आदित्य विजय सिंह मार्च 2002 से जनवरी 2004 तक मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव रहे हैं। राजधानी से सटे सीहोर जिले के वनग्राम लावाखाड़ी में उनके बेटे का रिसोर्ट है जिसे बहू संचालित करती हैं। वन विभाग के अनुसार रिसोर्ट परिसर में निर्माण किया जा रहा था, इसलिए नोटिस दिया गया है। उनसे कहा गया है कि जब तक यह भूमि डि-नोटिफाई न हो जाए, तब तक यहां कोई निर्माण या पेड़ों की कटाई न करें। खास बात की है कि रिसोर्ट निर्माण के 10 साल बाद विभाग को वनभूमि पर निर्माण का पता चला और रिसोर्ट संचालक को अब नोटिस दिया गया। वन विभाग ने सिंह के अलावा 15 अन्य लोगों को भी नोटिस दिए हैं। इनमें से ज्यादातर लोग जंगल में ढाबा चला रहे हैं। नोटिस के जवाब में पूर्व मुख्य सचिव आदित्य विजय सिंह ने पत्र लिखकर बताया कि जमीन खरीदी गई है और रिसोर्ट यहां 10 साल से चल रहा है।
सीहोर के वनमंडल अधिकारी डा. अनुपम सहाय का कहना है कि यह भूमि काफी पहले राजस्व भूमि घोषित की जा चुकी है। इसलिए राजस्व रिकार्ड मेंं भी दर्ज है. पर चूंकि डि नोटिफाई नहीं की गई इसलिए वन विभाग के रिकार्ड में भी है। नियम अनुसार दोहरे स्वामित्व की इस भूमि पर डिनोटिफाई होने तक गैर वानिकी काम नहीं किए जा सकते हैं.
इस संबंध में भूमि स्वामी और पूर्व मुख्य सचिव एवी सिंह ने बताया कि भूमि मेरे नाम पर है। मुझे जो कहना था मैंने सही जगह कह दिया है। इधर सीहोर के वनमंडल अधिकारी डा. अनुपम सहाय के अनुसार रिसोर्ट वनभूमि पर बना है इसलिए हमने नोटिस दिया है। भूमि डि-नोटिफाई जब तक नहीं कर ली जाती है, तब तक नया निर्माण न करें।