हालांकि इन वोटरों को लेकर दोनों दलों की धड़कन बढ़ी हुई है। क्योंकि ये दोनों ही दलों के अनुमान से बाहर हैं।
प्रदेश में 16 लाख तीन हजार नव मतदाता हैं। इन्हें साधने के लिए भाजपा ने खास रणनीति बनाई थी।
चुनाव के ऐन समय पर नव मतदाता सम्मेलन भोपाल में आयोजित किया गया था। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शिरकत की थी। जबकि, कांग्रेस के छात्र संगठन एनएसयूआइ ने इन वोटरों के बीच खासी सक्रियता दिखाई थी।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी रोजगार के बहाने युवाओं को रिछाने की कोशिश की थी। उत्साह से भरे नव मतदाता ने प्रदेश की औसत वोटिंग 75.05 से आगे बढ़कर मतदान में हिस्सा लिया था, जिला निर्वाचन अधिकारियों से मिले आंकड़ों के मुताबिक करीब 79 फीसदी नव मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया है।
इसलिए अहम हैं नव मतदाता
प्रदेश की सत्ता का रास्ता इसबार नव मतदाताओं के वोटों से होकर ही गुजरने वाला है। सबसे करीबी मुकाबला 2008 के चुनाव में हुआ था। जब भाजपा ने उमा भारती की बगावत से पार पाकर 37.64 फीसदी साधारण मत से सरकार बना ली थी।
तब भाजपा को 94 लाख और कांग्रेस को 81 लाख मत मिले थे। इस तरह महज 13 लाख अधिक वोट हासिल कर भाजपा ने 143 सीटों के साथ बहुमत जुटा लिया था। इस बार वैसा ही कड़ा मुकाबला होने के कारण यह 12.66 लाख वोटर अहम हो गया है।
कांग्रेस के कार्यकाल को नहीं जानते यह वोटर
भाजपा 2003 से लगातार कांग्रेस के 1993 और 1998 के कार्यकाल को ही गिनाती रही है।
दिग्विजय को घेरने के चक्कर में मिस्टर बंटाढार का संबोधन भी करती रही है।
इस चुनाव में भी ऐसा ही प्रचार किया गया था। लेकिन, दिलचस्प यह है कि 16 लाख नव वोटरों को कांग्रेस के कार्यकाल के बारे में कुछ नहीं पता है। वे 15 साल की भाजपा की सरकार के दौरान ही बढ़े और युवा हुए।
अच्छा-बुरा जो भी अनुभव है वह भाजपा और शिवराज के शासनकाल का ही है। उनकी जो भी ओपिनियन है इस सरकार को लेकर ही है। बेरोजगारी और उच्च शिक्षा के अवसर रहे युवाओं के मुद्दे
चुनाव में युवा और नए मतदाताओं के लिए सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी रहा है। प्रदेश में 20 लाख से अधिक बेरोजगार हैं। रोजगार के लिए काल नहीं आने के कारण युवाओं ने पंजीयन कराना ही बंद कर दिया है।
अगर अंपजीकृत युवाओं को जोड़ लें तो एक करोड़ से अधिक के पास कोई काम नहीं है। इन बेरोजगार युवाओं की भीड़ एक करोड़ 38 लाख 20 से 29 साल और एक करोड़ 29 लाख 30 से 39 साल के आयु समूह के मतदाताओं के बीच बंटी हुई है।
नए मतदाता अगले पांच साल तक इंतजार के मूड में भी कतई नहीं है। क्योंकि इसी वक्त या तो उसे उच्च शिक्षा में अपने लिए अवसर ढूंढऩा है या नौकरी करनी है। इसी उम्र में उसे अपना कॅरियर बनाना है। राज्य में मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना के लिए आवेदकों की संख्या और लाइवलीहुड कॉलेज में भीड़ में युवा सर्वाधिक नजर आते हैं। यही हाल उच्च शिक्षा केंद्रों का है।