इस वर्ष गणेश चतुर्थी या विनायक चतुर्थी का त्यौहार शुक्रवार, 25 अगस्त 2017 को मनाया जाएगा। यह शुक्ल चतुर्थी (चौथा चंद्र दिवस) पर भाद्रप्रदा के महीने में हर साल पडती है और अनंत चतुर्दशी (चौदहवें चंद्र दिवस) पर समाप्त होती है। इस दौरान जगह-जगह पर श्रीगणेश को विराजमान किया जाता है। इसी के तहत विभिन्न शहरों में गणेश प्रतिमाओं की बिक्री की जाती है।
इसी के चलते भोपाल के बैरागढ़ में भी गणेश प्रतिमा बेचने के लिए व्यापारियों द्वारा दुकाने लगाईं गईं, लेकिन अब नगर निगम द्वारा इन दुकानों को मुख्य मार्ग से हटाया जा रहा है। जिससे व्यापारियों में आक्रोश है, उनका आरोप है कि अब त्यौहार में केवल तीन दिन शेष हैं और हमें गणेश प्रतिमा नहीं बेचने ने दी जा रही है।
इसके चलते मंगलवार को नगर निगम कर्मचारी और मूर्ति व्यापारियों में नोक-झोंक हो रही है। वहीं जानकारी के अनुसार नगर निगम प्रशासन ने पहले ही जगह चिन्हित कर दी थी और कहा था कि मुख्य मार्ग पर कोई मूर्ति नहीं बेची जाएगी। इसके बावजूद भी व्यापारियों ने मुख्य मार्ग पर दुकानें लगा लीं, जिसके बाद आज मंगलवार को नगर निगम का अमला यहां कार्यवाही करने पहुंचा।
इसके चलते मंगलवार को नगर निगम कर्मचारी और मूर्ति व्यापारियों में नोक-झोंक हो रही है। वहीं जानकारी के अनुसार नगर निगम प्रशासन ने पहले ही जगह चिन्हित कर दी थी और कहा था कि मुख्य मार्ग पर कोई मूर्ति नहीं बेची जाएगी। इसके बावजूद भी व्यापारियों ने मुख्य मार्ग पर दुकानें लगा लीं, जिसके बाद आज मंगलवार को नगर निगम का अमला यहां कार्यवाही करने पहुंचा।
गणेश चतुर्थी 2017: पूजा शुभ मुहूर्त और समय
भगवान गणेश को घर लाने का समय:
मध्याह्न के समय को गणेश पूजा: सुबह 11:25 से 1 बजकर 57 मिनट।
24 अगस्त को, चंद्रमा को नहीं देखने का समय- 20: 27 बजे से शाम 21:02 बजे तक।
25 अगस्त को, चंद्रमा को नहीं देखने का समय- 09: 00 बजे से 21: 41 बजे तक।
भगवान गणेश को घर लाने का समय:
मध्याह्न के समय को गणेश पूजा: सुबह 11:25 से 1 बजकर 57 मिनट।
24 अगस्त को, चंद्रमा को नहीं देखने का समय- 20: 27 बजे से शाम 21:02 बजे तक।
25 अगस्त को, चंद्रमा को नहीं देखने का समय- 09: 00 बजे से 21: 41 बजे तक।
अनंत चतुर्दशी दिवस पर गणेश विसर्जन:
गणेश विसर्जन के लिए शुभ चोघडिया मुहूर्त —
सुबह का मुहूर्त (चार, लाभ, अमृत) – 09:32 बजे- 14:11 अपराह्न।
दोपहर का मुहूर्त (शुभ) = 15: 44 बजे- 17:17 बजे।
शाम का मुहूर्त(प्रयोग) = 20:17 अपराह्न – 21: 44 बजे।
रात का मुहूर्त (शुभ, अमृत, चार) = 23:11 बजे।
ऐसे मनाया जाता है गणेश चतुर्थी का त्योहार:
गणेश चतुर्थी का त्योहार आने से दो-तीन महीने पहले ही कारीगर भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियां बनाना शुरू कर देते हैं। गणेश चतुर्थी से कुछ दिन पहले ही इन दिनों बाजारों में भगवान गणेश की अलग-अलग मुद्रा में बेहद ही सुंदर मूर्तियां मिलना शुरू हो गई हैं। ऐसे में गणेश चतुर्थी वाले दिन लोग इन मूर्तियों को अपने घर लाते हैं। कई जगहों पर 10 दिनों तक पंडाल सजाए जाते हैं, जहां गणेश जी की मूर्ति स्थापित होती हैं। इस दौरान प्रत्येक पंडाल में एक पुजारी होता है जो इस दौरान चार विधियों के साथ पूजा करते हैं। सबसे पहले मूर्ति स्थापना करने से पहले प्राणप्रतिष्ठा की प्रथा निभाई जाती है। इस अनुष्ठान के बाद शोडोषोपचार व उसके बाद उत्तरपूजा की जाती है जिसमें मूर्ति को एक स्थान से दूसरे स्थानांतरित किया जाता है और आखिरी अनुष्ठान में गणपति का विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी का त्योहार आने से दो-तीन महीने पहले ही कारीगर भगवान गणेश की मिट्टी की मूर्तियां बनाना शुरू कर देते हैं। गणेश चतुर्थी से कुछ दिन पहले ही इन दिनों बाजारों में भगवान गणेश की अलग-अलग मुद्रा में बेहद ही सुंदर मूर्तियां मिलना शुरू हो गई हैं। ऐसे में गणेश चतुर्थी वाले दिन लोग इन मूर्तियों को अपने घर लाते हैं। कई जगहों पर 10 दिनों तक पंडाल सजाए जाते हैं, जहां गणेश जी की मूर्ति स्थापित होती हैं। इस दौरान प्रत्येक पंडाल में एक पुजारी होता है जो इस दौरान चार विधियों के साथ पूजा करते हैं। सबसे पहले मूर्ति स्थापना करने से पहले प्राणप्रतिष्ठा की प्रथा निभाई जाती है। इस अनुष्ठान के बाद शोडोषोपचार व उसके बाद उत्तरपूजा की जाती है जिसमें मूर्ति को एक स्थान से दूसरे स्थानांतरित किया जाता है और आखिरी अनुष्ठान में गणपति का विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी के साथ कई कहानियां भी जुड़ी हुई हैं, जिनमें से श्री गणेश के माता-पिता माता पार्वती और भगवान शिव के साथ जुड़ी कथा सबसे ज्यादा प्रचलित है। कहा जाता है कि माता पार्वती ने अपने शरीर के मैल से भगवान गणेश का निर्माण किया था। एक बार माता पार्वती स्नान करने जा रही थी और उन्होंने गणेश को आदेश दिया जब तक वह स्नान करके न लौट आए तब वह दरवाजे पर पहरा दें, लेकिन तभी भगवान शिव वहां आ गए और गणेश ने उन्हें अंदर जाने से रोका। भगवान गणेश और शिव के बीच इस बात को लेकर काफी विवाद हुआ और क्रोध में आकर भगवान शिव ने उनका सिर काट दिया। यह दृश्य देखकर माता पार्वती बेहद क्रोधित होती है जिसके बाद भगवान शिव माता पार्वती को वचन दिया कि वह गणेश को नया जीवन देंगे।
इस घटना के बाद भगवान शिव ने देवताओं को एक सिर ढूंढने के लिए भेजा, उन लोगों ने एक हाथी का सिर लाकर उन्हें दिया। भगवान शिव ने वह हाथी का सिर गणेश के धड़ से जोड़कर उन्हें नया जीवन दिया जिसके बाद भगवान गणेश को गजानन कहकर पुकारा जाने लगा।