कवर्ड था गोदाम, बड़ा हादसा होने से बचा
फायर फाइटर पंकज यादव ने बताया कि गोदाम के एक बड़े हिस्से में आग लगी थी, जिसे बुझाने में भारी दिक्कत आईं। गोदाम कवर्ड होने की वजह से आग की लपटें दूर तक नहीं पहुंच सकीं। इसलिए आस-पास की गोदाम सुरक्षित रहे। आग लगने के बाद इलाके में दहशत फैल गई। गोदाम के आस-पास रहने वाले लोगों में अफरा-तफरी मच गई।
पंकज ने बताया कि आग भीषण थी इसलिए पुल बोगदा, फतेहगढ़, माता मंदिर, बैरागढ़, गांधी नगर समेत तमाम जगह से दमकलें पहुंची। गोदाम में जली हुई केबल मिली है, जिससे अंदाजा लगाया जा रहा कि शॉर्ट सर्किट से आग लगी होगी।
इधर, गोविंदपुरा औद्योगिक क्षेत्र में एक फैक्ट्री में भी देर रात भीषण आग लग गई। आग पर काबू पाने के लिए आधा दर्जन से अधिक दमकलें मौके पर रवाना की गई। दोनों ही मामलों में किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है।
भोपाल. राजधानी के पर्यावरण और सुरक्षा के लिए खतरा बने कबाड़ गोदाम अभी तक शहर से बाहर नहीं हो पाए हैं। अप्रैल 2010 में एक कबाड़ गोदाम में लगी आग बुझाने में अग्निशमन दस्ते को भी पसीना आ गया था। उसके बाद जिला प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए नोटिस तो जारी कर दिए थे, लेकिन एक भी गोदाम शहर से बाहर नहीं हो पाया है। कबाडख़ाना क्षेत्र में ही 40 बड़े और 90 छोटे गोदाम बना रखे हैं। इनमें प्लास्टिक, वाहनों का जला ऑयल, गत्ते, कागज एवं अन्य ज्वलनशील पदार्थ भरे रहते हैं। इससे यह गोदाम कभी भी बड़े हादसे का कारण बन सकते हैं। इनमें से अधिकतर रिहायशी इलाकों में हैं। जिनके कारण दुर्घटना के वक्त दमकलों का इन तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है। वर्ष 2010 में जिला प्रशासन ने सभी कबाड़ गोदाम संचालकों को नोटिस जारी किए थे। इसमें गोदामों को खाली कर शहर से बाहर ले जाने के लिए कहा गया था। तत्कालीन संभागायुक्त मनोज श्रीवास्तव ने भी वर्ष 2013 में भोपाल के विकास संबंधी बैठक में सभी खतरनाक व्यवसायों को शहर से बाहर करने के निर्देश दिए थे। इसके बावजूद हटाए नहीं गए।