कोलार नगर पालिका बनी तो घट जाएगी भोपाल की श्रेणी
नपा बनने से घटेगा नगर निगम का क्षेत्रफल और आबादी

भोपाल. महानगर की ओर बढ़ रहे भोपाल को कोलार नगर पालिका पुनर्गठन से बड़ा झटका लगेगा। करीब 95 वर्ग किमी का क्षेत्रफल भोपाल नगर निगम से अलग हो जाएगा। इसका असर शहर की श्रेणी पर भी पड़ेगा। जानकारों का कहना है कि श्रेणी कमजोर होने से केंद्र व राज्य सरकार की ओर से मिलने वाले विकास के फंड में कमी आएगी। इससे विकास कार्य प्रभावित होंगे। फिलहाल भोपाल देश के बड़े शहरों में शामिल है। अलग-अलग योजनाओं में इसकी आबादी और क्षेत्रफल के हिसाब से अलग-अलग श्रेणी में शामिल कर रखा है। स्वच्छता में भोपाल ए श्रेणी वाले शहरों में शामिल है तो रेलवे ने स्टेशन के हिसाब से कैटेगिरी तय कर रखी है। स्मार्ट सिटी, अमृत प्रोजेक्ट समेत बिजली व शहरी विकास की अन्य बड़ी योजनाओं में भोपाल की आबादी व क्षेत्रफल के अनुसार श्रेणी तय कर रखी है।
कोलार नगर पालिका पुनर्गठन के लिए नगर निगम की निर्वाचन शाखा द्वारा जारी निर्देश के अनुसार भोपाल नगर निगम का दायरा फिलहाल 412.50 वर्ग किमी है। कोलार नगर पालिका में इसका 95 वर्ग किमी का हिस्सा चला जाएगा। ये सिमटकर 317 वर्ग किमी रह जाएगा। यानी पांच साल पहले की स्थिति से महज 22 वर्ग किमी ही दायरा बढ़ा है। 2014 में भोपाल नगर निगम का दायरा 285 वर्ग किमी था। केंद्र के बड़े प्रोजेक्ट का लाभ लेने के लिए ही कोलार को नगर निगम सीमा में शामिल किया गया था।
घनत्व और एरिया तय करता है श्रेणी
मेट्रो ट्रेन डीपीआर बनाने वाले कंसलटेंट रोहित गुप्ता के अनुसार शहर की श्रेणी तय करने में उसका दायरा और घनत्व देखा जाता है। फिलहाल 10 लाख की आबादी को बड़े शहरों की श्रेणी में रखा हुआ है, लेकिन केंद्र प्रोजेक्ट और इसकी जरूरत को शहर के घनत्व और एरिया के आधार पर परखती है। ऐसे में कोलार का भोपाल से अलग होना भोपाल व कोलार दोनों के लिए दिक्कतभरा साबित होगा।
मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए मेट्रोपोलिटन एरिया की मांग थी
मेट्रो एक्ट में स्पष्ट है कि ये मेट्रोपोलिटन एरिया अधिसूचित क्षेत्र में ही मेट्रो ट्रेन प्रोजेक्ट लाया जाएगा। भोपाल को आसपास के क्षेत्रों को शामिल कर अलग से मेट्रोपोलिटन एरिया अधिसूचित करने का कहा गया था। इसके लिए आसपास की पंचायतों व कस्बों के जनप्रतिनिधियों के साथ बैठकें भी हुई। भोपाल नगर निगम के सिटी प्लानर विजय सावलकर का कहना है कि प्लानिंग के हिसाब से बड़े नगर निगम बेहतर होते हैं। उनके लिए फंड भी अच्छा मिल जाता है। कोलार के लिए काफी योजनाएं थी, लेकिन अब इसका लाभ संभव नहीं हो पाएगा।
कोलार और भोपाल पर ये होगा असर
कोलार पर असर- सी केटेगरी का शहर बन जाएगा। स्वच्छता में इसकी अलग रैंकिंग होगी। यहां अमृत और इस तरह की बड़ी योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा।
भोपाल पर असर- आबादी में करीब तीन लाख की कमी हो जाएगी। दायरा भी 95 वर्ग किमी कम होगा। इसके आधार पर केंद्र के प्रोजेक्ट मिलने में देरी और कमी होगी। बीते चार सालों में कोलार के नाम पर ही जलापूर्ति प्रोजेक्ट, सीवेज प्रोजेक्ट के साथ ही स्मार्टसिटी के लिए फंड लिया गया।
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