scriptरामलीला के चौथे दिन फायर इफेक्ट से लगाई ‘रावण की लंका’ में आग | Fire in 'Ravana's Lanka' from fire effect | Patrika News

रामलीला के चौथे दिन फायर इफेक्ट से लगाई ‘रावण की लंका’ में आग

locationभोपालPublished: Oct 19, 2018 08:55:05 am

Submitted by:

hitesh sharma

रामलीला के चौथे दिन पंचवटी से लेकर लंका दहन प्रसंग तक का मंचन

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फायर इफेक्ट से लगाई ‘रावण की लंका’ में आग

भोपाल। रवीन्द्र भवन में चल रही रामलीला के चौथे दिन गुरुवार को पंचवटी प्रसंग, सीता हरण, राम हनुमान मिलन, राम सुग्रीव मैत्री, बाली वध और लंका दहन प्रसंगों का मंचन हुआ। सीता हरण और लंका दहन जैसे दृश्यों में दर्शकों को स्पेशल इफेक्ट देखने को मिले।

फायर इफेक्ट में शार्पी इंटेलिजेंट लाइट्स के जरिए रावण की लंका को जलाने का दृश्य क्रिएट किया गया। वहीं सीता हरण में इफेक्ट के जरिए एक सीन में वाटिका में और दूसरे सीन में पुष्प विमान में उड़ते हुए दिखाया गया।

डायरेक्टर का कहना है कि लंका दहन के सीन के लिए स्टेज के पास असली आग लगाई जाती है। वहीं सीताहरण में हाइड्रोलिक क्रेन के जरिए पुष्प विमान उड़ता दिखाया जाता है, लेकिन जगह की कमी के कारण इसे लाइटिंग इफेक्ट तक सीमित रखा गया।

लक्ष्मण ने काटी शूर्पणखा की नाक
कथा के अनुसार रामचंद्र जी का वनवास होता है और वे पत्नी सीता तथा भाई लक्ष्मण के साथ वन को जाते हैं। वनवास के 14 वर्ष काटने के लिए अब उनका घर अभ्यारण ही है। यहां पर वे पर्णकुटी बनाकर रहने लगते हैं।

एक राक्षसी शूर्पणखा जो कि रावण की बहन थी, वह कहीं से विचरण करते हुए रामचंद्र जी की कुटी के बाहर से गुजरती है और उनको देखकर मुग्ध हो जाती है। रामचंद्र जी से वह विवाह का प्रस्ताव करती है, उत्तर में रामचंद्र उसे भाई विभीषण से बात करने के लिए कहते हैं। लक्ष्मण उसका प्रस्ताव स्वीकार नहीं करते। विवाद बढऩे पर लक्ष्मण शूर्पणखा की नाक काट देते हैं।

रावण ने साधु वेश धरकर किया सीता का हरण
लहूलुहान शूर्पणखा रावण से शिकायत और फरियाद करती है। क्रुद्ध होकर रावण साधु का वेश धर के भिक्षुक के रूप में सीता से भिक्षा मांगने आता है और उनका हरण करके ले जाता है।
कथा में आगे राम एवं लक्ष्मण का सीता को ढूंढना, राम और हनुमान का पहली बार मिलना, हनुमान द्वारा राम और सुग्रीव की मैत्री कराना तथा सुग्रीव द्वारा यह बताया जाना कि उसका राज्य बड़े भाई ने षड्यंत्रपूर्वक हथिया लिया है और उसको मुसीबतों में छोड़ दिया है। इस पर रामचंद्र जी का सुग्रीव की सहायता और बालि का वध अहम प्रसंग मंचित होते हैं।
हनुमान ने लगाई लंका में आग
राम, सीता की खोज में शीघ्रता करते हैं। उनकी उनकी भेंट सुग्रीव के सखा हनुमान से होती है। हनुमान सीता जी का पता लगाने समुद्र लांघकर जाते हैं और श्रीलंका में सीता जी से मिलकर वापस लौटते हैं तथा सीता जी का समाचार रामचंद्र जी को सुनाते हैं। अंत में हनुमान अपनी पूंछ से रावण की सोने की लंका में आग लगा देते हैं।

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