खरीदी के एक माह बाद भी गोदामों तक नहीं पहुंचा पांच लाख टन गेहूं
- समिति प्रबंधकों ने सहकारिता विभाग के पास भेजी रिपोर्ट
कहा- परिवहन नहीं होने से खरीदी केंद्रों में ही भींग रहा है गेहूं

भोपाल. प्रदेश में गेहूं खरीदी सामाप्त हुए करीब एक माह हो रहा है, लेकिन समय पर परिवहन नहीं होने से पांच लाख टन गेहूं आज भी खरीदी केंद्रों पर पड़ा हुआ है। इसमें करीब तीन लाख टन से अधिक गेहूं खरीदी केंद्रों पर ही भीग गया है। समितियां उसे धूप में सुखाकर दोबारा बोरी में रखने का प्रयास कर रही हैं। पानी गिरने से कई खरीदी केंद्रों तक अब वाहन ले जाने में भी दिक्कत होने लगी है।
मप्र खाद्य एवं नागरिक आपूति निगम और मप्र राज्य विपणन संघ ट्रांसपोर्टरों के बीच अनुबंध के अनुसार खरीदी के तीन दिन के अंदर परिवहन कर उसे गोदामों तक पहुंचाना है, लेकिन परिवहन करने में ट्रांसपोर्टरों को समय लग रहा है। खरीदी केंद्रों में खुले में पांच लाख टन अनाज रखा हुआ है, जो रोज पानी में भींग रहा है। इसको लेकर समिति प्रबंधकों ने विभाग के सामने चिंता जाहिर की है। समितियों का कहना है कि ट्रांसपोर्टरों की हीलाहवाली और गलतियों का खामियाजा समितियों को भुगतना पड़ रहा है। बारिश के चलते अगर यह गेहूं खराब होता है तो समितियों पर करीब पांच से सात सौ करोड़ रुपए से अधिक की चपत लगेगी। समिति प्रबंधकों ने विभाग से कहा है कि इस समस्या को शासन की जानकारी में लगाया जाए, जिससे कि ट्रांसपोर्टरों की कमियों का खामियाजा समितियों को न भुगतना पड़े। कई समिति प्रबंधकों ने भीगे गेहूं के संबंध में जानकारी देते हुए ट्रांसपोर्टरों से राशि वसूल करने के लिए खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम और विपणन संघ से कहा है।
- गेहूं की सुरक्षा में हो रहा है लाखों खर्च
गेहूं की सुरक्षा और रखरखाव पर समितियों को लाखों रुपए खर्च करना पड़ रहा है। ज्यादातर समितियों और खरीदी केंद्रों के पास बाउंड्रीवॉल नहीं है। इसके चलते समितियों को मवेशियों और चोरों से गेहूं को बचाने के लिए सुरक्षाकर्मियों को तैनात करना पड़ता है। इसके अलावा बारिश होने पर उसे भींगने से बचाने के लिए पन्नी और टेंट लगाना पड़ता है और बारिश के बाद उसमें हवा लगाने के लिए उसे हटाना पड़ता है। बारिश के दौरान जो अपना भींग जाता है उसे मजदूर लगाकर धूप में सुखाने की व्यवस्था कराना पड़ता है।
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