संभाग स्तर पर बैठकें कर रहे सहकारिता मंत्री शनिवार को ग्वालियर-चंबल संभाग की बैठक कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने निर्देश दिए कि गृह निर्माण सहकारी संस्थाओं का भौतिक सत्यापन किया जाए, जिसमें संस्थाओं की जमीन अवश्य देखी जाएं। इसके अलावा यह भी देखा जाए कि कितने सदस्यों को प्लॉट मिल गए हैं एवं कितने शेष हैं। यदि किसी संस्था का कोई विवाद है तो उसका निराकरण कराकर सदस्यों को प्लाट दिए जाएं। इसके लिए सहकारिता विभाग, नगर निगम, विकास प्राधिकरण तथा अन्य संबंधित संस्थायें समन्वय से कार्य करें।
मंत्री ने निर्देश दिए कि संस्था में हुए विकास के नाम पर फर्जी खर्च की जांच की जाए। उन्होंने गृह निर्माण समितियों का शतप्रतिशत ऑडिट करने के भी निर्देश दिए। ऑडिट में विशेषकर पिछले वर्षों के ऑडिट नोट देखने के निर्देश दिए। जिन संस्थाओं के पदाधिकारी ऑडिट के लिए रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं करा रहे हैं, उनके खिलाफ लिखकर दें एवं एफआईआर दर्ज कराएं। साथ ही उन्हें जेल भेजने की कार्रवाई की जाए।
अफसरों का गठजोड़ सामने आए तो नौकरी से बाहर करो – बैठक में बताया गया कि 24 संस्थाओं की 26 नस्तियां गायब हैं। इस संबंध में उन्होंने निर्देश दिए कि जिन संस्थाओं का रिकॉर्ड नहीं मिल रहा है, उनका बोर्ड भंग करें। साथ ही समाचार पत्रों में ऐसी संस्थाओं का नाम प्रकाशित कराया जाए। सहकारिता मंत्री ने कहा कि संस्थाओं के गलत कार्य में विभाग के जो अधिकारी एवं कर्मचारी संलग्न हैं उनकी गोपनीय चरित्रावली में विपरीत टीप लिखी जाए। वेतन वृद्धि रोकने की कार्रवाई की जाए एवं पदावनत करने की कार्रवाई की जाए। इसके अलावा कार्य में सुधार नहीं होता है तो शासन की 20- 50 योजना में अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी जाए। डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि सात दिन बाद फिर समीक्षा की जायेगी। इसलिए बैठक में अधिकारियों को जो निर्देश दिए गए हैं उनका पालन सुनिश्चित करें।
अफसर, कर्मचारियों के तय हों टारगेट – जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक की समीक्षा करते हुए सहकारिता मंत्री ने निर्देश दिए कि बैंकों का डिपोजिट बढ़ाने के प्रयास किए जाएं। इसके लिए अधिक से अधिक लोगों के सहकारी बैंकों में खाते खुलवाए जाएं। बैंक कर्मचारीवार एवं सोसायटीवार मासिक लक्ष्य निर्धारित किया जाए। जो कर्मचारी लक्ष्य पूरा नहीं करें, उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाए और जो अच्छा कार्य करें उन्हें प्रशस्ति पत्र दिए जाएं। उन्होंने बैंकों के जनरल मैनेजरों को निर्देश दिए कि ऋण वितरण का कार्य सुनिश्चित किया जाए। साथ ही ऋण माफी की निर्देशानुसार कार्रवाई की जाए। इसके अलावा अकृषि ऋणों की वसूली की जाए। उन्होंने दतिया के बैंक महाप्रबंधक को निर्देश दिए कि वे एक सप्ताह में कार्य में सुधार लाएं अन्यथा उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जायेगी।