UGC ने इसके लिए भारतीय और विदेशी विश्वविद्यालयों (Foreign Universities) के बीच अकादमिक सहयोग के कुछ नए कदम उठाए हैं। इसके तहत नियमों में ढील देते हुए कुछ प्रमुख संशोधनों को मंजूरी दी गई है। UGC के अनुसार नई व्यवस्था के तहत तीन प्रकार के कोर्स करने की इजाजत दी जाएगी। इन कोर्सों में डुअल, जॉइंट और ट्विन डिग्री प्रोग्राम शामिल हैं।
डुअल डिग्री- इसके अंतर्गत एक भारतीय और दूसरा फॉरेन यूनिवर्सिटी डिग्री की पढ़ाई कराई जाएगी. सब्जेक्ट एक ही होगा. दोनों यूनिवर्सिटी अलग- अलग डिग्री जारी करेंगी।
ट्विन प्रोग्राम- इसमें छात्रों को कुछ सेमेस्टर की पढ़ाई संबंधित विदेशी विश्वविद्यालय में जाकर करनी होगी।
ज्वाइंट डिग्री- इसमें एक भारतीय और दूसरा विदेशी विश्वविद्यालय मिलकर डिग्री प्रोग्राम चलाएंगे। डिग्री इंडियन यूनिवर्सिटी की होगी, लेकिन उसमें दोनों यूनिवर्सिटी का लोगो लगा होगा।
ऐसे दी जाएगी डिग्री
कोई भी मान्यता प्राप्त भारतीय संस्थान ऐसे विदेशी संस्थान के साथ सहयोग कर सकता है. नेशनल इंस्टिट्यूट रैकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की यूनिवर्सिटी लिस्ट में टॉप 100 में शामिल संस्थान भी इसके लिए एलिजिबल होंगे।
यूजीसी के अनुसार ये प्रोग्राम ऑनलाइन और डिस्टेंस मोड से चलने वाले डिग्री प्रोग्राम में लागू नहीं होगा. ये सभी पूरी तरह से फिजिकल क्लासरूम में चलने वाले प्रोग्राम होंगे. इसके साथ ही इन प्रोग्राम में मेडिकल, लीगल और कृषि डिग्री प्रोग्राम शामिल नहीं किए जाएंगे।
कहा जा रहा है कि नए नियमों से प्रदेश के छात्रों को काफी फायदा होगा. पहले विदेशी डिग्री के लिए उन्हें विदेश जाना पड़ता था। इसमें लाखों रुपए का खर्च आता था. जाहिर है इस वजह से अधिकतर छात्र अपनी इच्छा मारकर विदेश नहीं जाते थे। यूजीसी के इस नए नियम ने इसे बेहद आसान बना दिया है. इसके साथ ही यूक्रेन की तरह लौटकर आने की झंझट भी खत्म हो गई है।