीटनाशक दवा से उन्हें मार दिया जाता है। इस तकनीकी से मादा कीटों को मार कर इनकी जनसंख्या में नियंत्रण करने का प्रयास किया जा रहा है। इस तकनीक से मिट्टी और पानी को पेस्टिसाइड से बचाया जा रहा है।
100 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ते हैं कीट
एफएडब्ल्यू कीट अन्य कीटों की तुलना में सबसे ज्यादा उड़ते हैं। हवा का रुख और बहाव मिलने पर ये सौ किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से इनकी उडऩे की छमता बढ़ जाती है। कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार ये कीट साउथ अमेरिका से अफ्रीका में आए और इसके बाद देश में प्रवेश कर गए। कीटों ने प्रदेश में महाराष्ट्र राज्य की सीमा क्षेत्र की तरफ से प्रवेश किया है। इसके चलते इस कीट ने छिंदवाड़ा जिले में सबसे ज्यादा फसलों को नष्ट किया है।
फेरोमोन ट्रेप से कीटों पर नियंत्रण
इस कीट से फसलों को बचाने के लिए फेरोमोन ट्रेप सहारा लिया जा रहा है। फेरोमोन मादा कीटों से मिलती-जुलती एक गंध वाली कैप्सूल होती है, जो नर कीटों को अपनी ओर आकर्षित करती है। कैप्सूल को एक जाली में रख दिया जाता है। इसकी गंध से कीट जाली के अंदर आ जाते हैं और इसके बाद कीटनाशक दवा से उन्हें मार दिया जाता है। इस तकनीकी से मादा कीटों को मार कर इनकी जनसंख्या में नियंत्रण करने का प्रयास किया जा रहा है। इस तकनीक से मिट्टी और पानी को पेस्टिसाइड से बचाया जा रहा है।
उपचारित बीज बोने की सलाह
किसानों को उपचारित बीज बोने की सलाह दी गई है। उपचारित बीस की फसलों में इस कीट का प्रकोप शून्य हो जाता है। इसके साथ ही किसानों को कहा गया है कि वे खेतों की बेच में पक्षियों को बैठने के लिए खूटियां गाडऩे के लिए सलाह दी गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब इन खूटियों पर बैठेगी तो इन कीटों को भी खाएंगी। खेतों में दो से अधिक फसल बोने का प्रयास करें, इससे इन कीटों का प्रभाव कम हो जाता है। गहरी जोताई करें दवा का छिड़काव करें, ज्यादा कीट लगने पर कृषि वैज्ञानिकों अथवा कृषि विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दें।
एफएडब्ल्यू FAW कीट को समाप्त करने के लिए शोध किए जा रहे हैं। ये कीट विदेश से यहां आए हैं, फसलों के लिए ये काफी खतरनाक होते हैं, इसकी वृद्धि भी बहुत तेज होती है। इस पर शोध करने के लिए छिंदवाड़ा जिले सहित कई जिलों में अध्ययन चल रहा है। इन कीटों के नष्ट करने के संबंध में देश और विदेशों के वैज्ञानिक भी अध्ययन कर रहे हैं।
– अशोक मित्तल, वैज्ञानिक, कीट विज्ञान, कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर
एफएडब्ल्यू कीट को नष्ट करने के लिए सभी जिलों में किसानों को दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं। इन कीटों का मक्का सहित सौ तरह के फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।
– संजीव सिंह, संचालक, कृषि विभाग
किसानों को उपचारित बीज बोने की सलाह दी गई है। उपचारित बीस की फसलों में इस कीट का प्रकोप शून्य हो जाता है। इसके साथ ही किसानों को कहा गया है कि वे खेतों की बेच में पक्षियों को बैठने के लिए खूटियां गाडऩे के लिए सलाह दी गई है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जब इन खूटियों पर बैठेगी तो इन कीटों को भी खाएंगी। खेतों में दो से अधिक फसल बोने का प्रयास करें, इससे इन कीटों का प्रभाव कम हो जाता है। गहरी जोताई करें दवा का छिड़काव करें, ज्यादा कीट लगने पर कृषि वैज्ञानिकों अथवा कृषि विभाग के अधिकारियों को इसकी सूचना दें।
एफएडब्ल्यू FAW कीट को समाप्त करने के लिए शोध किए जा रहे हैं। ये कीट विदेश से यहां आए हैं, फसलों के लिए ये काफी खतरनाक होते हैं, इसकी वृद्धि भी बहुत तेज होती है। इस पर शोध करने के लिए छिंदवाड़ा जिले सहित कई जिलों में अध्ययन चल रहा है। इन कीटों के नष्ट करने के संबंध में देश और विदेशों के वैज्ञानिक भी अध्ययन कर रहे हैं।
– अशोक मित्तल, वैज्ञानिक, कीट विज्ञान, कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर
एफएडब्ल्यू कीट को नष्ट करने के लिए सभी जिलों में किसानों को दवाइयां उपलब्ध कराई गई हैं। इन कीटों का मक्का सहित सौ तरह के फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं।
– संजीव सिंह, संचालक, कृषि विभाग