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दोस्त बोलते थे सिविलियन, इंजीनियरिंग कर पहुंचा आर्मी में

locationभोपालPublished: Jun 19, 2019 03:11:16 pm

Submitted by:

hitesh sharma

शहर के अनुपम पांडे बने लेफ्टिेनेंट, आईएमएम देहरादून से हुए पासआउट

anupam pandy

दोस्त बोलते थे सिविलियन, इंजीनियरिंग कर पहुंचा आर्मी में

भोपाल। शहर के अनुपम पांडे आईएमए देहरादून से पासआउट होकर आर्मी में ऑफिसर बने हैं। अनुपम को ईएमई (इलेक्ट्रॉनिक्स एण्ड मैकेनिकल इंजीनियरिंग) जम्मू में पोस्टिंग मिली है। जल्द ही वे ज्वाइन करेंगे। अनुपम ने एमआईटीएस ग्वालियर से इलेक्ट्रॉनिक्स से इंजीनियरिंग की थी। इस दौरान रूममैट्स आर्मी ऑफिसर्स के बच्चे थे। वे अक्सर कहते थे कि सिविलियन्स आर्मी परिवारों का दुख नहीं समझते। वे नहीं जानते कि आर्मी का जॉब कितना टफ होता है। यह शब्द ही अनुपम के लिए प्रेरणा बन गए।

अनुपम ने बताया कि मेरे परिवार में कोई आर्मी में नहीं था। मैं इंजीनियरिंग कंप्लीट कर जॉब करना चाहता था। एक दिन मैं अपने दोस्त के पिता से मिला तो आर्मी में सूबेदार थे। उन्होंने फौज के बारे में बताया तो मैंने कॉलेज में एनसीसी ज्वाइन कर ली। इस दौरान मुझे शूटिंग में सिल्वर और बेस्ट एनसीसी कैडेट का अवार्ड मिला। 2016 में पासआउट होने के बाद मैंने एयरफोर्स का एग्जाम दिया। वह बताते हैं कि पहली बार में मैं फाइनल टेस्ट में कॉन्फ्रेंस से बाहर हो गया।
ट्रेनिंग के दौरान टूट गया था पैर
आर्मी की ट्रेनिंग पूरी करना भी एक टफ टास्क होता है। क्योंकि इंडियन आर्मी की ट्रेनिंग विश्व में सबसे टफ होती है। जैसे-जैसे ट्रेनिंग आगे बढ़ती है टास्क टफ होते जाते हैं। ट्रेनिंग में ऑप्टिकल करने के दौरान मेरा पैर टूट गया था। जब सीनियर ऑफिसर्स ने समझा कि जोश के साथ होश संभाले रखोगे तभी ही ट्रेनिंग पूरी कर पाओगे। 8 जून को पासिंग आउट परेड के साथ ही मेरा सपना पूरा हो गया।
मेरा सपना पायलेट बनने का
अनुपम ने बताया कि फाइनल टेस्ट में बाहर होने के बाद मैंने घर पर ही तैयारियां और सख्त कर दी। इसके बाद एयरफोर्स में एक बार और आर्मी में दो बार मेरा सिलेक्शन हुआ। मेरा सपना पायलेट बनकर देश सेवा करने का है। एयरफोर्स में प्रशासनिक सेवा करने का मौका मिल रहा था। इसलिए मैंने आर्मी को चुना। अब मैं पायलेट बनना चाहता हूं। मेरा पापा राजेश पांडे प्राइवेट जॉब करते हैं। उन्हें जब पता चला कि मैं आर्मी ऑफिसर बन गया हूं तो एक पल तो उन्हें यकीन ही नहीं हुआ।
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