वन विभाग ने बाघ व अन्य वन्य प्राणियों की सुरक्षा और वन अपराधों में नियंत्रण करने के लिए नौरादेही अभ्यारण्य को 10 जनवरी २०१९ को यह खोजी कुत्ता टायसन सौंपा थिा। वहां के सीसीएफ अश्वनी तिवारी ने विभाग से बिना अनुमति लिए 21 फरवरी को टायसन को सागर सर्कल में अटैच कर दिया था। इसके बाद टायसन बीमार हो गया और दो माह में ही उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने टायसन की मौत की वजह लीवर और किडनी में इनफेक्शन बताया है। सागर में सात माह पहले भी एक खोजी कुत्ते की मौत इन्हीं कारणों से हुई थी।
सागर में डॉग स्क्वायड के बीमार होने पर डीएफओ अंकुर अवधिया ने शासन को पत्र लिखा था कि टायसन को गंदगी में रखा जा रहा है। इससे उसे संक्रमण होने का खतरा है। जहां उसे रखा जा रहा है वहां निर्माण कार्य भी चल रहा है। इसे दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए अथवा धूल और गंदगी से बचाया जाए। अवधिया ने लिखा था कि जहां टायसन को रखा गया है वहां आवारा कुत्ते भी रहते हैं, इससे भी उसमें संक्रमण खतरा है।
क्यों था खास टायसन- नौरादेही वन अमले में टाइसन के आने के ४० दिन के भीतर ही वन्य प्राणियों के शिकार के दो मामलों में सफलता मिली थी। उसने शिकारियों के एक गिरोह को पकड़वाया था। दूसरे मामले में एक शिकारी व उसके द्वारा शिकार में प्रयोग किए गए भाला को ढूंड निकाला था। टायसन को वन विभाग ने ट्रेनिंग के लिए अफ्रीका भी भेजा था। इसकी ट्रेनिंग पर लगभग 6 लाख रुपए खर्च हुए थे। अफ्रीका नेशनल पार्क में बल्जियम डॉग की मदद से गेंडों की चोरी रोकी जा सकी थी। यहां की ट्रेनिंग से टायसन में काफी निपुणता आई थी।
टायसन को तय मानक की जगह में नहीं रखा गया था। मुझे जो सुझाव देने था वह विभाग और अधिकारियों को दे दिए थे। गंदगी में रखे जाने के कारण उसकी मौत हुई है।
– अश्वनी तिवारी, सीसीएफ, सागर वन मंडल