script

दो साल से स्कूल आरटीई के दायरे से बाहर फिर भी ले रहा था अनुदान

locationभोपालPublished: Apr 14, 2018 10:23:29 am

Submitted by:

Rohit verma

बाल आयोग की संयुक्त बेंच में आया मामला

news

भोपाल. मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग में शुक्रवार को संयुक्त बेंच का आयोजन किया गया। इसमें बीते दिन गोविंदपुरा स्थित सेंट पीटर्स मारथोमा स्कूल ने आरटीई में एडमिशन लेने वाले छात्र से फीस वसूलने के मामले में प्रिंसिपल अल्पना सुनील कुमार ने आयोग को बताया कि बीते वर्ष स्कूल के सभी छात्रों से १०० रुपए शाला विकास शुल्क के नाम पर लिया था। इस वर्ष १५०० रुपए हो गई। सुप्रीम कोर्ट के २०१३-१४ नॉर्म्स के अनुसार उनका स्कूल आरटीई के दायरे से बाहर हो गया है, जिससे छात्रों से फीस लेना शुरू कर दिया। आयोग को बताया, नॉर्म्स के बाद भी वर्ष २०१४-१५ और २०१५-१६ में आरटीई का अनुदान स्कूल को प्राप्त हुआ है।

आयोग के समक्ष पहुंचे अन्य मामले में आवेदक कमलेश त्रिपाठी ने बताया, वह बैरागढ़ के क्राइस्ट मेमोरियल स्कूल के पास रहता है। उनका बेटा अनुज स्कूल के पास शाम को बॉल से खेल रहा था। इस दौरान बॉल स्कूल की छत पर चली गई, जिसे लेने वह स्कूल में गया। स्कूल की छत के ऊपर से हाई टेंशन लाइन गई है। बॉल उठाते हुए बच्चे का हाथ बिजली तार में चला गया और उसकी मृत्यु हो गई। पिं्रसिपल अनीता वाजपेयी ने बताया कि गार्ड को नौकरी से निकाल दिया है। वहीं बिजली विभाग को भी हाई टेंशन लाइन अलग करने का आवेदन और राशि जमा कर दी है। इसके अलावा बच्चे के परिजनों को भी सहायता राशि के नाम पर एक लाख रूपए दे दिए गए हैं।

 

आरटीई के दायरे से स्कूल दो वर्ष पहले ही अलग हो गया था, इसके बाद भी शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल को अनुदान राशि दो वर्ष तक मिलती रही। यह जांच का विषय है, जिसके लिए डीपीसी को पत्र लिखा जाएगा। वहीं क्राइस्ट मेमोरियल केस में स्कूल पिं्रसिपल से बिजली विभाग में दिया गया आवेदन और फीस की रसीद की कॉपी मांगी है।
ब्रजेश चौहान, सदस्य, बाल आयोग

पहली शादी के सवाल पूछने पर पति करने लगा मारपीट
मेरे पति ने पहली शादी छुपाकर मुझसे मंदिर में शादी कर ली। तीन महीने बाद मुझे जानकारी मिली तो मैंने पति से अलग होने का निर्णय लिया। इस दौरान पति ने एक दिन मुझे घर बुलाया और कमरे में बंद कर मेरे साथ मारपीट की। खुद को बचाते हुए मैने महिला थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। एसआइ नीतू ने मेरे बयान बदल दिए और शादी के मुख्य सबूत ही गायब कर दिए। ये कहना था एक महिला का जिसने महिला आयोग में आयोजित संयुक्त बेंच के समक्ष कहा। महिला थाना प्रभारी शिखा सिंह बैस ने आयोग को बताया कि आवेदिका द्वारा दिए गए साक्ष्य को केंद्र में रखते हुए अपराध कायम किया है। आयोग ने एसपी को पत्र लिखकर जांच के निर्देश दिए हैं।

दहेज प्रताडऩा का केस खारिज
आवेदिका ने पति कमलेश डाबी पर दहेज प्रताडऩा का आरोप लगाया। उसने बताया कि उसकी शादी २०११ में हुई थी। दो साल बाद ससुराल वाले दहेज की मांग करने लगे। कमलेश ने बताया पत्नी द्वारा लगाया गया केस तीन बार खारिज हो चुका है। उन्होंने बताया कि उसका परिवार संयुक्त परिवार में रहता है, लेकिन पत्नी उसे परिवार से अलग करना चाहती है। वहीं पत्नी तलाक देने के लिए दस लाख रुपए और कार की मांग कर रही है।

संयुक्त बेंच के समक्ष ४९ केस रखे गए थे, जिसमें से २४ केस की सुनवाई हुई है। पारिवारिक संबंधी मामलों के अधिकतर केस में समझौता कराया गया है।
– लता वानखेड़े, अध्यक्ष, महिला आयोग

ट्रेंडिंग वीडियो