मजबूरी में स्कूली बच्चों को ट्रांसफार्मर के पास से दीवार कूदकर स्कूल जाना पड़ रहा था। पत्रिका ने ‘स्कूल का मेन गेट बंद, पढऩे से पहले लगती है जान की बाजी’ शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर विद्यार्थियों की जान खतरे में होने का मुद्दा उठाया था।
बिट्टन मार्केट के पीछे स्थित बोर्ड कॉलोनी को कवर्ड करने के नाम पर कॉलोनी में जाने वाले छह रास्तों में से केवल पेट्रोल पंप के सामने बने 40 फीट के इस रास्ते पर दीवार खड़ी की गई। इस रास्ते से कॉलोनी के रहवासियों के अतिरिक्त स्कूल में पढऩे वाले श्याम नगर बस्ती के 200 से अधिक बच्चे उपयोग करते थे।
रास्ता बंद होने से बस्ती से स्कूल की दूरी आधा किलोमीटर बढ़ गई जिसके बाद उपस्थिति पर असर पडऩे लगा। आखिर में बच्चों ने रास्ता निकाला और मार्केट की दुकानों के पीछे से एक स्थान पर रखी ईंटों के पास से दीवार को कूदकर स्कूल जाना शुरू कर दिया। लेकिन यह जगह खुले ट्रांसफार्मर के पास थी जिससे बच्चों को करंट लगने का खतरा था।
पत्रिका ने लगातार इस खतरे के प्रति आगाह किया। लेकिन इसके बाद भी बोर्ड के इंजीनियर दीवार तोडऩे या बच्चों के लिए रास्ता खोलने तक को तैयार नहीं थे। आखिरकार बोर्ड के सचिव अजय गंगवाल को स्थिति से अवगत कराया गया।
उन्होंने चीफ इंजीनियर सुनील श्रीवास्तव को बुलाकर बच्चों के लिए तुरंत रास्ता खोलने के निर्देश दिए। शाला के प्रधानाध्यपक दीपक जोशी ने बताया कि दोपहर को कुछ मजदूर आए और दीवार तोडकऱ गेट बनाकर चले गए। इससे बच्चों को बहुत सुविधा हो गई है।