प्लास्टिक और इन बोर्ड के रंगों में कई हेवी मेटल होते हैं जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारी का कारक बन सकते हैं। निगम के पास इसके लिए कोई अलग प्लांट ही नहीं है। इ-वेस्ट की तरह ये भी बड़ा खतरा बन रहा है।
शहर में हर रोज करीब दो सौ बड़े फ्लेक्स छापे जा रहे हैं। गली, मोहल्लों और चौराहों पर एक समय तक लगे रहने के वेस्ट में तब्दील हो जाते हैं। लेकिन इसके बाद इनके निष्पादन को लेकर कोई इंतजाम नहीं हैं।
ऐसे में कई क्विंटल वेस्ट जमा हो गया है। एमपी नगर, जिंसी चौराहे के पास और भानपुर में नगर निगम के डंपिग यार्ड में ये वेस्ट पड़ा हुआ। बाद में इसे उठाकर भानपुर में फेंका जा रहा है। अब तक ऐसे फ्लेक्स का सैकड़ों क्विंटल वेस्ट चुपचाप कचरे के बीच दबाया जा चुका है।
चुपचाप दबाया जा रहा फ्लेक्स और होर्डिंग का खतरनाक कचरा शहर में हर माह कई क्विंटल फ्लेक्स और प्लास्टिक बोर्ड बनाए जा रहे हैं। शहर में इसके लिए कई यूनिट लगी हैं। ये केवल बनाने तक सीमित हैं। इसके निष्पादन का जिम्मा नगर निगम का है।
सेहत और पर्यावरण के लिए खतरनाक होने केे बाद भी जिम्मेदार अनदेखी कर रहे हैं। नगर निगम अधिकारियों के मुताबिक शहर से इनकी जब्ती के बाद डंपिंग यार्ड में रख दिया जाता है। इस दौरान ज्यादातर कई जगह से फट जाते हैं। इन्हें आदमपुर में डंप कर दिया जाता है। ये डंपिंग लंबे समय से चुपचाप हो रही है।
अब तक सैकड़ों क्विंटल प्लास्टिक फ्लैक्स कचरे के साथ फेंके जा चुके हैं। इनके जरिए पानी और भूमि दोनों ही दूषित हो रही है। निष्पादन के लिए विशेष प्लांट की जरूरत ये कचरा बायो डायग्रेडेबल की श्रेणी में है।
जिसका निष्पादन विशेष विधि से होता है। इसके लिए एमएसडब्लू 2016 के तहत नियम भी बने है। इस कचरे के निष्पादन के लिए प्लांट की जरूरत है। जो कि भी नगर निगम के पास नहीं है। करीब 475 करोड़ की लागत से ऐसे एक प्लांट बनाने के लिए योजना तो बनाई गई थी लेकिन अब तक ये केवल कागजों तक ही सीमित है।
पीसीबी भी अनजान इस खतरनाक कचरे से होने वाले नुकसान से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी भी अनजान है। इनके निष्पादन को लेकर कोई निर्देश नहीं दिए गए। जबकि हर माह बड़ी मात्रा ये कचरा निकल रहा है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अधिकारी डा. पीएस बुंदेला ने बताया कि ये रियूज हो रहे हैं। जबकि नगर निगम इन्हें डंप कर रहा है।
इ- कचरे की तरह है खतरा यह भी इ-कचरे की तरह एक बड़ा खतरा है। निष्पादन को लेकर गंभीर न होने से भविष्य में ये मुसीबत खड़ी करेंगे। इनका उपयोग लगातार बढ़ रहा है।
क्या हैं इनसे खतरा
– फ्लेक्स और प्लास्टिक के बोर्ड और इनके रंगों में 36 तरह के केमिकल होते हैं। इनमें ज्यादातर हेवी मेटल हैं। इससे कैंसर सहित कई खतरनाक बीमारियों का खतरा है।
– फ्लेक्स और प्लास्टिक के बोर्ड और इनके रंगों में 36 तरह के केमिकल होते हैं। इनमें ज्यादातर हेवी मेटल हैं। इससे कैंसर सहित कई खतरनाक बीमारियों का खतरा है।
– खुले में पड़े रहने से ये हानिकारक तत्व भूमिगत जल में मिल जाते हैं।
– जलाने पर यह और भी खतरनाक है। निकलने वाली गैसे हानिकारण होती है।
– पानी के माध्यम से इसके हानिकारक तत्व शरीर में पहुंच रहे हैं।
– जलाने पर यह और भी खतरनाक है। निकलने वाली गैसे हानिकारण होती है।
– पानी के माध्यम से इसके हानिकारक तत्व शरीर में पहुंच रहे हैं।
इनका कहना
फ्लेक्स और होर्डिंग को जब्त कर यार्ड में जमा करा दिया जाता है। इसके बाद इनमें से ज्यादातर को आदमपुर छावनी में डंप कर दिया जाता है। राजीव सक्सेना, अतिक्रमण अधिकारी
फ्लेक्स और होर्डिंग को जब्त कर यार्ड में जमा करा दिया जाता है। इसके बाद इनमें से ज्यादातर को आदमपुर छावनी में डंप कर दिया जाता है। राजीव सक्सेना, अतिक्रमण अधिकारी
– विशेषज्ञ से बात पर्यावरण और सेहत के लिए ये बहुत खतरनाक है। सही तरीके से इसका निष्पादन न होने से ये भूमि, वायु और जल को प्रदूषित करेगा। फ्लेक्स और बोर्ड के साथ इन पर रंग होते हैं। जिसमें हेवी मेटल होते हैं। ये कैंसर का कारक है। नगर निगम आदमपुर में खुले में ये कचरा पटक रहा है। पानी के साथ हानिकारक केमिकल जमीन में मिल रहे हैं। निष्पादन के लिए प्लांट की जरूरत है। जो कि नहीं है। लगातार बढ़ रहे इस्तेमाल से आने वाले समय में बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी। जिस ओर नगर निगम का कोई ध्यान नहीं है। बड़ी लापरवाही बरती जा रही है।
सुभाष सी पांडे, पर्यावरणविद्