लक्ष्य है शहरों पर बढ़ता बोझ कैसे कम करें
मुख्यमंत्री कमल नाथ ने ग्वालियर से आयी एक बच्ची द्वारा ट्रेफिक के कारण हो रही दिक्कत के सवाल पर कहा कि आज शहरों के ऊपर आबादी का बढ़ता हुआ बोझ एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि जब शहरों का निर्माण और विकास हुआ तब सारी व्यवस्थाएँ मौजूदा आबादी को ध्यान में रखकर की गई।
उन्होंने कहा कि चाहे सीवेज हो, पेयजल हो, आवागमन की सुविधाएँ हो, आज जब शहरीकरण बढ़ा तो न केवल ट्रैफिक की बल्कि और कई समस्याएँ भी सामने आयी। श्री नाथ ने कहा कि हमारी सड़कों की डिजाइन दो पहिया वाहनों के हिसाब से ही की गई थी। आज चार पहिया वाहनों की बाढ़ से न केवल हमारी सड़कों पर बोझ बढ़ा है बल्कि ट्रेफिक भी बाधित हुआ है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इसका एक ही समाधान है कि हम शहरी क्षेत्रों का सम्पूर्ण अधोसंरचना विकास के साथ विस्तारीकरण करें। उन्होंने दिल्ली के गुरूग्राम और नोएडा तथा बम्बई के थाने एवं नवी मुंबई का उदाहरण देते हुए बताया कि अगर इनका निर्माण नहीं होता तो दिल्ली, मुम्बई के हालात और भी खराब होते। मुख्यमंत्री ने बताया कि शहरों के मास्टर प्लान बना रहे हैं। शहरों का विस्तारीकरण इस दृष्टि के साथ कर रहे हैं कि हम वहाँ वे सारी बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध कराये जो रहवासियों के लिए आवश्यक हैं।
वही राजनेता योग्य जो सत्ता का उपयोग विकास और जनता की खुशहाली के लिए करें
राजनीति में योग्यता के बारे में इंदौर के एक छात्र द्वारा पूछे गए एक सवाल में मुख्यमंत्री ने बताया कि राजनीति में मेरी आदर्श स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गांधी रही हैं। मैं उनके पुत्र संजय गांधी जी के साथ पढ़ा। उसी स्कूल में राजीव गांधी मुझसे तीन साल सीनियर रहे। मेरी राजनीति की शुरुआत युवक कांग्रेस से हुई। मैंने यही सीखा कि वही राजनेता योग्य होता है जो सत्ता में आने के बाद उससे मिली शक्ति का उपयोग देश-प्रदेश के हित और जनता की खुशहाली और उसके लिए कल्याणकारी योजनाएँ बनाने में करे।
पढ़ने पर माता-पिता की डाँट खाना पड़ती थी
भोपाल की छात्रा पलक जैन के सवाल कि बचपन में आपको किस बात के लिए डाँट पड़ती थी, मुख्यमंत्री नाथ ने बताया कि बोर्डिंग स्कूल में छुट्टियों में भी होमवर्क मिलता था। जब हम छुट्टियों में घर आते थे तो पहले घर का मजा लेने में, फिर आराम करने में ही छुट्टियां बीत जाती थी। छुट्टी के जब आखिरी दो-तीन दिन बचते थे तब हमें होमवर्क का ध्यान आता था तो फिर हम देर रात जगकर लगातार होमवर्क करते थे। इसके लिए हमें अपने माता-पिता की डाँट खाना पड़ती थी।
शिक्षा में गुणवत्ता जरूरी
होशंगाबाद से आए छात्र सिद्धार्थ के प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्कूल एवं उच्च शिक्षा में गुणवत्ता की बेहद कमी है। हमारी पहली प्राथमिकता यह है कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के साथ शिक्षकों के पढ़ाने की क्षमता में भी गुणवत्ता लाए।
शिक्षक उत्कृष्ट हो, समर्पित हो, इस दिशा में हम मिशन के रूप में काम कर रहे हैं। हम इस बात पर भी ध्यान दे रहे हैं कि शिक्षा के साथ बच्चों के ज्ञान में भी लगातार वृद्धि हो। उन्होंने कहा कि शिक्षण संस्थाओं के साथ हमारी शिक्षा पूरी हो जाती है लेकिन ज्ञान हमको जीवनभर अर्जित करना पड़ता है और यही हमें जीवन में हर चुनौती का सामना करने में सक्षम बनाता है।