scriptबेल्जियम डॉग ‘टाइसन’ की मौत पर वन अधिकारी आमने-सामने | Forest Officer Counter charge on the death of Belgian dog Tyson | Patrika News

बेल्जियम डॉग ‘टाइसन’ की मौत पर वन अधिकारी आमने-सामने

locationभोपालPublished: May 27, 2019 01:54:27 am

– सागर डीएफओ ने डॉग स्क्वायड की मौत का जिम्मेदार सीसीएफ को ठहराया- सीसीएफ बोले- डीएफओ अवधिया में अभी बचपना है
– वन विभाग ने शुरू की जांच

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भोपाल/सागर। सागर वन वृत्त के नौरादेही अभ्यारण्य की सुरक्षा के लिए लाए गए बेल्जियम शेफर्ड डॉग ‘टाइसनÓ की आकस्मिक मौत को लेकर वन विभाग के दो अधिकारी आमने-सामने आ गए हैं। नौरादेही डीएफओ अंकुर अवधिया ने इस मामले में अपने ही वरिष्ठ अधिकारी सीसीएफ अश्विनी तिवारी को जिम्मेदार ठहरा दिया है।
अवधिया ने राज्य शासन को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि इस विशेष नस्ल के खोजी कुत्ते को गंदगी और संक्रमण वाली जगह में रखा गया जिसके चलते उसकी मौत हो गई। वहीं सीसीएफ तिवारी ने डीएफओ अवधिया की समझदारी पर ही प्रश्रचिन्ह लगाते हुए कहा है कि उनमें अभी भी बचपना है मामले को तूल पकड़ते देख शनिवार को वन विभाग ने इसके जांच की जिम्मेदारी मुख्यलय में पदस्थ एक एपीसीसीएफ स्तर के अधिकारी को दी है।

वन विभाग ने बाघ व अन्य वन्य प्राणियों की सुरक्षा और वन अपराधों में नियंत्रण करने के लिए नौरादेही अभ्यारण्य को 10 जनवरी २०१९ को यह खोजी कुत्ता टायसन सौंपा थिा। वहां के सीसीएफ अश्वनी तिवारी ने विभाग से बिना अनुमति लिए 21 फरवरी को टायसन को सागर सर्कल में अटैच कर दिया था। इसके बाद टायसन बीमार हो गया और दो माह में ही उसकी मौत हो गई। डॉक्टरों ने टायसन की मौत की वजह लीवर और किडनी में इनफेक्शन बताया है। सागर में सात माह पहले भी एक खोजी कुत्ते की मौत इन्हीं कारणों से हुई थी।
डीएफओ ने ये लिखा था शासन को पत्र
सागर में डॉग स्क्वायड के बीमार होने पर डीएफओ अंकुर अवधिया ने शासन को पत्र लिखा था कि टायसन को गंदगी में रखा जा रहा है।

इससे उसे संक्रमण होने का खतरा है। जहां उसे रखा जा रहा है वहां निर्माण कार्य भी चल रहा है। इसे दूसरी जगह शिफ्ट किया जाए अथवा धूल और गंदगी से बचाया जाए। अवधिया ने लिखा था कि जहां टायसन को रखा गया है वहां आवारा कुत्ते भी रहते हैं, इससे भी उसमें संक्रमण खतरा है।
मुख्यालय से सागर दौरे पर पहुंचे वाइल्ड लाइफ एपीसीसीएफ दिलीप कुमार को भी इस मामले की जानकारी डीएफओ ने दी थी।


क्यों था खास टायसन-

नौरादेही वन अमले में टाइसन के आने के ४० दिन के भीतर ही वन्य प्राणियों के शिकार के दो मामलों में सफलता मिली थी। उसने शिकारियों के एक गिरोह को पकड़वाया था। दूसरे मामले में एक शिकारी व उसके द्वारा शिकार में प्रयोग किए गए भाला को ढूंड निकाला था। टायसन को वन विभाग ने ट्रेनिंग के लिए अफ्रीका भी भेजा था। इसकी ट्रेनिंग पर लगभग 6 लाख रुपए खर्च हुए थे। अफ्रीका नेशनल पार्क में बल्जियम डॉग की मदद से गेंडों की चोरी रोकी जा सकी थी। यहां की ट्रेनिंग से टायसन में काफी निपुणता आई थी।


टायसन को तय मानक की जगह में नहीं रखा गया था। मुझे जो सुझाव देने था वह विभाग और अधिकारियों को दे दिए थे। गंदगी में रखे जाने के कारण उसकी मौत हुई है।
– अंकुर अवधिया,डीएफओ नौरादेही, अभ्यारण्य

डीएफओ में अभी बचपना है, समझदारी की भी कमी है। उन्हें जो भी कहना है वह शासन से कहें। जांच में सब दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
– अश्वनी तिवारी, सीसीएफ, सागर वन मंडल

डॉग की मौत के मामले में सीसीएफ और डीएफओ एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। इसके चलते इसकी जांच कराई जा रही है। जांच की जिम्मेदारी एपीसीसीएफ स्तर के वरिष्ठ अधिकारी सुभरंजन सेन को सौंपी गई है।
– जेके मोहंती, पीसीसीएफ (वन बल प्रमुख ) मप्र

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