मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा-370 को हटा दिया। साथ ही दो भागों में बांटकर जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया। कांग्रेस इसके विरोध में थी। राहुल गांधी तक इस पर विरोध जता चुके थे। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी लाइन से हटकर कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश में उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं। संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता, साथ ही कोई प्रश्न भी खड़े नहीं होते। लेकिन ये फैसला राष्ट्रहित में लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं।
कांग्रेस की राजनीति में मध्यप्रदेश के कई पुराने नेता अच्छी-खासी दखलअंदाजी रखते हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बनने से पहले केंद्र की राजनीति में ही सक्रिय थे। गांधी परिवार के खास लोगों में से एक कमलनाथ भी हैं। केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं। जानकार बताते हैं कि सीएम के खेमे के लोग नहीं चाहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों में पार्टी की कमान जाए। क्योंकि सिंधिया गुट के साथ इस गुट की बनती भी नहीं है।
ऐसा इसलिए कहा गया है कि उसके तुरंत बाद सीएम ने एपेक्स बैंक के चेयरमैन के रूप में अशोक सिंह की नियुक्ति की। अशोक सिंह को ज्योतिरादित्य सिंधिया पसंद नहीं करते हैं। लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा यह रही कि सीएम कमलनाथ ने बातचीत के जरिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के नापसंद को पसंद में बदलवाया। उस वक्त से ही सिंधिया के नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चर्चाओं में थी। इस प्रकरण के बाद यह कहा जा रहा है कि सीएम कमलनाथ भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम पर सहमति जता सकते हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया युवा नेता है। युवाओं में उनकी पकड़ भी है। साथ ही उनकी छवि भी एग्रेसिव लीडर के रूप में है। लेकिन कहा जाता है कि कांग्रेस की कोर टीम अभी भी बुजुर्ग नेताओं की टीम है। जो नहीं चाहती है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा नेताओं को पार्टी की कमान सौंपी जाए। ऐसे में सिंधिया की राह में पार्टी के अंदर पहली पंक्ति के नेता रोड़ा बन सकते हैं। चर्चाएं तो यहां तक थीं कि पार्टी के कुछ नेताओं ने राहुल के इस्तीफे के बाद यह भी सलाह दिया था कि मल्लिकार्जुन खड़गे को कार्यकारी अध्यक्ष, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट को उपाध्यक्ष बना दिया जाए। लेकिन राहुल गांधी ने यह फॉर्मूला स्वीकार नहीं किया।
वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए मजबूत पक्ष यह है कि उनका नाम पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी को सुझाए हैं। कैप्टन ने कहा था कि अब पार्टी को यंग कमांडर की जरूरत है। इसके लिए अच्छे और योग्य उम्मीदवार के रूप में सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया सही साबित हो सकते हैं। उसके बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मिलिंद देवड़ा ने भी पिछले दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट का नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सुझाए हैं।