दरअसल, मध्यप्रदेश के शहडोल जिले में उत्तर वन मंडल में यज्ञनारायण सेन नामक चौकीदार पदस्थ है। जिसने वर्ष 2003 से विभागीय खेल प्रतिभाओं में भाग लेकर 5 किमी से 10 किमी और 25 किमी की रेस व वॉक प्रतियोगिता में भाग लेकर स्टेट से लेकर इंटरनेशनल लेवल तक अपने विभाग का नाम रोशन किया है। उसे अपनी दम पर कई मेडल, ट्राफियां और प्रमाण पत्र हासिल किए हैं। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इतना सब होने के बावजूद उसे उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है। यही कारण है कि वह परिवार सहित इच्छा मृत्यु मांगने पर विवश हो गया है।
कोरोना मरीज की मौत के बाद भी 11 दिन तक चला उपचार 30 साल में नहीं एक भी पदोन्नति
यज्ञनारायण के अनुसार वह 9 फरवरी 1988 से वन विभाग में चौकीदार के पद पर पदस्थ है। इसके बाद जो कर्मचारी नियुक्त हुए थे, उन्हें दो पदोन्नति का लाभ मिल चुका है। लेकिन उन्हें 30 वर्ष के कार्यकाल में भी यह लाभ नहीं मिला, इस कारण वे अपने आप को निराश ओर हताश महसूस करते हैं। उनकी नियुक्ति के साथ सर्विस बुक बनी है। लेकिन मनमर्जी से उन्हें नैमित्तिक चौकीदार लिखकर वर्ष 2019 में साख्योतर घोषित करा दिया है।
यज्ञनारायण के अनुसार वह 9 फरवरी 1988 से वन विभाग में चौकीदार के पद पर पदस्थ है। इसके बाद जो कर्मचारी नियुक्त हुए थे, उन्हें दो पदोन्नति का लाभ मिल चुका है। लेकिन उन्हें 30 वर्ष के कार्यकाल में भी यह लाभ नहीं मिला, इस कारण वे अपने आप को निराश ओर हताश महसूस करते हैं। उनकी नियुक्ति के साथ सर्विस बुक बनी है। लेकिन मनमर्जी से उन्हें नैमित्तिक चौकीदार लिखकर वर्ष 2019 में साख्योतर घोषित करा दिया है।
एनएसजी कमांडो निर्मला ने सब कुछ छोड़ अपनाया भक्ति का मार्ग वरिष्ठ अधिकारी भी नहीं सुनते बात यज्ञनारायण द्वारा कई बार वरिष्ठ अधिकारियों को अपनी समस्या का निवारण करने के लिए आवेदन दिया गया। लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं हुआ। उन्होंने 28 अगस्त 2021 को आयोजित वृत्त स्तरीय कर्मचारी समस्या निवारण शिविर में भी आवेदन दिया था, लेकिन उन्हें अपमानित कर वापस कर दिया गया। यह भी कहा कि फिलहाल पदोन्नति पर प्रतिबंध लगा है, जबकि वरिष्ठ कार्यालय से उन्हें आश्वासन दिया गया था कि यदि वर्ष 2016 के पूर्व जूनियर कर्मचारीको पदोन्नति दी गई है तो कोई प्रतिबंध नहीं है।
बासमती चावल की फ्रेंचाइजी के नाम पर साढ़े पांच लाख की ऑनलाइन ठगी प्रतियोगिता में भी नहीं लेने देते भाग यज्ञ नारायण खेलों में रूचि रखते हैं। वह अपनी प्रतिभा की दम कर कई मेडल हासिल कर चुके हैं। वे किसी भी मौके को नहीं छोडऩा चाहते हैं। लेकिन विभाग में पदस्थ कई कर्मचारी अधिकारी उसे खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने से मना कर देते हैं। इसके बाद भी वह खेलों से जुड़ा रहता है, इस कारण उसे प्रताडि़त किया जाता है।
नहीं भर रहे कोरोना के जख्म, स्कूल खुलने के बाद भी खाली शासन से अनुमति के लिए भेजी फाइल भी दबाई यज्ञ नारायण ने मास्टर एथलैटिक्स से नेशनल में गोल्ड मेडल हासिल किया है। उनका कनाड़ा, सिंगापुर, मलेशिया, दुबई के लिए भारतीय टीम में चयन किया गया। शासन से अनुमति के लिए उनकी फाईल भी भेजी गई, लेकिन उसे दबा लिया जाता है। उनका कहना है कि अधिकारी कर्मचारी बोलते हैं क्या जरूरी है हर बार गोल्ड मेडल ही जीते।
आमरण अनशन का लिया निर्णय इस प्रकार उपेक्षा का शिकार हो रहे यज्ञनारायण ने कई विभागों के चक्कर काट लिए हैं। लेकिन अब परेशान हो गए हैं। ऐसे में उन्होंने आमरण अनशन लेने का निर्णय लिया है। इस संबंध में उन्होंने 14 सितंबर को राज्यपाल के नाम पत्र भी जिला प्रशासन को सौंपा है।
मुख्यालय भेज दी रिपोर्ट कर्मचारी द्वारा नियमित वेतनमान और पदोन्नति की मांग की है, जिसका निर्णय मुख्यालय स्तर पर होना है, अगर मुख्यालय अनुमति देता है, तो उनकी समस्या का निराकरण हो जाएगा।
-पीके वर्मा, सीसीएफ, शहडोल
-पीके वर्मा, सीसीएफ, शहडोल