scriptग्वालियर-चंबल संभाग से विंध्य और बुंदेलखंड की तरफ भी बढ़ी खाद की किल्लत | Fertilizer shortage increased from Gwalior-Chambal division to Vindhya | Patrika News

ग्वालियर-चंबल संभाग से विंध्य और बुंदेलखंड की तरफ भी बढ़ी खाद की किल्लत

locationभोपालPublished: Oct 23, 2021 07:58:29 pm

Submitted by:

Ashok gautam

– खाद लेने समितियों के सामने सुबह से लग जाती है किसानों की लाइनें- इंदौर और भोपाल संभाग में भी अगले सप्ताह से शुरू हो जाएगी पूरी तरह से बोवनी

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भोपाल। ग्वालियर-चंबल संभाग से अब खाद की किल्लत विंध्य और बुंदेलखंड की तरफ बढऩे लगी है। क्योंकि यहां भी अब रबी फसल की बोवनी शुरू हो गई है। अगले सप्ताह से भोपाल और इंदौर संभाग में भी पूरी तरह से बोवनी शुरू हो जाएगी। अगर खाद की रैक इन क्षेत्रों के लिए पर्याप्त नहीं पहुंची तो यहां भी खाद का संकट पैदा हो जाएगा। इधर सहकारिता और कृषि विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खाद की कोई कमी नहीं है, खाद की कमी की अफवाह फैलने से किसान सुबह से समितियों के सामने लाइन में लग जाते हैं।
समितियों में खाद लेने वाले किसानों की हालत यह है कि यहां सुबह से ही लंबी-लंबी लाइन लग रही है। खाद की मारामारी को देखते हुए किसानों को समितियों में मांग के अनुसार खाद देने के बजाय उन्हें किसानों की ऋण पुस्तिका के आधार पर खाद उपलब्ध कराई जा रही है। किसानों को एक बार में एक से पांच बोरी खाद ही दी जा रही है। मांग के अनुसार खाद नहीं मिलने से किसान एक साथ बोवनी करने के बजाय टुकड़ों में बोवनी कर रहे हैं। सबसे Óयादा मांग डीएपी खाद की हो रही है, क्योंकि गेहूं, चना, मटर सहित सभी फसलों की बोवनी के शुरूआत में ही डीएपी और यूरिया की जरूरत होती है।


बड़े किसानों को दिक्कत नहीं
खाद के लिए बड़े किसानों को दिक्कत नहीं है। क्योंकि यह किसान खरीफ फसल बोने और रबी की फसल कटाई के बाद खाद खरीद कर घर पर जमा कर लेते हैं। इसके लिए किसानों को समितियों को ब्याज भी नहीं देने पड़ता है। छोटे किसान फसल बेचने के बाद बैंकों का कर्ज चुकाते हैं और इसके बाद खाद खरीदते हैं। इससे छोटे किसानों को Óयादा दिक्कत हो रही है। प्रदेश में इस तरह के लघु और सीमांत किसानों की संख्या 75 लाख के आस पास है।

1420 क्विंटल बीच में रबी की बोवनी
सरकार के पास सिर्फ 1420 क्विंटल गेहूं और चने के बीज उपलब्ध है। जबकि इसी बीज के भरोसे किसानों को 150 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बोवनी करना है। इसके चलते यह किसान निजी बीज विक्रेताओं के भरोसे पर खेती करते हैं। निजी बीज विक्रेता उन्हें महंगे दामों में बीज उपलब्ध करा रहे हैं।

निजी विक्रेताओं पर नजर
खाद विक्रय का काम ब्लाक और उससे नीचे के क्षेत्रों में कुछ निजी खाद बिक्रेताओं को दिया गया है। सरकार ने मैदानी अधिकारियों को नजर रखने के लिए कहा है। जिससे ये विक्रेता कही खाद का भांडरण और ब्लैक मार्केटिंग नहीं कर सकें। इसके लिए सहकारिता विभाग के अलावा कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों को इसमें लगाया गया है। निजी खाद बिके्रताओं को कुल खाद की आवश्यकता का 25 फीसदी कोटा दिया गया है।
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