इसके चलते उन्हें राज्य स्तर की ही खेल प्रतियोगिता कराने में इधर-उधर जोड़-तोड़ करना पड़ा है। यह बात और है कि इस खेल की शुरूआत तत्कालीन केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री कमलनाथ ने की थी, लेकिन अब उनके ही मुख्यमंत्री बनने के बाद वन विभाग के अधिकारियों के सामने बजट का संकट आ गया है।
केन्द्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की वर्षों पहले खेलकूद प्रतियोगिता शुरू की है। इसका मुख्य उद्देश्य यह है कि अधिकारी और कर्मचारियों के बीच की दूरियां कम होंगी। इसके अलावा जब ये अधिकारी-कर्मचारी एक जिले से दूसरे जिले के अधिकारियों और कर्मचारियों से मिलेंगे तो अपने-अपने क्षेत्र में किए गए कार्यों का अनुभव एक दूसरे से साझा करेंगे।
नेशनल स्पोर्ट में एक राज्य के अधिकारी-कर्मचारी आपस में मिलेंगे तो वहां भी वे अनुभव साझा करेंगे। इसके साथ ही नवाचार को लेकर भी तमाम तरह की जानकारियों का आदान-प्रदान होगा। क्योंकि यह प्रतियोगिताएं करीब 15 दिन से लेकर एक माह तक चलती है।
इसके अलावा हमेशा जंगलों में रहने वाले कर्मचारियों का सालभर में एक बार मनोरंजन हो सकेगा। खेल-कूद प्रतियोगिता के लिए पहले 80 लाख रूपए से अधिक राशि दी जाती थी, जबकि इस वर्ष विभाग से मात्र 24 लाख रूपए ही मिल पाए हैं। जिसमें 10-10 लाख रूपए वनोजन संघ, वन विकास निगम की शामिल है।
भुवनेश्वर में है नेशनल प्रतियोगिता –
वन विभाग की नेशनल खेल-कूद प्रतियोगिता इस वर्ष भुवनेश्वर है। इस प्रतियोगिता में सिर्फ उन्हीं खेलों के खिलाडिय़ों को भेजा जा रहा है जिसमें टीम नहीं होती है, एक ही खिलाड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा लेता है। इसके मुख्य वजह यह है कि टीम भेजने पर विभाग को करीब दो सौ खिलाडिय़ों को वहां तक आने-जाने, ठहरने-भोजन की व्यवस्था करनी पड़ती है। इसके अलावा विभाग को अगल-अलग खेलों में शामिल होने के लिए फीस भी जमा करनी होती है।
विभाग में बजट का अभाव है इसलिए बड़ी खेल प्रतियोगिताओं में नेशनल खेलने के लिए टीमें नहीं भेजी जा रही हैं।
– आरके गुप्ता, पीसीसीएफ वन विभाग