वीरपुर वन मंडल सीहोर स्थित यह भूमि पूर्व मुख्य सचिव के नाम से वर्ष 1990 से है। वन विभाग ने उन्हें नोटिस जारी करते हुए कहा है कि सरकारी खसरे में यह जमीन वन भूमि है। उक्त भूमि का डिनोटीफिकेशन नहीं किया गया है। इसके चलते इस भूमि पर गैर वानिकी कार्य न करें, यानी कि यहां रिसॉर्ट संचालित न करे। उन्होंने यह भी लिखा है कि उक्त भूमि दोहरे स्वामित्व की प्रतीत होती है।
नोटिस में विभाग ने यह भी कहा है कि वन परिक्षेत्र वीरपुर के वन ग्राम लावाखाड़ी, लोहापठार, सारस, मगरापाठ आदि में इस प्रकार के कई वन मूमि के निजी स्वामित्व के खसरे में विद्यमान है, जिसमें भू स्वामियों द्वारा भू-राजस्व संहिता 1859 की धारा 242, 241 अंतर्गत वनों के विदोहन के लिए अनेक प्रस्ताव दिए गए हैं, जाे कि वन भूमि के डीनोटीफाई नहीं होने और वर्तमान में उक्त भूमि की कानूनी स्थिति वन होने के कारण भू-स्वामियों के प्रस्ताव पर कोई विचार नहीं किया गया है।
पूर्व सीए एवी सिंह ने सीएस को लिख पत्र पूर्व सीएस एवी सिंह ने मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव वन को पत्र लिखकर बताया कि भूमि 1990 में खरीदी थी। तहसील इछावर जिला सीहोर के ग्राम लवखेड़ी, वीरपुर, कोलार डैम के अंतर्गत मेरे स्वामित्व और अधिपत्य में तीन एकड़ जमीन है। जो कि मेरे द्वारा 1990 में क्रय की गई थी, तब से ये मेरे अधिपत्य में है। उक्त भूमि पर 2012 से मेरे पुत्रवधू द्वारा रातापानी जंगल लाज के नाम से पर्यटन केन्द्र संचालित किया जा रहा है। इसकी वैधानिक अनुमति भी है। उक्त भूमि का राजस्व व्यपवर्तन शुल्क भी चुकाया जा चुका है। वर्तमान में उक्त भूमि व्यावसायिक उपयोग के अंतर्गत दर्ज है। जिसके तहत वार्षिक कर भी चुकाया जाता है।
- यह जमीन मेरी है। वन विभाग की नहीं है। वन विभाग अपने नक्शे को दुरस्त नहीं कर रहा है। यह जमीन वर्ष 1954 से राजस्व मूमि में दर्ज है, जिसके सारे रिकार्ड मेरे पास हैं। वर्ष 1990 में मेरे पिता जी एक किसान से खरीदी थी।
पीएस ने कहा मुझे नहीं पता वन विभाग के प्रमुख सचिव अशोक वर्णवाल से जब यह सवाल किया कि एवी सिंह का जिस रिसॉर्ट है वह जमीन वन विभाग की है या निजी है, तो उन्होंने कहा कि इस मामले में मुझे नहीं पता है। किसी एक सिंगल केस के बारे में आप पूछोंगे हो हम नहीं बता पाएंगे।