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भोपाल

फर्जीवाड़ा पकड़े जाने का डर, कर्ज माफी के लिए नहीं आए साढ़े चार लाख आवेदन

आवेदन नहीं किए जाने से फर्जीवाड़े का शक, कर्ज माफी के लिए नहीं आए साढ़े चार लाख आवेदन…

भोपालFeb 14, 2019 / 08:37 am

Ashok gautam

indore

कर्ज माफी के लिए परेशान हो रहे किसान, जिसने नहीं लिया उसका नाम भी सूची में

भोपाल। प्रदेश के साढ़े चार लाख से अधिक किसानों द्वारा कर्जमाफी के लिए आवेदन नहीं किए जाने से फर्जीवाड़े का शक गहरा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार की सख्ती और फर्जीवाड़ा की पोल खुलने के डर से अर्जी नहीं दी गई। अफसरों का मानना है कि इनमें आयकर दाता और सरकारी कर्मचारी वाले किसान शामिल नहीं होंगे।

कारण की इस केटेगरी के किसानों ने पिछली सरकार में समाधान योजना में ब्याज माफी का लाभ उठाते हुए अपना कर्ज चुका दिया था। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि सहकारी समितियों के अफसरों ने फर्जीवाड़ा कर कर्ज निकाला है।

सूत्रों के अनुसार सरकार ने कर्जमाफी के लिए 55 लाख किसानों को पात्रता सूची में रखा था। इनके 35 हजार करोड़ रुपए की रकम माफ की जानी है। लेकिन कर्जदार किसानों के सत्यापन से पहले ही साढ़े चार लाख किसान इससे बाहर हो गए हैं।

क्योंकि उन्होंने कर्जमाफी के लिए आवेदन ही नहीं किया है। इनमें सहकारी बैंकों से कर्ज लेने वाले कथित किसान शामिल हैं। अफसरों की माने तो आवेदन जमा करने की आखिरी तिथि 5 फरवरी तक कुल 51 लाख किसानों के आवेदन मिले हैं। इनमें 32 लाख आवेदन सहकारी बैंकों व समितियों से कर्ज लेने वाले किसान हैं।

आठ दिन में दो लाख किसानों का सत्यापन…

सरकार ने किसानों की कर्ज माफी की 22 फरवरी की डेडलाइन दी है। लेकिन विभाग किसानों के आवेदनों के सत्यापन में ही उलझ गए हैं। सहकारी बैंकों व समितियों से कर्ज लेने वाले 32 लाख किसानों का सत्यापन किया जाना है, पर अभी तक मात्र दो लाख के आवेदनों की ही पड़ताल हो सकी है।
बताया जा रहा है कि किसान कर्ज माफी के लिए बनाए गए जय किसान पोर्टल का सर्वर लगातार डाउन चल रहा है, इससे भारी दिक्कत आ रही है। किसानों के दस्तावेज सहित अन्य जानकारियां पंचायतों से समितियों और बैंकों में काफी धीमी गति से पहुंच रही हैं, जिससे इसके जांच पड़ताल में देरी हो रही है।

छह लाख अधूरे आवेदन…

सरकार के लिए अधूरे आवेदन भी बड़ी समस्या हैं। बताया गया है कि 6 लाख किसानों के आवेदनों के साथ पर्याप्त दस्तावेज नहीं हैं, इन्हें अब पंचायतों से बुलाया जा रहा है। दरअसल हजारों किसानों के या तो बैंक खाते आधार से जुड़े नहीं हैं या फिर आवेदन के साथ उनकी जमीन के दस्तावेज नहीं लगाए गए हैं। वहीं पोर्टल पर जिन दस्तावेजों को अपलोड किया गया है उसकी जांच के लिए जैसे ही खोला जाता है वैसे ही सर्वर बंद हो जाता है अथवा देरी से खुलता है।


तकनीकी खामियों के चलते दस्तावेजों की जांच पड़ताल और सत्यापन में काफी समय लग रहा है। इधर जगह-जगह फर्जी ऋण के मामले सामने आने पर बैंक और समिति प्रबंधक राजस्व विभाग, ग्राम पंचायत और किसानों का कई बार जांच- पड़ताल के बाद ही उनके दस्तावेजों को आगे बढ़ा रहे हैं।

एक लाख किसान दो बैंकों के कर्जदार

प्रदेश के एक लाख से अधिक किसान कमर्शियल और सहकारी बैंक के कर्जदार हैं। इन में से ज्यादातर किसानों ने कमर्शियल बैंकों के कर्ज माफ करने के लिए आवेदन किया है। इसकी मुख्य वजह यह है कि कमर्शियल बैंक वसूली को लेकर काफी सख्ती करते हैं। इसके चलते किसान चाहते हैं कि सबसे पहले कमर्शियल बैंकों के कर्ज माफ कराया जाना चाहिए।

आधार और बैंक एकाउंट में अलग-अलग नाम

किसानों के आधार नम्बर और बैंक एकाउंट में नाम की स्पेलिंग अलग-अलग होने से किसानों के आवेदन बैंकों में स्वीकार नहीं हो रहे हैं। यह आवेदन बार-बार बैंकों से समिमितियों और पंचायतों के पास लौट रहे हैं, जिनकी तकनीकी गलतियां ठीक की जा रही हैं। सत्यापन और आवेदन के सुधार का काम पंचायतों और समितियों को दिया गया है।

पहले चरण में 25 लाख किसानों के कर्जमाफी की तैयारी
कृषि विभाग पहले चरण में 25 लाख किसानों के कर्ज माफी की तैयारी कर रहा है। इसमें करीब 18 लाख किसान सहकारी बैंकों से कर्ज लिया है, जबकि करीब 7 लाख किसान कमर्शियल बैंकों के हैं। कर्ज माफी की प्रक्रिया पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर की जा रही है।

फैक्ट फाइल
– 55 लाख 40 हजार ऋण किसान हैं। इन किसानों का कर्ज 35 हजार करोड़ लोन हैं।

– 51 लाख किसानों ने किया है आवेदन

– 32 लाख 14 हजार किसान

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