इन दिनों श्रद्धालु सिद्धि विनायक भगवान गणेश की आराधना कर रहे हैं। घरों में आकर्षक साज सज्जा कर गणेशजी की स्थापना की गई है, इसी प्रकार शहर में भी अनेक स्थानों पर पंडाल सजाकर भगवान गणेश की स्थापना की गई है। डोल ग्यारस के साथ भगवान गणेश के विसर्जन का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। रविवार को अनंत चतुर्दर्शी के मौके पर श्रद्धा के साथ भगवान गणेश का विसर्जन किया जाएगा। गणेश प्रतिमाओं के विसर्जन के लिए नगर निगम प्रशासन की ओर से भी घाटों पर अस्थायी विसर्जन कुंड बनाए गए हैं, जहां प्रतिमाएं विसर्जित की जाएगी। शहर के खटलापुरा, प्रेमपुरा, कमलापति, शाहपुरा आदि स्थानों पर प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।
गणेश उत्सव के समापन मौके पर हर साल अनंत चतुर्दर्शी पर रात्रि में विसर्जन चल समारोह निकाला जाता था, जिसमें अनेक चलित झांकियां और गणेश प्रतिमाएं शामिल होती थी। यह चल समारोह पूरी रात भ्रमण करता था, लेकिन इस बार कोविड 19 के तहत जारी गाइड लाइन के अनुसार चल समारोह नहीं निकाले जाएंगे। सार्वजनिक उत्सव समितियों के कार्यकर्ता प्रतिमाएं लेकर विसर्जन घाट पहुंचेंगे, जहां प्रतिमाओं का विसर्जन किया जाएगा।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के लिए इस बार भी कई श्रद्धालु घरों में ही प्रतिमाओं का विसर्जन करेंगे। पं. विष्णु राजौरिया के अनुसार गणेश प्रतिमा का विसर्जन जल में होना चाहिए। मिट्टी की गणेश प्रतिमा का घर पर भी विसर्जन कर सकते हैं। इसके लिए जरुरी है बड़े पात्र में शुद्ध जल भरकर उसमें गंगाजल, दुर्वा डाले और विधि पूवर्क पूजन, आरती कर विसर्जन करे। प्रतिमा को सीधा जल से भरे पात्र में रखे ताकि प्रतिमा पूरी तरह जल में समाहित हो जाए। इसके बाद इस जल को शुद्ध स्थान पर बड़े वृक्षों में, गमलों में प्रवाहित करे। इससे भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।