वनों के उत्पादों पर इन समितियों को पूरा अधिकार दिया जाएगा, समितियों और वन विभाग के अधिकारियों का एक संयुक्त खाता होगा जिसमें वनों और वन औषधियों से होने वाले लाभ की पूरी राशि उसी खाते में जमा होगी। वही बांसों के उत्पादन के लिए प्रत्येक जिले में वन भूमि आरक्षित की जाएगी। सरकार का यह प्रयास होगा कि समितियों की जरूरतों के अनुसार उन्हें अच्छे किस्म का पौधा उपलब्ध कराए और उसकी कटाई, छटाई के लिए तमाम तरह की तकनीक उपलब्ध कराए।
निर्माण और विकास कार्य भी समितियों के हाथ में
वन क्षेत्रों में होने वाले निर्माण कार्य और विकास कार्य भी समितियों के हाथों में दिया जाएगा। यह वनों की सुरक्षा के साथ यह भी काम करेंगी, जिसके लिए उन्हें अतिरिक्त राशि भी उपलब्ध कराई जाएगी। इसके साथ ही उन्हें मनरेगा, आत्यनिर्भर भारत, सहकारिता योजना जैसे सरकार की तमाम योजनाओं के जरिए उन्हें लाभ दिया जाएगा। संयुक्त वन प्रबंध समितियों को वनों में अतिक्रमण, अवैध उत्खनन और अवैध कटाई रोकने का भी काम दिया जाएगा।