scriptये हैं वो तीन बातें, जो कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में नहीं है | Few obstacle in Jyotiraditya Scindia becoming Congress president | Patrika News

ये हैं वो तीन बातें, जो कांग्रेस अध्यक्ष बनने के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में नहीं है

locationभोपालPublished: Aug 10, 2019 03:23:17 pm

Submitted by:

Muneshwar Kumar

Congress: समझिए, अगर कांग्रेस अध्यक्ष के लिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम की होती है चर्चा तो ये बातें साबित हो सकती हैं उनके लिए निगेटिव.

ज्योतिरादित्य सिंधिया
भोपाल. कांग्रेस अध्यक्ष ( Congress President ) पद के चुनाव के लिए कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक चल रही है। पहले दौर की बैठक समाप्त हो गई है, जिसमें कहा गया है कि शाम को सभी लोग फिर से बैठेंगे। और संभवत: आज अंतरिम अध्यक्ष की घोषणा हो जाए। इस बैठक में कांग्रेस के पूर्व महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मौजूद हैं। कांग्रेस अध्यक्ष पद की रेस में उनका भी नाम चल रहा है। कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक से पहले पार्टी के कुछ कद्दावर नेताओं ने उनके नाम का सुझाव दिया था।
फिलहाल अभी सिर्फ चर्चा ही है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया को कांग्रेस अध्यक्ष बनाया जा सकता है। हालांकि अभी तक ऐसी कोई जानकारी नहीं आई है कि कार्यसमिति में उनके नाम पर कोई चर्चा हुई कि नहीं। मगर ज्योतिरादित्य सिंधिया के पक्ष में कुछ बातें निगेटिव जाती हैं, जो अध्यक्ष पद की दावेदारी को कमजोर करती है। हालांकि सिंधिया ने कभी भी इस पद के लिए खुद दावेदारी पेश नहीं की है। मगर मध्यप्रदेश में उऩके समर्थक नेता यह मांग उठाते रहे हैं। आइए अब जान लेते हैं, उन तीन बातों के बारे में।
Jyotiraditya Scindia
 

पार्टी लाइन से अलग जाकर धारा-370 का किया समर्थन
मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से धारा-370 को हटा दिया। साथ ही दो भागों में बांटकर जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश बना दिया। कांग्रेस इसके विरोध में थी। राहुल गांधी तक इस पर विरोध जता चुके थे। लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी लाइन से हटकर कहा कि जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को लेकर उठाए गए कदम और भारत देश में उनके पूर्ण रूप से एकीकरण का मैं समर्थन करता हूं। संवैधानिक प्रक्रिया का पूर्ण रूप से पालन किया जाता तो बेहतर होता, साथ ही कोई प्रश्न भी खड़े नहीं होते। लेकिन ये फैसला राष्ट्रहित में लिया गया है और मैं इसका समर्थन करता हूं।
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मध्यप्रदेश में एक खेमा नहीं चाहता
कांग्रेस की राजनीति में मध्यप्रदेश के कई पुराने नेता अच्छी-खासी दखलअंदाजी रखते हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ राज्य के मुख्यमंत्री बनने से पहले केंद्र की राजनीति में ही सक्रिय थे। गांधी परिवार के खास लोगों में से एक कमलनाथ भी हैं। केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे हैं। जानकार बताते हैं कि सीएम के खेमे के लोग नहीं चाहते हैं कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के हाथों में पार्टी की कमान जाए। क्योंकि सिंधिया गुट के साथ इस गुट की बनती भी नहीं है।
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कुछ महीने पहले ही मध्यप्रदेश में कैबिनेट मीटिंग के दौरान सीएम कमलनाथ से सिंधिया गुट के मंत्री भिड़ गए थे। इस पर सीएम ने दो टुक शब्दों में कहा था कि मुझे पता है कि आप ये सब किसके बहकावे पर कर रहे हैं। कहा जाता है कि सारे प्रकरण को ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने उऩ्हें फोन पर लाइव सुनाया था। हालांकि बाद में डिनर डिप्लोमेसी के जरिए कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया बंद कमरे में मिले थे। उस वक्त कहा गया था कि अब सब कुछ सही हो गया है।
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उसकी झलक भी दिखी
ऐसा इसलिए कहा गया है कि उसके तुरंत बाद सीएम ने एपेक्स बैंक के चेयरमैन के रूप में अशोक सिंह की नियुक्ति की। अशोक सिंह को ज्योतिरादित्य सिंधिया पसंद नहीं करते हैं। लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा यह रही कि सीएम कमलनाथ ने बातचीत के जरिए ज्योतिरादित्य सिंधिया के नापसंद को पसंद में बदलवाया। उस वक्त से ही सिंधिया के नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चर्चाओं में थी। इस प्रकरण के बाद यह कहा जा रहा है कि सीएम कमलनाथ भी ज्योतिरादित्य सिंधिया के नाम पर सहमति जता सकते हैं।
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बुजुर्ग नेता जता सकते हैं आपत्ति
ज्योतिरादित्य सिंधिया युवा नेता है। युवाओं में उनकी पकड़ भी है। साथ ही उनकी छवि भी एग्रेसिव लीडर के रूप में है। लेकिन कहा जाता है कि कांग्रेस की कोर टीम अभी भी बुजुर्ग नेताओं की टीम है। जो नहीं चाहती है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा नेताओं को पार्टी की कमान सौंपी जाए। ऐसे में सिंधिया की राह में पार्टी के अंदर पहली पंक्ति के नेता रोड़ा बन सकते हैं। चर्चाएं तो यहां तक थीं कि पार्टी के कुछ नेताओं ने राहुल के इस्तीफे के बाद यह भी सलाह दिया था कि मल्लिकार्जुन खड़गे को कार्यकारी अध्यक्ष, ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट को उपाध्यक्ष बना दिया जाए। लेकिन राहुल गांधी ने यह फॉर्मूला स्वीकार नहीं किया।
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ये लोग कर चुके हैं समर्थन
वहीं, ज्योतिरादित्य सिंधिया के लिए मजबूत पक्ष यह है कि उनका नाम पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पार्टी को सुझाए हैं। कैप्टन ने कहा था कि अब पार्टी को यंग कमांडर की जरूरत है। इसके लिए अच्छे और योग्य उम्मीदवार के रूप में सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया सही साबित हो सकते हैं। उसके बाद महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष रहे मिलिंद देवड़ा ने भी पिछले दिनों ज्योतिरादित्य सिंधिया और सचिन पायलट का नाम कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए सुझाए हैं।
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हालांकि अब फैसला कांग्रेस पार्टी को करनी है कि अंतिम मुहर किसके नाम पर लगाती है। पार्टी कमान बुजुर्ग हाथों में सौंपती है या फिर युवाओं को नेतृत्व देती है। पार्टी में युवा चेहरे के तौर पर यही तीन-चार नाम प्रमुख हैं। जिसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हैं। उम्मीद है कि शनिवार रात तक कांग्रेस नेतृत्व इस कोई न कोई आम सहमति बना लेगी।
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