नगर निगम बड़े बकायादारों से वसूली नहीं कर पा रहा है। इसमें 30 केंद्र सरकार के संस्थान हैं, जिनसे निगम यूटिलिटी चार्जेस के तौर पर शुल्क लेता है। इन पर निगम का 30 करोड़ रुपए से अधिक बकाया है।
राजनीतिक कार्यालयों पर निगम का 20 करोड़ से अधिक संपत्तिकर बकाया है। राज्य सरकार के आवासों से लेकर उनके कार्यालयों तक ने निगम को संपत्तिकर नहीं दिया है। ये सब मिलाकर एक साल में ही साढ़े तीन सौ करोड़ के करीब पहुंचता है।
आंकड़ों में वसूली-
:529.66 करोड़ रुपए कुल मांग है
:198.63 करोड़ रुपए ही वसूल पाए
:331.03 करोड़ रुपए बकाया है
:37.50 प्रतिशत ही वसूली हो पाई
मिलीभगत की नपती से भी संपत्तिकर पर मार
शहर में 198 बड़े बहुमंजिला व्यवसायिक भवन हैं। इनकी नपती में गड़बड़ी की शिकायत हमेशा रही है। अशोका गार्डन से लेकर एमपी नगर, करोंद, कोलार तक बड़े व्यवसायिक भवनों ने कम क्षेत्रफल दर्ज कराया हुआ है, जिससे 150 करोड़ रुपए तक का संपत्तिकर कम जमा कर रहे हैं। इस पर ध्यान देकर नपती कराई जाए तो व्यवस्था दुरुस्त हो सकती है।
संपत्तिकर के 4.79 लाख खाते, रसीदें महज 2.57 लाख ही कटी: शहर में निगम प्रशासन सभी संपत्तिकर खाताधारकों से वसूली नहीं कर पा रहा है। वर्ष 2021-22 की स्थिति ही देखें तो कुल 479784 संपत्तिकर खाता धारकों में से 257705 की ही रसीदें काट पाया। यानी इन्होंने ही कर जमा किया। महज 198 करोड़ ही जमा हो पाए। वसूली व्यवस्था को मजबूत बनाने की जरूरत है।
वसूली बढ़ाने के लिए निगम ने कई प्रयास किए। ऑनलाइन शुल्क जमा करने की सुविधा भी दी। लोगों को घर-घर जाकर कर जमा करने की सूचना दी। इससे काफी सुधार हुआ है।
– योंगेंद्र पटेल,उपायुक्त राजस्व