बड़े किसानों को दिक्कत नहीं
खाद के लिए बड़े किसानों को दिक्कत नहीं है। क्योंकि यह किसान खरीफ फसल बोने और रबी की फसल कटाई के बाद खाद खरीद कर घर पर जमा कर लेते हैं। इसके लिए किसानों को समितियों को ब्याज भी नहीं देने पड़ता है। छोटे किसान फसल बेचने के बाद बैंकों का कर्ज चुकाते हैं और इसके बाद खाद खरीदते हैं। इससे छोटे किसानों को Óयादा दिक्कत हो रही है। प्रदेश में इस तरह के लघु और सीमांत किसानों की संख्या 75 लाख के आस पास है।
1420 क्विंटल बीच में रबी की बोवनी
सरकार के पास सिर्फ 1420 क्विंटल गेहूं और चने के बीज उपलब्ध है। जबकि इसी बीज के भरोसे किसानों को 150 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बोवनी करना है। इसके चलते यह किसान निजी बीज विक्रेताओं के भरोसे पर खेती करते हैं। निजी बीज विक्रेता उन्हें महंगे दामों में बीज उपलब्ध करा रहे हैं।
निजी विक्रेताओं पर नजर
खाद विक्रय का काम ब्लाक और उससे नीचे के क्षेत्रों में कुछ निजी खाद बिक्रेताओं को दिया गया है। सरकार ने मैदानी अधिकारियों को नजर रखने के लिए कहा है। जिससे ये विक्रेता कही खाद का भांडरण और ब्लैक मार्केटिंग नहीं कर सकें। इसके लिए सहकारिता विभाग के अलावा कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों को इसमें लगाया गया है। निजी खाद बिके्रताओं को कुल खाद की आवश्यकता का 25 फीसदी कोटा दिया गया है।