कंपनी पर बीसीएलएल की दो करोड़ उधारी भी है, जिसे वसूलने में अफसर आलस दिखा रहे हैं। लो बसें चलाने वाले दुर्गम्मा, केपिटल, भल्लारदेव ऑपरेटरों से रॉयल्टी वसूली का भी यही हाल है। नगरीय प्रशासन आयुक्त पी नरहरि ने बीसीएलएल की समीक्षा में इन बातों पर आपत्ति जताई है। सीईओ पवन सिंह को कार्रवाई के निर्देश भी दिए गए हैं।
10 दिन बस बंद रहने पर मिलेगी विज्ञापन बिलिंग में छूट
तीनों बस ऑपरेटर सहित गुजरात की एजेंसी पर मेहरबानी
कागजों में लो फ्लोर बसों का ब्यौरा
बीसीएलएल का दावा है कि 225 बसों में से 25 बसें कंडम हो चुकी हैं, जबकि 30 से 40 बसें हर महीने 10 दिन से ज्यादा वक्त तक खराब रहती हैं। जीपीएस लॉगबुक के मुताबिक प्रतिमाह ऑन रोड-ऑफ रोड बसों की संख्या में अंतर सामने आने से अफसरों के पास अपने दावों का कोई जवाब नहीं है।
ऐसे हो रहा है फर्जीवाड़ा
बीसीएलएल अधिकारी-ठेकेदारों से मिलीभगत की प्रमुख वजह ठेका शर्तों की आड़ में वित्तीय गड़बडिय़ां हैं। शर्त थी कि कोई बस महीने में 10 दिन से ज्यादा खराब रहती है या खड़ी रहती है तो उस माह का विज्ञापन शुल्क बीसीएलएल को नहीं मिलेगा। शर्त की आड़ में महीने में 3 से 4 दिन ऑफ रोड रहने वाली बसों को भी बिलिंग में शामिल नहीं किया जा रहा है। 225 बसों के एड एग्रीमेंट से काम शुरू करने वाली कंपनी के पास अभी रनिंग कंडीशन की 185 बसें ऑन रिकॉर्ड दर्ज हैं।
अपने स्तर पर भी बुकिंग
बीसीएलएल अपने स्तर पर आय बढ़ाने के लिए लो फ्लोर बसों पर सांची, एड्स कंट्रोल, एलआईसी, बीएसएनएल, टीबी अस्पताल और योजना सांख्यिकी विभाग के विज्ञापन भी कर रहा है। प्रतिमाह प्रतिबस 20 से 25 हजार रुपए तक शुल्क वसूलने के बाद इन विभागों के एड भी राजदीप एड एजेंसी के खाते में दर्ज हो रहे हैं। 20 से 25 हजार रुपए प्रतिबस मिलने की बजाए बीसीएलएल को एक बस से सिर्फ ठेकेदार के रेट का 5200 रुपए ही मिलता है।
वर्तमान में तीन ऑपरेटरों के पास बड़ी बसें 185
तकनीकी खराबियों के कारण बंद बसें 25
प्रतिमाह ऑफ रोड बसों का दावा 40
प्रतिमाह बंद दिखाई जाने वाली कुल बसें 65
बिलिंग में शामिल होने वाली बसें- अधिकतम 120
मुझे इस घोटाले की जानकारी नहीं है। अधिकारी अकेले बैठकें कर लेते हैं। जब मुझे बुलाते ही नहीं तो मैं कैसे जानकारी दे सकूंगा। पीआरओ संजय सोनी को ज्यादा जानकारी है।
केवल मिश्रा, डायरेक्टर, बीसीएलएल