भोपाल

मामला रेरा में जाते ही आवंटियों से पूरी राशि लेकर अधूरे फ्लैट्स की करवा दी रजिस्ट्री

खुल रही परतें: रियल एस्टेट धोखाधड़ी में तीन कंपनियों के 25 से अधिक संचालक शामिल

भोपालOct 01, 2019 / 01:08 am

Ram kailash napit

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भोपाल. गैमन इंडिया के सीबीडी प्रोजेक्ट के ब्लॉक-एक में अधूरे फ्लैट्स की रजिस्ट्री करवाने का मामला सामने आया है। रेरा में मामला दर्ज होने के बाद आवंटियों को गैमन की ही कंपनी दीपमाला की ओर से एक पत्र भेजा गया। इसमें लिखा है कि 31 दिसंबर 2018 तक फ्लैट मिल जाएगा, लेकिन इससे पहले बकाया राशि का भुगतान करें। चेतावनी दी गई है कि रजिस्ट्री नहीं कराने वालों के आवंटन रद्द हो सकते हैं। इसके बाद आवंटियों ने पूरी राशि जमा करा दी, यानी पजेशन के पहले ही आवंटियों से सौ फीसदी राशि ले ली गई। अधिकतर ने रजिस्ट्री करवा ली, पर उनके फ्लैट्स अब तक अधूरे हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक ये पंजीयन के नियमों का उल्लंघन है। आसान शब्दों में कहें तो ऐसे मकानों का भुगतान लेकर रजिस्ट्री करा दी गईं, जिनका निर्माण ही पूरा नहीं हुआ था।
गैमन की है 77 फीसदी हिस्सेदारी
दीपमाला इंफ्रा के नाम पर बनाए जा रहे प्रोजेक्ट में गैमन की हिस्सेदारी 77 फीसदी है, यानी आवंटियों से ली गई राशि का 77 फीसदी गैमन के पास गया। प्रोजेक्ट में फ्लैट खरीदने वाली चंदना अरोरा का कहना है कि अरबों रुपए के इस रियल एस्टेट फ्रॉड में तीन कंपनियों के 25 से अधिक संचालक शामिल हैं। अरोरा ने गैमन के प्रमुख के नाम पर मामला दर्ज करने के लिए पुलिस में आवेदन दिया है। अरोरा के मुताबिक जिस कंपनी के पास इस प्रोजेक्ट की 77 फीसदी राशि हो, उस पर कार्रवाई होनी चाहिए। इसके 23 फीसदी शेयर गैमन की सहयोगी कंपनी सोनी-मोनी के पास हैं। गौरतलब है कि गैमन की ही एक और सहयोगी कंपनी दीपमाला ने सीबीडी प्रोजेक्ट से जुड़े जरूरी दस्तावेज रेरा की वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए हैं। इसके अलावा जून 2018 के बाद प्रोजेक्ट की त्रैमासिक विवरणी भी प्रस्तुत नहीं की गई।

अब तक नहीं ली प्रोजेक्ट की डिटेल
हाउसिंग बोर्ड को गैमन के सीबीडी प्रोजेक्ट की मॉनीटरिंग एजेंसी बनाया है, लेकिन अभी तक बोर्ड ने प्रोजेक्ट की डिटेल तक नहीं ली। हाउसिंग बोर्ड के नाम पर ही टीएण्डसीपी ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी थी। आवास एवं विकास विभाग के प्रमुख सचिव संजय दुबे के मुताबिक जल्द ही संबंधित अफसरों को कार्रवाई के लिए कहा जाएगा, लेकिन ये कब शुरू होगी, इसकी समय सीमा स्पष्ट नहीं है।

हाउसिंग बोर्ड के लिए भी दिक्कतें कम नहीं
गैमन, दीपमाला और सोनी-मोनी कंपनी से सीबीडी प्रोजेक्ट की संपत्तियों को मुक्त कराना।
जांच में मिली गड़बडिय़ों को लेकर जिम्मेदारों पर कार्रवाई।
निर्माण के लिए शासन स्तर पर राशि लेना या आवंटियों से भुगतान की योजना बनाकर वसूली करना।
सोनी-मोनी कंपनी के नाम से दर्ज सवा सौ से अधिक फ्लैट्स के प्रकरणों को निपटाना।

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