सदन की बैठक में शामिल होने के लिए विधायकों को जिला मुख्यालय स्थित एनआइसी सेंटर में आना होगा। इसके लिए वहां विशेष व्यवस्था है। जिला मुख्यालय स्थित एनआइसी सेंटर से विधायक सीधे सदन से जुड़ेगे। यहीं से वे सदन में होने वाली चर्चा में भाग ले सकेंगे। एनआईसी सेंटर में बैठे विधायक सदन में दिखते रहें, इसलिए सदन में बड़ी स्क्रीन लगाई गई है।
रविवार की देर शाम विधानसभा सचिवालय ने जारी कार्यसूची में 15 विधेयकों को शामिल किया था, लेकिन चंद मिनट में ही 11 विधयकों ने हटा लिया। इनमें कराधान अधिनियम, सिविल प्रक्रिया संहिता, नपा विधि संशोधन से जुड़े तीन विधेयक, निजी विवि संशोधन विधेयक, श्रम विधि संशोधन के दो, साहूकार संशोधन विधेयक, अजा ऋण विमुक्ति विधेयक हैं।
सरकार वित्तीय विधेयक सहित अध्यादेशों को सदन में पेश करेगी। इनमें मप्र कृषि उपज मंडी संशोधन अध्यादेश, लोक सेवाओं के प्रदान गारंटी संशोधन अध्यादेश, सहकारी सोसायटी संशोधन अध्यादेश हैं। यह संवैधानिक मजबूरी है, क्योंकि सरकार ने इन्हें अध्यादेश के जरिए लागू किया था।
इस सत्र में न प्रश्नकाल होगा और न ही ध्यानकर्षण होगा। शून्यकाल की सूचनाएं भी नहीं होगी। हालांकि इस सत्र के लिए विधायकों ने 750 लिखित सवाल पूछे हैं। प्रश्नकाल न होने के कारण विधायकों को लिखित उत्तर पर ही संतोष करना होगा। इसकी सूचना उन्हें पहले ही दे दी गई है। सचिवालय को 138 ध्यानाकर्षण सूचनाएं भी मिली हैं। इसके भी लिखित जवाब दे दिए जाएंगे।
विधानसभा में विपक्ष सरकार को कई मुद्दों पर घेरने की तैयारी में है। इसमें कोरोना संक्रमण प्रमुख है, क्योंकि प्रदेश में संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। मरीजों का आंकड़ा भी एक लाख के पार पहुंच गया है। इसके अलावा अवैध खनन और भ्रष्टाचार, कृषि अध्यादेश, बिगड़ती कानून व्यवस्था, ऑक्सीजन की कमी और किसान कर्ज माफी शामिल है। इन मुद्दों पर विपक्ष सरकार को घेर सकती है।
सत्ता पक्ष
सबसे पहली लाइन में मुख्यमंत्री और उसके बाद एक-एक कुर्सी छोड़ अन्य मंत्री बैठेंगे। इनके ठीक पीछे की लाइन खाली रहेगी। इसके बाद अन्य सदस्य बैठेंगे। विपक्ष
पहली लाइन में सबसे आगे नेता प्रतिपक्ष और एक-एक कुर्सी छोड़ कांग्रेस के अन्य विधायक बैठेंगे। पीछे की लाइन खाली रहेगी। फिर अन्य सदस्य बैठेंगे।