scriptटीडीआर में खेल: जमीन मालिक को कम, लेकिन सरकारी एजेंसी और बिल्डर्स को ज्यादा फायदा | Game in TDR: Land owners less, but government agency and builders gain | Patrika News

टीडीआर में खेल: जमीन मालिक को कम, लेकिन सरकारी एजेंसी और बिल्डर्स को ज्यादा फायदा

locationभोपालPublished: Aug 27, 2018 07:50:59 am

Submitted by:

Rohit verma

मास्टर प्लान के तहत दावा-आपत्ति, सुनवाई हो जाएगी बंद, सीधे फैसला सुनाएगी सरकार

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टीडीआर में खेल: जमीन मालिक को कम, लेकिन सरकारी एजेंसी और बिल्डर्स को ज्यादा फायदा

भोपाल. जमीन अधिग्रहण के बदले मिले फ्लोर एरिया रेशो (एफएआर) को बेचने का अधिकार देने वाले नियम ट्रांसफर डेवलपमेंट राइट्स यानी टीडीआर से आम आदमी को कम सरकारी एजेंसी व बिल्डर्स को ज्यादा फायदा पहुंचने वाला है। मास्टर प्लान में अब तक जो कानून दावा, आपत्ति और सुनवाई के बाद बनते थे, सरकार सीधे फैसला सुनाएगी। जमीन मालिक को मिला एफएआर भले न बिके, लेकिन टीडीआर के नाम पर अधिग्रहण करने वाली एजेंसी बगैर जमीन गंवाए ही एफएआर बेच सकेगी।

एफएआर के सौदे के वक्त डेवलपर को 50 प्रतिशत एफएआर सरकारी एजेंसी से खरीदना पड़ेगा, बाकी 50 भूमि स्वामी से लेंगे। एफएआर कहां से मिलेगा (जनरेटिंग एरिया) और कहां इस्तेमाल होगा (रिसीविंग एरिया) तय करने के अलावा अफसर प्रोजेक्ट के आसपास एफएआर बेचने का इनफल्यूयेंस एरिया डिसाइड कर सकेंगे। इधर, कमजोर आय वर्ग के आवास बनाने पर भी बिल्डर्स को डेवलपमेंट राइट्स सार्टिफिकेट यानी अतिरिक्त एफएआर का फायदा दिया जाएगा।

पूर्व मुख्य सचिव निर्मला बुच व भोपाल सिटीजन फोरम सहित 6 अन्य लोगों ने टीडीआर के प्रस्तावित नियमों पर आपत्ति की है। उन्होंने कहा है कि टीडीआर नियमों में कुछ ऐसे प्रावधान जोड़े गए हैं जिनका उल्लेख एक्ट में ही नहीं है। एक्ट के आधार पर ही नियम बनते हैं।

प्रमुख आपत्तियां
सिटीजन फोरम का कहना है कि एजेंसी को बगैर जमीन गंवाए एफएआर बेचने का अधिकार किस आधार पर दिया जा रहा है। डेवलपर यदि 50 प्रतिशत एफएआर एजेंसी से खरीदेगा तो असल भूमि स्वामी एफएआर का क्या करेगा।
पूर्व मुख्य सचिव बुच के अनुसार टीडीआर सिर्फ पांच साल तक वैध रहेंगे, इसके बाद वह स्वत: समाप्त हो जाएंगे। सिर्फ 5 साल का समय बहुत कम है। उन्होंने कहा कि सरकार को टीडीआर विकल्प के रूप में देना चाहिए, जो जमीन के बदले नकद मुआवजा चाहता है, उसे नकद राशि दी जाए।
आप इस तरह समझें गड़बडिय़ां इंफल्यूऐंस एरिया
टीडीआर एक्ट में इंफल्यूऐंस एरिया पर कुछ नहीं बताया है। सरकार चाहे तो डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के आस-पास के एरिया को प्रभावित घोषित कर सकती है। अफसर बिल्डरों को फायदा पहुंचाने प्रभावित एरिया घोषित कर जमीन के दाम बढ़ा सकेंगे। टीएनसीपी रिसीविंग एरिया तय करेगा ,लेकिन यहां कितना एफएआर इस्तेमाल होगा ये सरकार बाद में तय करेगी।
इडब्ल्यूएस पर एफएआर क्यों
प्रोजेक्ट में कमजोर आय वर्ग के आवास बनाने पर डेवलपर को अतिरिक्त एफएआर बांटा जा रहा है। नियमों में ईडब्ल्यूएस व एलआइजी की अनिवार्यता है। बिल्डर नहीं बनाते तो मान्यता खत्म हो सकती। ये सख्ती अब खत्म होगी और डेवलपर्स को फायदा मिलेगा।

स्टांप छूट का दुरुपयोग
स्टांप एक्ट की धारा-56-बी में विकास के नाम पर जमीन की अदला बदली में स्टांप डयूटी की छूट है। आपसी करार में जमीन देने वाले भू-स्वामी को स्टांप डयूटी नहीं देनी होती है, लेकिन कानूनी रिकॉर्ड जरूरी है। टीडीआर में एफएआर के सौदे रजिस्टर में दर्ज होंगे। उसके गुमने पर पता लगाना मुश्किल होगा कि किसने कहां का एफएआर बेचा।

अफसर घबराए, गुपचुप बुलाई बैठक
टीडीआर के प्रस्तावित नियमों पर आपत्ति-सुझावों सुनने के बजाए अनौपचारिक बैठक बुलाकर चर्चा करना चाही। निर्मला बुच का कहना है, नियमानुसार सुनवाई करें, हम आ जाएंगे। भोपाल सिटीजन फोरम के कुछ सदस्य अफसरों के बुलावे पर 21 अगस्त को चर्चा कर आए, लेकिन नतीजा सिफर रहा।
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