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गजलक्ष्मी व्रत 2017: आज राशिनुसार ऐसे करें पूजन, जाने व्रत की कथा

locationभोपालPublished: Sep 13, 2017 12:49:00 pm

हिंदू धर्म में मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से चार महीने के लिए भगवान विष्णु विश्राम के लिए चले जाते हैं, इस दौरान मां लक्ष्मी पूरे संसार चलाती हैं।

GajLaxmi Pooja 2017
भोपाल। पितृ पक्ष में आने वाले गजलक्ष्मी व्रत को लेकर मान्यता है कि यदि इस दिन माता लक्ष्मी का व्रत पूरे ध्यान व नियम से किया जाए तो हर मनोकामना पूरी होती है, वहीं यह भी माना जाता है कि यदि इस दिन राशि अनुसार विधि-विधान से पूजन किया जाए तो महालक्ष्मी विशेष प्रसन्न होती हैं और जीवन में धन-समृद्धि आती है।

ज्योतिष के पंचांग खंड अनुसार गजलक्ष्मी महापर्व अर्थात महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ मंगलवार यानि 29 अगस्त 2017 भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से हुआ व इसका समापन बुधवार यानि 13 सितंबर 2017 को आश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन होगा।
ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा व उद्यापन (MahaLakshmi Vrat 2017):—
हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से चार महीने के लिए भगवान विष्णु विश्राम के लिए चले जाते हैं, इस अवधि के दौरान मां लक्ष्मी पूरे संसार चलाती हैं। मां लक्ष्मी भाद्रपद शुक्ल अष्टमी से आश्विन कृष्ण अष्टमी तक धरती पर वास करती हैं।

16 दिनों तक मां लक्ष्मी की पूजा होती है, पहले दिन हल्दी से रंगा 16 गांठ का रक्षासूत्र हाथ में बांधना होता है। आखिरी दिन पूजा के पश्चात सूत्र को किसी भी नदी या सरोवर में विसर्जित कर दें। बता दें कि 16वें दिन मां लक्ष्मी का विधि विधान से उद्यापन किया जाता है।
ऐसे करें मां लक्ष्मी की पूजा :
16वें यानी की अंतिम दिन मां की मूर्ति स्थापित करें, इसके बाद मां को लाल,गुलाबी या फिर पीले रंग के रेशमी वस्त्र पहनाएं। मां लक्ष्‍मी की पूजा में उन्‍हें कमल और गुलाब के फूल जरूरी चढ़ाएं, ऐसा माना जाता है कि ये फूल मां को बेहद पंसद हैं। पूजा की थाली में पूजा पान, सुपारी, लौंग, इलायची, रोली, कुमकुम, धूप, कपूर, अगरबत्तियां जरूर शामि‍ल करें।

पूरी करती हैं मां मनोकामनाएं :
मां के इन आठ नामों का जाप पूजा करते समय जरूर करें, ऊं आद्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं अमृतलक्ष्म्यै नम:, ऊं कामलक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्यलक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योगलक्ष्म्यै नम: . बता दें कि शास्त्रों का ऐसा मानना है कि इस व्रत का संबंध महाभारत काल से है. मां अपने सभी भक्तों की हर समस्या को दूर कर उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
राशि अनुसार ऐसे करें पूजा…
पंडित सुनील शर्मा के अनुसार हर राशि वाले जातक द्वारा इस दिन कि जाने वाली पूजा अलग—अलग हैं, जिससे उसे तुरंत फायदा पहुंचे…
1. मेष राशि : इस राशि के जातक अगर ऋण से त्रस्त हैं तो मिट्टी के हाथी के समक्ष ‘ऋणहर्ता मंगल स्तोत्र’ का पाठ करना चाहिए इससे ऋण उतरने लगता है।

2. वृषभ राशि : इस राशि के जातकों के लिए गजलक्ष्मी व्रत से हर शुक्रवार को श्री विष्णु-लक्ष्मी का पूजन करने से धन व नाम मिलता है। इस प्रयोग को कम से कम एक साल तक करें यानी अगले गजलक्ष्मी व्रत तक करें चमत्कार स्वयं देखें।

3. मिथुन राशि : चांदी का हाथी बनवाकर श्री लक्ष्मी के मंत्रों से पूरित कर गल्ले में रखें निश्चित ही धनलाभ होता है। धन का भंडार भरा रहता है तथा परिवार में व्यक्ति प्रसन्न और सुखी रहता है।
4. कर्क राशि : रात को केले के पत्ते पर दूध-भात रख कर चंदमा और मिट्टी के हाथी को दिखाएं और मंदिर में पंडितजी को दान दें। इससे धन प्राप्ति के प्रबल योग बनते हैं।

5. सिंह राशि : मिट्टी का हाथी बनवाकर उस पर चांदी या सोने का गहना चढ़ाएं और ‘ॐ नमो नारायणाय’मंत्र का श्री विष्णु जी के सम्मुख जाप करें, विशेष धनलाभ होगा।


6. कन्या राशि : लाजावर्त नग को चांदी में जड़वाकर लक्ष्मी के मंत्रों से अभिमंत्रित कर मिट्टी के हाथी को चढ़ाने से जातक धनवान बनता है।

7. तुला राशि : चांदी या सोने के हाथी पर कमल का फूल चढ़ाएं। मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है व यश मिलता है।

8. वृश्चिक राशि : मिट्टी के हाथी के समक्ष घी व सरसो तेल के दो बड़े दीपक जलाएं। किसी भी लक्ष्मी मंत्र की 21 माला जाप करें तो अक्षय धन की प्राप्ति होती है।

9. धनु राशि : सुंदर पीले वस्त्र धारण कर मिट्टी के हाथी पर विविध अलंकार अर्पित करें। मां लक्ष्मी की कृपा चारों तरफ से बरसने लगेगी।


10. मकर राशि : किसी भी सजीव हाथी को सवा दर्जन केले खिलाएं और मिट्टी के हाथी को वस्त्रालंकार अर्पित करें। आश्चर्यजनक रूप से हर बाधा दूर होगी और धन की समृद्धि बढ़ेगी।

11. कुंभ राशि : चांदी का हाथी बनवाकर उसी की पूजा करें। साथ में मिट्टी का हाथी दीये जलाकर सजाएं और पूजन करें। चांदी के सिक्के चढ़ाएं। यश, सुख, समृद्धि, वैभव, ऐश्वर्य और सौभाग्य से जीवन चमक उठेगा।

12. मीन राशि : 11 हल्दी की गांठों को पीले कपड़े में रख कर लक्ष्मी मंत्र की 11 माला जाप कर तिजोरी में रख दें। रोजाना वहां दीया जलाए तो व्यापार की प्रबल उन्नति होने लगती है।
ऐसे होती है गज महालक्ष्मी पूजा यानि ऐरावत हाथी(eravat hathi pooja) की पूजा :-

घरों में बुधवार को गजलक्ष्मी व्रत का पूजन होगा। इसमें मिट्टी के हाथी पर सवार माता लक्ष्मी की पूजा होती है। घर-घर में हाथी पर सवार माता लक्ष्मी की मिट्टी की प्रतिमा स्थापित की जाएगी। घरों में विभिन्न नमकीन व मिष्ठान्न बनाए जाएंगे, जिसमें आटे के मिष्ठान्न प्रमुख होंगे और माता लक्ष्मी को अर्पित करेंगे।
पूजा को लेकर पं.सुनील शर्मा ने बताया कि व्रत प्रतिवर्ष आश्विन कृष्ण अष्टमी पर विधिवत किया जाता है। इस व्रत पर महिलाएं व्रत रखती हैं। कथा के बाद शाम को पूजन किया जाता है।
गजलक्ष्मी व्रत कथा:
इस व्रत की कथा के अनुसार एक समय महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर गए। व्यासजी से माता कुंती तथा गांधारी ने पूछा कि आप हमें ऐसा सरल व्रत तथा पूजन बताएं, जिससे हमारी राज्यलक्ष्मी, सुख-संपत्ति, संतानें समृद्ध बनी रहें। व्यासजी ने महालक्ष्मी व्रत व गजलक्ष्मी व्रत के बारे में बताया। इस दिन स्नान कर महिलाएं 16 सूत के धागों का डोरा बनाकर उसमें 16 गांठ लगाकर हल्दी से पीला करेंगी और 16 दूब व 16 गेहूं डोरे के साथ लक्ष्मी को चढ़ाएंगी। उपवास रखकर गजलक्ष्मी की स्थापना कर पूजन कर परिवार की उन्नति के लिए प्रार्थना करेंगी।
व्रत के अनुसार इस दिन गांधारी ने नगर की सभी महिलाओं को बुलाया, लेकिन कुंती को नहीं बुलाया। कुंती ने इसे अपमान समझा। उनकी उदासी देख पुत्रों ने प्रश्न किया। कुंती ने कहा कि गांधारी ने मिट्टी का हाथी बनाकर उसके पूजन के लिए नगर की महिलाओं को बुलाया है।
अर्जुन ने कहा कि आप भी सभी महिलाओं को बुला लें, पूजा की तैयारी करें। हमारे यहां स्वर्ग से आए एेरावत हाथी का पूजन होगा। शाम होते ही इंद्र ने अपना ऐरावत हाथी भेजा और सभी महिलाओं ने उसकी पूजा की। 16 गांठों वाला डोरा लक्ष्मीजी को चढ़ाया। मंत्रोच्चार के साथ पूजन किया और पूजन के बाद महालक्ष्मीजी को जलाशय में विसर्जित किया, वहीं ऐरावत हाथी को इंद्रलोक भेज दिया। इस तरह इस व्रत का पूजन शुरू किया।

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