रात में पथराव, फायरिंग और पैट्रोलबम
रायसेन जिले के बेगमगंज में बच्चों के मामूली विवाद के बाद सोमवार की रात दो पक्षों में जमकर विवाद हो गया। एक पक्ष के लोगों ने पथराव के साथ कई फायर किए, पेट्रोल बम भी फेंके। घटना में 12 से अधिक लोग घायल हुए, दो लोगों को गोली के छर्रे लगे हैं। घटना की सूचना पर आस-पास के थानों से पुलिस बल बुलाया गया। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर भीड़ को काबू किया। पुलिस ने 14 पर धारा 307 और 17 पर धारा 151 में केस दर्ज किया है। कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
बाताया जा रहा है कि दो दिन पूर्व हदाईपुर में नगरपालिका के पीछे छोटे से बच्चे को लेकर विवाद हुआ था। इसे लेकर एक पक्ष के लोगों ने दूसरे पक्ष के कुछ लोगों के साथ मारपीट कर दी। सोमवार को एक पक्ष के सैकड़ों लोगों ने एकत्रित होकर दूसरे पक्ष के पर हमला बोल दिया। पत्थरबाजी, मारपीट, बंदूक से फायरिंग की गई। अभी सात की गिरफ्तार हुई है। एएसपी अमृत मीणा ने बताया कि मामला बढ़ता देख आसपास के थानों से पुलिस बल बुलाया गया। पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़कर भीड़ को काबू किया। रात में ही कलेक्टर उमाशंकर भार्गव, एसपी मोनिका शुक्ला, एसडीओपी सुनील बरकरे सहित गैरतगंज, देहगांव, सिलवानी से पुलिस बल पहुंचा और स्थिति पर काबू पाया।
परिवहन जांच चौकी पर धमाका- फायरिंग
वही सेंधवा के पास बदमाशों ने सरेआम परिवहन जांच चौकी पर धमाका किया, गोलियां चलाकर फरार हो गये, सीसीटीवी फुटेज में तीन आरोपी नजर आए हैं। बताया जा रहा है कि सेंधवा से 16 किमी दूर बालसमुद परिवहन चौकी पर अज्ञात बदमाशों ने विस्फोट कर गोलियां चलाईं। पुलिस अधिकारी फिलहाल हमलावरों की पहचान नहीं कर पाए हैं। कारण भी स्पष्ट नहीं है। एक व्यक्ति के घायल होने की सूचना है। पुलिस ने 3 अज्ञात आरोपितों के विरुद्ध अनेक धाराओं में अपराध दर्ज किया है।
सेंधवा एसडीओपी मनोहरसिंह बारिया ने बताया कि गोलीबारी में लिप्त 3 आरोपित दो बाइक पर दिख रहे है, जिन्होंने 3 राउंड गोली चलाई। इसमें एक दस्तावेज जांचने वाली खिड़की तथा दो दीवार पर लगी। एक बदमाश पेट्रोल बम फेंकता भी दिखाई दे रहा है। इन आरोपितों के विरुद्ध आम्र्स एक्ट के साथ विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज किया है। मंगलवार सुबह बालसमुद चौकी प्रभारी झबरसिंह गोयल ने मौका पंचनामा बना घटनास्थल पर जांच की। इस दौरान पुलिस अधीक्षक निमिष अग्रवाल भी घटनास्थल पर पहुंचे तथा करीब आधा घंटे रुके। जिस समय हमला हुआ कोई अधिकारी-कर्मचारी मौजूद नहीं था।