सर्वतोभद्र तप का आयोजन तुलसी नगर स्थित जैन मंदिर में 31 जुलाई से किया जा रहा था। इसका समापन गुरुवार को हुआ। शुक्रवार को पारना होगा। यह आयोजन विश्व कल्याण की भावना के साथ किया गया। इसके तहत सुबह 7:30 बजे से श्रावकों का मंदिर पहुंचने का सिलसिला शुरू हो जाता था, इसके बाद आधा घंटे मंत्र जाप, एक घंटा प्रवचन, 48 णमोकार मंत्र जाप के साथ-साथ कई विशिष्ट मंत्रों का जाप किया जाता है। इसमें कई श्रावकों ने अपने दैनिक कार्यों के साथ-साथ इसमें भाग लिया और 24 दिन के इस अनुष्ठान का लाभ उठाया।
क्या है सर्वतोभद्र तप
सर्वतोभद्र तप अर्थात सबका कल्याण हो, इस भावना से यह तप किया जाता है। यह 24 दिन का होता है। इसमें 12 उपवास रहते हैं, और 12 व्यासने अर्थात श्रावक एक समय बैठकर भोजन कर सकता है। इसी तरह 12 निर्जला उपवास रहते हैं। एक दिन व्यासने और एक दिन उपवास रहता है। इस तरह 24 दिन का यह तप होता है। उपवास के दिन इसमें विशिष्ट मंत्रों का जाप किया जाता है।
व्रतधारी श्रावकों से बातचीत मैंने इस व्रत के जरिए माला जाप, भक्ति, मंत्र जाप आदि किया, साथ ही निर्जला व्रत रखे। इस बीच 24 दिन का समय कब निकल गया पता ही नहीं चला। इससे मुझे आंतरिक एनर्जी मिली है। दक्षा शाह, श्रावक
हम अकसर उपवास रखते हैं, लेकिन सर्वतोभद्र तप जब पहली बार हुआ तो मेरी इच्छा यह तप करने की हुई। पहले तो मुझे लग रहा था, कि मैं इसे कर पाऊंगी या नहीं, लेकिन बहुत अच्छी तरह से यह व्रत पूरे हुए। पुष्पा लालन
मैं डॉक्टर हूं, यहां तप और व्रत के साथ मैं बराबर क्लीनिक में काम भी करता रहा। इसके कारण मुझे कभी कोई थकान महसूस नहीं हुई, न ही मेरे काम पर कोई प्रभाव पड़ा। इस व्रत से मेरा आत्मबल बढ़ा है। डॉ. शैलेष लुणावत
इसके पहले मंैने अठाई यानी आठ दिन के व्रत और टेला यानी तीन दिन के व्रत किए थे। यह तप और व्रत पहली बार किए। यह अद्भुत साधना है और इससे ऊर्जा मिलती है। मनोज पारख, एडवोकेट
हम अपने कामों के लिए तो रोज ही समय निकालते हैं, लेकिन आत्मकल्याण के लिए भी समय निकालना होता है। मैंने पूरे 24 दिन तप किया और अपना काम भी नियमित रूप से करता रहा। किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई, बल्कि एनर्जी ही मिली है। शीतल कुमार कोठारी