रोड एक्सिडेंट इंश्योरेंस पॉलिसी में घायलों की जान बचाने के लिए गोल्डन ऑवर (दुर्घटन के बाद के 24 से 46 घंटे) तक विशेष प्रयास किए जाएंगे। इसमें सरकार प्रति घायल पर 30 से 60 हजार रुपए तक खर्च करेगी। इसके लिए जिले के बड़े निजी अस्पतालों से टाईअप किया जाएगा, जहां घायलों को ट्रामा सेंटर तक की सुविधा उपलब्ध हो सके।
इन अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन करने के बाद इसकी एक सूची एम्बुलेंस -108, डायल-100 और टोल नाकों पर खड़ी एमपीआरडीसी की एम्बुलेंसों का उपलब्ध कराई जाएगी। जिससे वे घायलों को उन अस्पतालों में बिना किसी देरी के भर्ती कराा जा सके।
तीन वर्ष के लिए होगा बीमा कंपनी का चयन
रोड एक्सिडेंट इंश्योरेंस करने वाली कंपनी का चयन तीन वर्ष के लिए किया जाएगा। इसके बाद एमपीआरडीसी दोबारा टेंडर जारी करेगा, टेंडर में न्यूनत प्रीमियम लेने वाली कंपनी का चयन किया जाएगा। एमपीआरडीसी मुफ्त इलाज के लिए जिन अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन करेगा उसकी सूची इंश्योरेंस कंपनी को भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे कंपनी को घायलों के सर्वे और सत्यापन में किसी तरह की दिक्कत न हो।
रोड एक्सिडेंट इंश्योरेंस करने वाली कंपनी का चयन तीन वर्ष के लिए किया जाएगा। इसके बाद एमपीआरडीसी दोबारा टेंडर जारी करेगा, टेंडर में न्यूनत प्रीमियम लेने वाली कंपनी का चयन किया जाएगा। एमपीआरडीसी मुफ्त इलाज के लिए जिन अस्पतालों का रजिस्ट्रेशन करेगा उसकी सूची इंश्योरेंस कंपनी को भी उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे कंपनी को घायलों के सर्वे और सत्यापन में किसी तरह की दिक्कत न हो।
प्रत्येक व्यक्ति का होगा अस्पतालों के पास रिकार्ड
आधार का एक सर्वर अस्पतालों के पास होगा। जैसे ही किसी गंभीर घायल को अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा वैसे ही उसके थंब इंप्रेशन के माध्यम से उसका पूरा रिकार्ड का पता चल जाएगा। इसी आधार नम्बर के जरिए घायलों का अस्पताल में रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। रजिस्ट्रेशन के बाद सरकार को यह भी पता चल जाएगा कि घायल आयुष्मान भारत योजना स्कीम में है अथवा नहीं। अगर आयुष्मान योजना में घायल आ रहा है तो योजना अपने आप ट्रांसफर हो जाएगी।
आधार का एक सर्वर अस्पतालों के पास होगा। जैसे ही किसी गंभीर घायल को अस्पताल में भर्ती कराया जाएगा वैसे ही उसके थंब इंप्रेशन के माध्यम से उसका पूरा रिकार्ड का पता चल जाएगा। इसी आधार नम्बर के जरिए घायलों का अस्पताल में रजिस्ट्रेशन किया जाएगा। रजिस्ट्रेशन के बाद सरकार को यह भी पता चल जाएगा कि घायल आयुष्मान भारत योजना स्कीम में है अथवा नहीं। अगर आयुष्मान योजना में घायल आ रहा है तो योजना अपने आप ट्रांसफर हो जाएगी।
तीनों टोल फ्री नम्बर होंगे इंटिग्रेटेड
सरकार टोल फ्री नम्बर 100, 108 और 1099 को इंटिगे्रटेड करेगी। किसी भी नम्बर पर अगर घायलों की मदद करने के लिए कोई फोन लगाता है तो वह एक ही स्थान पर रिकार्ड हो जाएगा। इसके बाद काल सेंटरों में एम्बुलेंसों के लोकेशन के आधार पर उन्हें काल ट्रांसफर की जाएगी। काल ट्रांसफर के साथ ही उन्हें काफी कम समय में इन अस्पतालों में पहुंचाना जरूरी होगा।
सरकार टोल फ्री नम्बर 100, 108 और 1099 को इंटिगे्रटेड करेगी। किसी भी नम्बर पर अगर घायलों की मदद करने के लिए कोई फोन लगाता है तो वह एक ही स्थान पर रिकार्ड हो जाएगा। इसके बाद काल सेंटरों में एम्बुलेंसों के लोकेशन के आधार पर उन्हें काल ट्रांसफर की जाएगी। काल ट्रांसफर के साथ ही उन्हें काफी कम समय में इन अस्पतालों में पहुंचाना जरूरी होगा।
कैब की तरह एम्बुलेंस में लगेगा जीपीआरएस सिस्टम
एम्बुलस में जीपीआरएस सिस्टम लगाया जाएगा। इससे वे जीपीआरएस के सहारे बिना इधर-उधर भटके घटना स्थल पहुंच जाएंगे। टोल फ्री नम्बर पर जैसे ही कोई सड़क हादसे की सूचना और घटना स्थल के संबंध में जानकारी देगा, वैसे ही यह सूचना काल सेंटर पर अपने आपने आप रिकार्ड हो जाएगी।
एम्बुलस में जीपीआरएस सिस्टम लगाया जाएगा। इससे वे जीपीआरएस के सहारे बिना इधर-उधर भटके घटना स्थल पहुंच जाएंगे। टोल फ्री नम्बर पर जैसे ही कोई सड़क हादसे की सूचना और घटना स्थल के संबंध में जानकारी देगा, वैसे ही यह सूचना काल सेंटर पर अपने आपने आप रिकार्ड हो जाएगी।
सूचना रिकार्ड होने के तत्काल बाद यह सूचना घटना स्थल के नजदीक खड़ी एम्बुलेंस को ट्रांसफर कर दी जाएगी। जीपीआरएस सिस्टम से लैस एम्बुलेंस में वाहन चालक अथवा पैरा मेडिकल स्टाफ उस एड्रेस को उस सिस्टम में अपलोड कर देंगे। इससे उनके सामने घटना स्थल तक का पूरा रूट अपने आप स्क्रीन पर आ जाएगा। इससे एम्बुलेंस इधर-उधर भटकने अथवा लोगों से एड्रेस पूछने के बजाय सीधी घटना स्थल पर पहुंचने में मदद मिलेगी।
रोड एक्सीडेंट इंश्योरेंस पॉलिसी तैयार की जा रही है। यह पॉलिसी फिलहाल पॉयलेट प्रोजेक्ट के रूप में चार-पांच जिलों में लागू की जाएगी। अच्छे परिणाम आने पर पूरे प्रदेश में लागू करेंगे।
– सुदाम खाड़े, एमडी, मप्र सड़क विकास निगम
– सुदाम खाड़े, एमडी, मप्र सड़क विकास निगम