वहीं, बुधवार को कुठियाला से खुद की नियुक्ति, बायोडाटा, आदि सहित 55 से ज्यादा सवाल पूछे। पूछताछ करने वाली टीम ने कुठियाला से यह भी पूछा कि विवि के पैसों से शराब किस नियम से पी और वाइन कैबिनेट किस नियम के तहत खरीदी गई। कुठियाला ऐसे सवालों के जवाब नहीं दे पाए। वहीं, 250 रुपए के चाय-बिस्किट के बिल पर भी कुठियाला से ईओडब्ल्यू ने सवाल पूछे। पूछे गए अधिकतर प्रश्न बिलों पर आधारित थे। कुठियाला से शराब से संबंधित सवाल पूछे तो वे असहज हो गए। उनके पास इसका कोई संतोषजनक जवाब नहीं था।
ईओडब्ल्यू ने कुठियाला की नियुक्ति पर भी नए सिरे से जांच शुरू की है। बताया जा रहा है कि विवि के नियमों को अनदेखा कर कुठियाला की नियुक्ति की गई थी। बाद में कुठियाला ने भी कई नियुक्तियां नियमों को ताक पर रखकर की है।
ईओडब्ल्यू डीजी केएन तिवारी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि विवि के नियमों के अनुसार सिर्फ पत्रकार ही विवि का कुलपति नियुक्त हो सकता है। विवि के अधिनियम की धारा 10 (3) के अनुसार, कुलपति, सार्वजनिक या निजी क्षेत्र में वरिष्ठ स्तर पर बीस सालों के अनुभव के साथ पत्रकारिता या जनसंचार की किसी भी शाखा से एक पेशेवर व्यक्ति ही कुलपति हो सकता है।
लेकिन कुठियाला के बायोडाटा के अनुसार वह मानव विज्ञान और समाजशास्त्र के व्यक्ति है और वह एक प्रोफेसर हैं, पत्रकार नहीं। पत्रकारिता विवि में नियुक्ति से पहले वे कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी हरियाणा के जन संचार और मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक और प्रोफेसर थे।
वे गुरु जंबलेश्वर विवि के संस्थापक शिक्षक भी थे, लेकिन दोनों पदों में प्रमाणित नहीं हुआ कि वे एक पत्रकार हैं। इसलिए कुठियाला की नियुक्ति भी जांच के दायरे में आ गई है। इसके लिए चयन समिति और विवि की महापरिषद से भी पूछताछ की जा सकती है।