डीएफओ, एडिशनल कलेक्टर का पत्र भी
डीएफओ हरिशंकर मिश्रा इसे राजस्व भूमि बताकर दूरी बना रहे हैं, लेकिन कटाई की अनुमति में डीएफओ की सहमति का पत्र भी है। इसमें इसे राजस्व भूमि बताया है। यानि डीएफओ को कटाई से दिक्कत नहीं थी। इसी तरह तत्कालीन एडिशनल कलेक्टर रत्नाकर झा के नाम से जारी पहले का एक पत्र भी दर्ज है, जिसमें निर्माण में बाधक पेड़ों को काटने की एनओसी है।
एक्ट के तहत शहरी सीमा में निगमायुक्त ट्री अधिकारी होता है और पेड़ काटने की अनुमति उसके ही माध्यम से दी जाती है। इसमें हमारी भूमिका नहीं है। हमने तो 45 पेड़ बचा लिए। निगम ने 248 पेड़ों की अनुमति मांगी थी, लेकिन हमारे रेंजर ने निरीक्षण किया तो 203 ही काटने योग्य पाए।
संजय श्रीवास्तव, चीफ कंजरवेटर सीपीए फॉरेस्ट
पेड़ों की कटाई के लिए जो दस्तावेज आए थे, उनके आधार पर सीपीए फॉरेस्ट को एनओसी के लिए भेजा था। उन्होंने ही सहमति दी, तभी हमने अनुमति जारी की। अब हमने वहां काटे हुए पेड़ों की क्षतिपूर्ति बड़े स्तर पर करने की योजना बनाई है। हमें नोटिस मिले थे, तो जवाब दे दिया है।
मनोज मौर्य, उपायुक्त उद्यान शाखा नगर निगम