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– 16 डिग्री में भी हौसले नहीं हुए पस्त, आर्मेनिया में पदयात्रा कर पहुंचा रहे गांधीजी के अहिंसा और सत्य का संदेश

locationभोपालPublished: Feb 18, 2020 01:11:22 pm

Submitted by:

hitesh sharma

एकता परिषद की जय जगत यात्रा पहुंची आर्मेनिया

- 16 डिग्री में हौसले नहीं हुए पस्त, आर्मेनिया में पदयात्रा कर पहुंचा रहे गांधीजी के अहिंसा और सत्य का संदेश

– 16 डिग्री में हौसले नहीं हुए पस्त, आर्मेनिया में पदयात्रा कर पहुंचा रहे गांधीजी के अहिंसा और सत्य का संदेश

भोपाल। एकता परिषद की ओर से जय जगत यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। पिछले साल महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर 2 अक्टूबर से ये यात्रा शुरू हुई थी। यात्रा से जुड़े सदस्यों ने 31 जनवरी तक देशभर के विभिन्न शहरों में करीब 2000 किलोमीटर की पदयात्रा की। अब अलग-अलग दल विश्व के विभिन्न देशों में पदयात्रा कर गांधी के अहिंसा और शांति के संदेश को लोगों तक पहुंचा रहे हैं। 50 सदस्यों का एक दल आर्मेनिया पहुंचा है। इस दल के 8 सदस्य भोपाल के हैं। दल के 16 सदस्यों ने 16 फरवरी की सुबह-8 बजे से ईरान-आर्मेनिया बॉर्डर पर स्थित मेघरी से पदयात्रा शुरू की।

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संसद भवन में हुआ स्वागत
दल के सदस्य जनमेजय सिंह ने बताया कि आर्मेनिया सरकार को जब हमारी यात्रा के उद्देश्य का पता चला तो हमें संसद भवन में 13 फरवरी को इनवाइट किया गया। वहां संसद सत्र के बीच ब्रेक लेकर हमारा स्वागत किया गया। सभी संसद सदस्यों ने कहा कि आज विश्व को गांधीजी के सत्य, अहिंसा और सद्भाव के मार्ग की जरूरत है। हमारी पदयात्रा की शुरुआत मेघरी से येरेवान तक होगी। ये दूरी करीब 550 किलोमीटर की है। यहां से जार्जिया जाएंगे। अभी यहां का तापमान माइनस 5 से माइनस 16 डिग्री के बीच है। इतनी ठंड ने भी हमारे हौसले पस्त नहीं किए हैं। हालांकि इतनी बर्फ के बीच सामान साथ लेकर चलना आसान नहीं होता। स्थानीय लोगों ने हमारी मदद के लिए एक गाड़ी उपलब्ध कराई है। जो हमारा जरूरी सामान लेकर चलेगी। मेघरी से 16 सदस्य पदयात्रा शुरू कर रहे हैं। मेरे साथ भोपाल के नीरू दिवाकर, शाहबाज खान, सतीश राज आचार्य, खुशबु चौरसिया, मुदित श्रीवास्तव भी यात्रा कर रहे हैं। वहीं, शहर के दो सदस्य ईरान में पदयात्रा के लिए पहुंचे हैं।

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डॉक्यूमेंट्री शूट कर रही टीम
जनमेजय ने बताया कि ये यात्रा 3 अप्रैल तक चलेगी। अन्य सदस्य 5 मार्च को हमें ज्वाइन करेंगे। मैं आरक्षण फिल्म में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम कर चुका हूं। अभी पोस्ट प्रोडेक्शन सुपरवाइजर की जिम्मेदारी संभाल रहा हंू। मुझे जब इस अभियान के बारे में पता चला तो मुझे लगा कि देश में अहिंसा और सत्याग्रह की जरूरत है। हमें गांधीजी के सपनों का भारत ही नहीं विश्व चाहिए। जहां सभी एक-दूसरे से प्रेम करें। मैंने काम से ब्रेक ले लिया और अभियान से जुड़ गया। हमारी टीम पदयात्रा की डॉक्यूमेंट्री शूट कर रही है।

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लोग खुद ही जुड़ रहे
जनमेजय ने बताया कि हमारी टीम आर्मेनिया के नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी पहुंची और उन्हें गांधीजी के संदेशों के बारे में बताया तो वे कहने लगे कि हमें भी गांधीजी से प्रेम है। हमारा यात्रा का उद्देश्य लोगों को इतना अच्छा लगा कि लोग यात्रा में खुद ही शामिल होने को तैयार हो गए। इतनी ठंड में भी यात्रा को लेकर सभी उत्साहित हैं। शनिवार शाम-6 बजे टीम मघेरी पहुंची। हमने यहां एक स्कूल में रात बिताई और सुबह यात्रा शुरू की। हम इतनी ठंड के बीच चालीस से पचास किलोमीटर की यात्रा कर रहे हैं।

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