scriptपरिवहन में देरी से बारिश में भीगा पांच हजार टन गेहूं | Five thousand tonnes of wheat soaked in rain due to delay in transport | Patrika News

परिवहन में देरी से बारिश में भीगा पांच हजार टन गेहूं

locationभोपालPublished: Jun 22, 2021 01:43:04 am

Submitted by:

Rohit verma

समर्थन मूल्य पर खरीदी खत्म होने के 20 दिन बाद भी गेहूं का नहीं हो पाया उठाव

परिवहन में देरी से बारिश में भीगा पांच हजार टन गेहूं

परिवहन में देरी से बारिश में भीगा पांच हजार टन गेहूं

भोपाल. समय पर परिवहन नहीं होने से प्रदेश के करीब तीन हजार केंद्रों पर लगभग 5 हजार टन गेहूं बारिश में भीग गया है। खरीदी के एक माह बाद भी गेहूं का परिवहन अब तक बाकी है। गेहूं को समितियां सुखाकर अपगे्रड कर रही हैं। गेहूं खरीदी 31 मई को पूरी हो गई थी। कुछ किसानों की मांग पर तीन दिन अतिरिक्त समय दिया गया था। परिवहन एजेंसियां गेहूं को गोदामों तक पहुंचाने में हीलाहवाली करती रहीं और गेहूं भीग गया।
भुगतान भी अटका
परिवहन और स्वीकृति पत्र नहीं मिलने से हजारों किसानों का भुगतान भी अटक गया है। जब तक खरीदी के संबंध में गोदामों से फाइनल स्लिप नहीं मिलेगी तब तक बैंकों से भुगतान नहीं होगा। मामले में यह भी देखा जा रहा है किसानों को गेहूं का भुगतान किया जाए और इसकी जिम्मेदारी समितियों और परिवहनकर्ता एजेंसियों पर तय की जाए। क्योंकि किसानों से गेहूं जब खरीदा गया था, वहीं पर गुणवत्ता की जांच कर ली गई थी।
01 करोड़ 28 लाख 16 हजार मीट्रिक टन से ज्यादा गेहूं की खरीदी
इस वर्ष सिंगरौली, नीमच, आगर मालवा, रतलाम, मंदसौर, अनूपपुर, शहडोल, खरगोन, धार, बुरहानपुर, बड़वानी, आलीराजपुर, डिंडोरी बालाघाट, मंडला में पूरे गेहूं का परिवहन को चुका है।
प्रोत्साहन राशि बढ़ाने के बाद भी मिलिंग शुरू नहीं कर रहे मिलर
मिलर को प्रोसाहन और अपग्रेडेशन राशि देने के बाद भी धान की मिलिंग करने में रुचि नहीं ले रहे। कई मिलर गोदामों में एक तरफ से धान उठाने के बजाय गुणवत्ता की जांच-परख कर उठा रहे हैं। अगर ये मिलिंग करने के लिए तैयार नहीं होते हैं तो सरकार जिला स्तर से दोबारा टेंडर जारी करेगी।
सरकार ने प्रोत्साहन और अपग्रेडेशन राशि मिलाकर 200 रुपए तक देने का वादा किया है। इसके बाद भी मिलरों का मानना है कि धान पुरानी होने से टूटन की मात्रा ज्यादा निकलेगी। इससे मिलिंग की पूर्ति करना मुश्किल होगा। उधर, खाद्य विभाग को यह चिंता है कि 10-15 दिन में धान मिलिंग के लिए नहीं उठती है तो बारिश के दौरान मिलिंग होना मुश्किल होगा।
एफसीआइ को चावल देने में ज्यादा दिक्कत: भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) को चावल देने में दिक्कत हो रही है, क्योंकि एफसीआइ के मानदंड कड़े होते हैं। इसके चलते मिलर खरा उतरने पर संदेह कर रहे हैं। मिलरों को 40 फीसदी चावल एफसीआइ को देना है। इसी पर उन्हें अपग्रेडेशन राशि ज्यादा मिलनी है। पांच लाख टन चावल पहले मिलर आपूर्ति निगम को दे चुके हैं। एफसीआइ चावल उन राज्यों को सप्लाई करता है जहां इसकी पैदावार नहीं होती।
ये है प्रोत्साहन और अपग्रेडेशन राशि की व्यववस्था
सरकार ने मिलरों को प्रोत्साहन राशि और अपग्रेडेशन राशि मिलाकर दो सौ रुपए प्रति क्विंटल तय की गई। यह राशि सिर्फ इसी वर्ष के लिए तय की गई है। अगले वर्षोंं के लिए भी प्रोत्साहन राशि 50 रुपए प्रति क्विंटल तो लागू रहेगी, लेकिन अपग्रेडेशन के नाम पर दी जाने वाली 150 रुपए की राशि देने के संबंध में सरकार बाद में निर्णय लेगी।

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