इसके लिए मंत्रियों की एक कमेटी भी बनाई गई है। दूसरी ओर आदिवासी और पिछड़े क्षेत्र के विधायक मजदूरों के बकाया पैसे को लेकर परेशान हैं।
उन्हें इस बात का डर है कि यह चुनावी मुद्दा न बन जाए। उन्होंने सरकार को अपनी इस चिंता से अवगत भी कराया है। दरअसल, यह पूरा मामला केंद्र और राज्य सरकार के बीच उलझा हुआ है। उन्हें इस बात का डर है कि यह चुनावी मुद्दा न बन जाए। उन्होंने सरकार को अपनी इस चिंता से अवगत भी कराया है।
जवाबदेही से किनारा
रोजगार गारंटी कानून में मजदूरी भुगतान में 15 दिन से अधिक बिलंब पर जवाबदेही तय किए जाने का नियम है। इसके तहत प्रभावित श्रमिकों को मुआवजे का भी प्रावधान है, लेकिन भुगतान में देरी को तकनीकी कमी बताकर केंद्र और राज्य सरकार पल्ला झाड़ लेती है। मुआवजे के गणना में विसंगति से श्रमिकों को परेशान होना पड़ रहा है।
भाजपा के राज में मजदूर परेशान हैं। गरीब परेशान हैं। किसान परेशान है। मनरेगा के मजदूर रोज खाते कमाते हैं उनको भी मजदूरी नहीं मिल रही, कांग्रेस चुनाव में ये मुद्दा उठाएगी
– ओमकार सिंह मरकाम, विधायक कांग्रेस
केंद्र से राशि नहीं मिल रही थी, जिससे समस्या आई है। प्रयास किए गए हैं और केंद्र के ग्रामीण विकास विभाग में चर्चा हुई है। एक हफ्ते के भीतर समस्या का समाधान हो जाएगा।
– गोपाल भार्गव, मंत्री पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग